हॉकी वर्ल्ड कप 28 नवंबर से 16 दिसंबर तक यहां खेला जाएगा जिसमें 16 टीमें भाग ले रही हैं.
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भुवनेश्वर: कभी भारतीय हॉकी की दीवार कहे जाने वाले महान डिफेंडर दिलीप टिर्की को अपने कैरियर में ओलंपिक और वर्ल्ड कप में मेडल नहीं जीत पाने का मलाल है लेकिन उन्हें यह उम्मीद है कि उनके शहर में पहली बार हो रहे हॉकी के इस महाकुंभ में भारतीय टीम 43 साल बाद मेडल जीतने में कामयाब रहेगी. भारत ने एकमात्र वर्ल्ड कप 1975 में जीता था और उसके बाद से आठ बार की ओलंपिक चैम्पियन टीम मेडल जीतने में नाकाम रही. खिताब जीतने से पहले 1973 में भारत ने रजत और 1971 में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. पिछली बार 2014 में हुए वर्ल्ड कप में भारत नौवें और 2010 में दिल्ली में हुए वर्ल्ड कप में आठवें स्थान पर रहा था.
पूर्व कप्तान टिर्की ने एक इंटरव्यू में कहा ,‘‘मैं अपने करियर ग्राफ से खुश हूं लेकिन यही दुख है कि ओलंपिक या वर्ल्ड कप नहीं जीत सका. मेरे खेलने के दिनों में हमने एशियाई स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया. मुझे ओलंपिक में कप्तानी का मौका मिला. चैम्पियंस ट्रॉफी में चौथे और ओलंपिक में सातवें स्थान पर रहे जबकि एफ्रो एशियाई खेलों में स्वर्ण मेडल जीता.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार मुझे लगता है कि हमारे पास मेडल जीतने का सुनहरा मौका है. कलिंगा स्टेडियम पर 15000 दर्शक जब भारतीय टीम की हौसलाअफजाई करेंगे तो अच्छे प्रदर्शन की अतिरिक्त प्रेरणा मिलेगी.’’
हॉकी वर्ल्ड कप 28 नवंबर से 16 दिसंबर तक यहां खेला जाएगा जिसमें 16 टीमें भाग ले रही हैं.
टिर्की ने कहा, ‘‘भारतीय टीम का आक्रमण बहुत अच्छा है. मनप्रीत, मनदीप और आकाशदीप बेहतरीन स्ट्राइकर हैं. पी आर श्रीजेश की अगुवाई में डिफेंस भी अच्छा है. चैम्पियंस ट्राफी में जिस तरह तालमेल से खेले , उसी तरह सीनियर जूनियर टीम का अच्छा संयोजन रहने पर हम मेडल जीत सकते हैं.’’
अनुभवी मिडफील्डर सरदार सिंह को नहीं चुने जाने और उनके हॉकी से संन्यास को हैरानी भरा बताते हुए उन्होंने कहा कि टीम को सरदार की जरूरत थी. उन्होंने कहा, ‘‘सरदार खेल सकता था और बस एक महीने की बात थी. मुझे भी हैरानी है कि वह इस तरह से बाहर हुआ. टीम को उसके हुनर और अनुभव की जरूरत थी.’’
हॉकी के ‘कैप्टन कूल’ रहे टिर्की ने खिलाड़ियों को संयम के साथ खेलने की सलाह दी.
उन्होंने कहा, ‘‘आज हॉकी इतनी तेज हो गई है कि खिलाड़ियों को समझ ही नहीं आता कि क्षण में क्या हो गया. पहले की हॉकी अलग थी और हम कूल होकर खेलते थे.मैं खिलाड़ियों से यही कहूंगा कि संयम के साथ ही खेलें. ग्रीनकार्ड वगैरह से हॉकी को ही नुकसान होगा.’’