मिल गया बुमराह जैसा घातक गेंदबाज, ऑस्ट्रेलिया में लगाएगा आग, कभी पिता बनाना चाहते थे सरकारी अफसर
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मिल गया बुमराह जैसा घातक गेंदबाज, ऑस्ट्रेलिया में लगाएगा आग, कभी पिता बनाना चाहते थे सरकारी अफसर

India vs Bangladesh 1st Test: भारत और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेला जा रहा है. बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई में खेले जा रहे इस टेस्ट मैच में भारत के एक तेज गेंदबाज की जमकर चर्चा हो रही है. 

मिल गया बुमराह जैसा घातक गेंदबाज, ऑस्ट्रेलिया में लगाएगा आग, कभी पिता बनाना चाहते थे सरकारी अफसर

India vs Bangladesh 1st Test: भारत और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेला जा रहा है. बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई में खेले जा रहे इस टेस्ट मैच में भारत के एक तेज गेंदबाज की जमकर चर्चा हो रही है. टीम इंडिया को जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी जैसा ही एक घातक गेंदबाज मिल गया है. इस तेज गेंदबाज को कभी उसके पिता सरकारी अफसर बनाना चाहेंगे, लेकिन वह क्रिकेटर ही बना. इस तेज गेंदबाज को 22 नवंबर 2024 से 7 जनवरी 2025 तक ऑस्ट्रेलिया की धरती पर होने वाली 5 मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए भी चुना जा सकता है. 

मिल गया बुमराह जैसा घातक गेंदबाज

भारत के एक तेज गेंदबाज आकाश दीप ने अपनी घातक गेंदबाजी से हर किसी को हैरान किया है. आकाश दीप ने 2 टेस्ट मैचों की 2 पारियों में 5 विकेट झटके हैं. आकाश दीप ने इस दौरान 20.40 की घातक औसत से गेंदबाजी की है. आकाश दीप ने 23 फरवरी 2024 को इंग्लैंड के खिलाफ रांची में अपना टेस्ट डेब्यू किया था. आकाश दीप ने बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई में जारी टेस्ट मैच की पहली पारी में 19 रन देकर 2 विकेट झटके हैं. आकाश दीप का सबसे बड़ा हथियार उनकी स्विंग है. आकाश दीप की अंदर आती गेंद का विरोधी टीम के बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं होता. 

कभी पिता बनाना चाहते थे सरकारी अफसर

आकाश दीप ने जब भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था तो उस दौरान उनकी मां ने एक इंटरव्यू दिया था. उनकी मां ने कहा, ‘उसके पिता हमेशा उसे सरकारी अधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन क्रिकेट उसका जुनून था और मैंने उसका हमेशा साथ दिया. मैं उसे छुपकर क्रिकेट खेलने भेज देती थी. उस समय अगर कोई सुनता कि तुम्हारा बेटा क्रिकेट खेल रहा है तो वे कहते, ‘ये तो आवारा मवाली ही बनेगा’. लेकिन हमें उस पर पूरा भरोसा था और छह महीने के अंदर मेरे मालिक (पति) और बेटे के निधन के बावजूद हमने हार नहीं मानी क्योंकि हमें आकाशदीप पर भरोसा था.’ 

फरवरी 2015 में पिता और भाई की हो गई मौत 

आकाशदीप के पिता रामजी सिंह सरकारी हाई स्कूल में ‘फिजिकल एजुकेशन’ शिक्षक थे और वह कभी भी अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे. सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें लकवा मार गया और पांच साल तक बिस्तर पर रहे. उन्होंने फरवरी 2015 में अंतिम सांस ली. इसी साल अक्टूबर में आकाशदीप के बड़े भाई धीरज का निधन हो गया. इसके बाद अब बड़े भाई की पत्नी और उनकी दो बेटियों की जिम्मेदारी भी उनके ही ऊपर थी.

रेत बेचने का बिजनेस शुरू किया

पूरा परिवार पिता की मासिक पेंशन पर निर्भर था तो आकाशदीप ने क्रिकेट के जुनून को छोड़कर कमाई का साधन जुटाने पर ध्यान लगाना शुरू किया. वह छह भाई बहनों में सबसे छोटे हैं जिसमें तीन बहन बड़ी हैं. पहले आकाशदीप ने धीरज के निधन के बाद डंपर किराए पर लेकर बिहार-झारखंड सीमा पर सोन नदी से रेत बेचने का बिजनेस शुरू किया. तब वह टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते थे और उन्हें अपने क्रिकेट के सपने को साकार करने के लिए मदद की जरूरत थी.

आकाशदीप की जिंदगी आसान नहीं रही

आकाशदीप के चचेरे भाई बैभव ने ‘लेदर बॉल’ क्रिकेट में कोचिंग दिलाने में मदद की. बैभव ने कहा, ‘उसकी प्रतिभा को देखकर मैं उसे दुर्गापुर ले गया जहां उसका पासपोर्ट बनवाया और वह दुबई में टूर्नामेंट खेलने गया.’ फिर बेहतर मौके खोजने के लिए दोनों कोलकाता पहुंचे और केस्तोपुर में किराए के फ्लैट में रहने लगे. लेकिन जिंदगी आसान नहीं थी क्योंकि आकाशदीप को तीन क्ल्ब यूनाईटेड सीसी, वाईएमसीए और कालीघाट ने खारिज कर दिया. बैभव ने कहा, ‘उन्होंने एक और साल इंतजार करो. मुझे लगा वह वापस चला जाएगा. लेकिन यूसीसी ने उसे एक दिन बुलाया और कहा कि वे किसी भी भुगतान के बिना उसे खिलाएंगे.’

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