BCCI: भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. हर साल कई नए चेहरे उभर कर सामने आते हैं, फिर चाहे बल्लेबाज हो ऑलराउंडर या फिर गेंदबाज. लेकिन इनमें से कुछ ही किस्मत और टैलेंट के दम पर टीम इंडिया में पैर जमाने में कामयाब होते हैं. 24 साल बाद उस खिलाड़ी ने अपने करियर की कहानी बताई है, जिसका करियर बीसीसीआई सचिव के फैसले के चलते खत्म हो गया.
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Gyanendra Pande: भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. हर साल कई नए चेहरे उभर कर सामने आते हैं, फिर चाहे बल्लेबाज हो ऑलराउंडर या फिर गेंदबाज. लेकिन इनमें से कुछ ही किस्मत और टैलेंट के दम पर टीम इंडिया में पैर जमाने में कामयाब होते हैं. 24 साल बाद उस खिलाड़ी ने अपने करियर की कहानी बताई है, जिसका करियर बीसीसीआई सचिव के फैसले के चलते खत्म हो गया.
पाकिस्तान के खिलाफ हुआ था डेब्यू
हम बात कर रहे हैं ज्ञानेंद्र पांडे की जिनके घरेलू क्रिकेट में आंकड़े आसमान छूते नजर आते हैं. उन्होंने सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गजों के साथ क्रिकेट खेला. साल 1999 में टीम इंडिया में एंट्री पाकिस्तान के खिलाफ महामुकाबले में हुई. उन्होंने दलीप ट्रॉफी, देवधर ट्रॉफी और चैलेंजर ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया था, जिसके बाद उन्हें भारतीय टीम में चुना गया. लेकिन बदकिस्मती से इस शानदार ऑलराउंडर का करियर हफ्तेभर में ही खत्म हो गया. पाकिस्तान के बाद उन्हें इग्नोर कर दिया गया. अब इस खिलाड़ी ने अपनी कहानी पर 24 साल बाद चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने पूर्व बीसीसीआई सचिव जयवंत लेले को लेकर बड़ी बात कह दी है.
क्या बोले पांडे?
पांडे के मुताबिक उन्हें इग्नोर किया गया, वो न्यूजीलैंड के खिलाफ अगली सीरीज में जगह बना सकते थे. उन्होंने लल्लनटॉप के साथ इंटरव्यू में बताया, '1997 में मैंने अच्छा प्रदर्शन किया था. दलीप ट्रॉफी के फाइनल में मैंने 44 रन बनाए और तीन विकेट लिए. देवधर ट्रॉफी में मेरा प्रदर्शन असाधारण रहा. नॉर्थ जोन में विक्रम राठौर, वीरेंद्र सहवाग और नवजोत सिद्धू शामिल थे. मैंने पांच विकेट लिए और नाबाद 23 रन बनाए. वेस्ट जोन के खिलाफ मैंने नाबाद 89 रन बनाए और ईस्ट जोन के खिलाफ 2-3 विकेट लिए. साउथ जोन के खिलाफ मैंने नाबाद 28 या 30 रन बनाए और 2-3 विकेट लिए. चैलेंजर ट्रॉफी में, मैंने रॉबिन सिंह और अमय खुरसिया को आउट किया. इंडिया ए के लिए, मैंने 26 रन देकर दो विकेट लिए और फिर मुझे इंडिया कॉल-अप मिला. यह साल 1999 की बात है.'
'हम हैंडल नहीं कर पाए'
लल्लनटॉप द्वारा खुलासा किया गया कि आपका सेलेक्शन न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में हो गया था. लेकिन अचानक उस दौरान बीसीसीआई सचिव का बयान आया, 'अगर कुंबले ने ब्रेक मांगा है, लेफ्ट आर्म को ही खिलाना था तो सुनील जोशी को क्यों नहीं चुना?' इसपर पांडे ने जवाब दिया, 'लेले जी को जो कुछ भी कहना था, उसके बारे में सोचना चाहिए था. उन्हें मेरा प्रदर्शन देखना चाहिए था. वे एक अंपायर भी थे। मैं समझता हूं, यह मेरी गलती थी. मुझे तरकीबें नहीं पता थीं, मुझे समझ नहीं आया कि ये चीजें कैसे काम करती हैं. मैं इसे संभाल नहीं पाया और इसलिए बदनाम हो गया. यहां तक कि मीडिया ने भी मेरी कहानी नहीं छापी. कोई भी मुझसे कुछ पूछने नहीं आया. उन्होंने सिर्फ़ शीर्ष अधिकारियों से संपर्क किया.' पांडे अब एसबीआई में पीआर एजेंट के रूप में काम करते हैं.