...जब रोते हुए ईशांत से पत्नी ने कहा, 'क्रिकेट को सिर पर चढ़ाकर न रखा करो'
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...जब रोते हुए ईशांत से पत्नी ने कहा, 'क्रिकेट को सिर पर चढ़ाकर न रखा करो'

भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में जिस तरह से प्रदर्शन किया, उसको लेकर उनके चेहरे पर खुशी है.

ईशांत शर्मा हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटे हैं...(फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: बात 2013 की है. ऑस्ट्रेलिया टीम भारत के दौरे पर आई थी. ईशांत शर्मा वनडे टीम का हिस्सा थे. तीसरा वनडे मोहाली में खेला गया. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 303 रन बनाए. जबाव में ऑस्ट्रेलियाई टीम मैच हारने की कगार पर थी. 46 ओवर पूरे होने के बाद, ऑस्ट्रेलिया को 18 गेंदों में 44 रन की दरकार थी. 

47वां ओवर लेकर ईशांत शर्मा आए. उनके सामने थे जेम्स फॉकनर. फॉकनर ने ईशांत शर्मा को निशाना बनाते हुए उनकी गेंदबाजी की धज्जियां उड़ा दी. फॉकनर ने ईशांत के 47वें ओवर में 4,6,6,2,6,6 जड़ते हुए कुल 30 रन बटोरे थे. अब ऑस्ट्रेलिया को 12 गेंदों में 14 रन की जरूरत थी. ऑस्ट्रेलिया ने चार विकेट से यह मैच जीत लिया.

मैच के बाद भारतीय प्रशंसकों ने ईशांत शर्मा को जमकर ट्रोल किया था. उन्हें 'मैच का मुजरिम' करार दिया गया लेकिन ईशांत के दिल पर इस हार के बाद क्या गुजरी, इसका खुलासा खुद शर्मा ने हाल ही में किया. ईशांत इस हार से इतने निराश हुए कि उनकी पत्नी को कहना पड़ा कि क्रिकेट को सिर पर चढ़ाकर न रखा करो.

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में ईशांत ने बताया, "मुझे लगता है कि वो पहला दिन था जब मैं फूट-फूटकर रोया. मैं केवल एक दिन नहीं बल्कि कम से कम पंद्रह दिन तक रोया. यह मेरे करियर पर सबसे बड़ा आघात था. मैंने इस ओवर में 30 रन दिए. मैं इस ओवर को 'फॉकनर ओवर' कहता हूं."

अपनी मनोदशा को याद करते हुए शर्मा ने कहा, "मैं खुद के प्रति काफी कठोर हूं. मैं अपनी खामियों को नजरअंदाज नहीं करता. मैंने भारत के लिए मैच गंवाया था. यह मेरे करियर का सबसे खराब दिन था." ईशांत को 'सदमे' से उबारने में सबसे ज्यादा मदद उनके मित्र राजीव महाजन और उनकी पत्नी प्रतिमा सिंह ने की. शर्मा ने कहा, "मैं सच में डिप्रेशन में था. मैं उस समय अपनी पत्नी के साथ डेट कर रहा था. उसने मुझसे कहा था - आप दो चीजें कर सकते हैं. या तो घर बैठो या फिर बाहर निकलो और कड़ी मेहनत करो. यह सलाह सामान्य सी नजर आती है लेकिन इससे बहुत फायदा हुआ. इससे मेरा जीवन बदल गया. हालांकि मैंने इस सलाह के बारे में कभी अपनी पत्नी को नहीं बताया."

इस संबंध में उनकी पत्नी प्रतिमा ने कहा, "मैंने वह मैच नहीं देखा था. जैसे ही मुझे 30 रन देने की खबर लगी, मैंने इन्हें (ईशांत को) मैसेज किए लेकिन कोई जवाब नहीं मिला." प्रतिमा ने बताया, "बाद में जब मेरी बात ईशांत से हुई तो मैंने सांत्वना देते हुए कहा कि क्रिकेट ही सब कुछ नहीं है. बहुत बड़ी जिंदगी है. क्रिकेट को सिर पर चढ़ाकर न रखा करो."

जब प्रतिमा को ईशांत के रोने की बात बताई गई तो उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "मैंने उन्हें कभी रोते हुए नहीं देखा. वह 15 दिन तक रोते रहे, इसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती." प्रतिमा ने कहा, "ईमानदारी से कहूं, उस समय में मैं इन्हें (प्रशांत को) सलाह दे रही थी लेकिन सच्चाई यह है कि अगर फॉकनर मेरे सामने खड़े होते तो मैं उन्हें नहीं पहचान पाती."

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साक्षात्कार के समय शर्मा दंपति ने बताया कि वे दो वर्षों तक एकदूसरे से काफी करीब रहे. पहले दोस्त के तौर पर फिर एक दंपति के तौर पर. प्रतिमा बास्केटबॉल की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रही हैं. प्रतिमा ने खेल की जिंदगी पर अपना नजरिया रखते हुए कहा, "खेल आप पर हावी नहीं होना चाहिए. इससे आप पर दबाव बनता है. इस नजरिये के चलते आप जीवन का आनंद नहीं उठा सकते. अगर आप जीवन का आनंद नहीं उठा सकते तो आप अच्छा खेल नहीं सकते." 

ईशांत शर्मा हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटे हैं. भारतीय टीम ने जिस तरह से प्रदर्शन किया, उसको लेकर उनके चेहरे पर खुशी है. शर्मा ने पेस आक्रमण का नेतृत्व किया.

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