हॉकी: पाकिस्तान को पैसों की तंगी, ओलंपिक क्वालिफायर से हटने को हो सकता है मजबूर
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हॉकी: पाकिस्तान को पैसों की तंगी, ओलंपिक क्वालिफायर से हटने को हो सकता है मजबूर

पाकिस्तान को प्रो हॉकी लीग के मैच खेलने के लिए अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूरोप दौरे पर जाना है. 

पाकिस्तानी हॉकी टीम. (फाइल फोटो)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान हॉकी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. टीम के खेल का स्तर तो नीचे जा ही रहा है. खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाएं भी कम हो गई हैं. इन सबके पीछे एक बड़ी वजह पैसों की कमी भी है. पाकिस्कान हॉकी महासंघ (पीएचएफ) पैसों की कमी से जूझ रहा है. वह इसी कारण एफआईएच प्रो हॉकी लीग से हटने पर विचार कर रहा है, जो 2020 ओलंपिक खेलों का क्वालीफाइंग टूर्नामेंट है.  

यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान हॉकी इस तरह के संकट में फंसा है. पिछले साल जब भारत में हॉकी वर्ल्ड कप हुआ, तब भी पाकिस्तान हॉकी महासंघ के पास इसमें हिस्सा लेने के लिए पैसे नहीं थे. पीएचएफ ने इसके बाद अपने देश के क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) से भी मदद मांगी थी, लेकिन उसे वहां भी निराश होना पड़ा था. बाद में एक कंपनी के सामने आने से पीएचएफ की मुश्किल दूर हुई. 

पाकिस्तान को अब प्रो हॉकी लीग के पहले चरण के मैच में अर्जेटीना के ब्यूनस आयर्स में दो फरवरी को खेलना है.  इसके बाद टीम को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा करना है. पाकिस्तान को इसके दूसरे चरण के मैचों के लिए यूरोप का दौरा करना है. जाहिर है, इन दौरों पर काफी पैसे खर्च होंगे. एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि पीएचएफ धन की कमी के कारण प्रो लीग से हटने पर विचार कर रहा है. हालांकि, अगर वह इससे हटता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से दो साल का निलंबन भी झेलना पड़ सकता है. 

पीएचएफ के इस अधिकारी ने कहा, ‘ पीएचएफ ने अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में होने वाले पहले चरण के मैचों के लिए लाहौर में अभ्यास शिविर लगाया है. इसके लिए 45 खिलाड़ियों को बुलाया गया है, लेकिन उनके दौरे के खर्च का इंतजाम अब तक नहीं हो सका है.’ 

पाकिस्तान हॉकी टीम को पहले चरण के दौरे में लिए ढाई करोड़ और यूरोप में होने वाले दूसरे दौर के लिए लगभग सात करोड़ रुपए की जरूरत होगी. उन्होंने कहा, ‘पीएचएफ ने धन के लिए सरकार से संपर्क किया लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिल रहा. ऐसा ही भारत में हुए विश्व कप के समय हुआ था, लेकिन तब हमने प्रायोजकों और कुछ निजी दान के माध्यम से धन का प्रबंध किया था.’ 

(इनपुट: भाषा)

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