इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड (Stuart Broad) ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (World Test Championship) पर सवाल उठाते हुए इसके प्वाइंट्स सिस्टम को बकवास बताया है.
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लंदन: इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (World Test Championship) पर सवाल उठाते हुए इसके प्वाइंट्स सिस्टम को बकवास बताया है. स्टुअर्ट ब्रॉड का कहना है कि भारत और बांग्लादेश के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज के प्वाइंट्स पांच मैचों की हाईप्रोफाइल एशेज सीरीज के प्वाइंट्स के बराबर कैसे हो सकते हैं.
ब्रॉड ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप पर उठाए सवाल
भारत और न्यूजीलैंड के बीच 18 से 22 जून के बीच साउथेम्प्टन में वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (World Test Championship) का फाइनल खेला जाएगा. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने हर सीरीज के लिए एक जैसे प्वाइंट्स सिस्टम की व्यवस्था की है ताकि कम टेस्ट मैच खेलने वाली टीमों पर असर नहीं पड़े.
ब्रॉड ने प्वाइंट्स सिस्टम को बताया बकवास
बॉड ने ‘प्रेस एसोसिएशन’ से बात करते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप अभी तक बिल्कुल सही है. पहली बार इसका आयोजन किया जा रहा है. यह मेरी समझ से परे है कि पांच मैचों की हाईप्रोफाइल एशेज सीरीज के प्वाइंट्स भारत और बांग्लादेश के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज के प्वाइंट्स के बराबर कैसे हो सकते हैं.
क्या है प्वाइंट्स सिस्टम?
वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप प्वाइंट्स सिस्टम के तहत सीरीज का परिणाम नहीं बल्कि मैचों के परिणाम के हिसाब से अंक दिए जा रहे थे. पांच मैचों की सीरीज में हर मैच जीतने पर कुल उपलब्ध अंकों के 20 प्रतिशत अंक मिल रहे थे जबकि दो मैचों की सीरीज में उपलब्ध अंकों के 50 प्रतिशत अंक मिल रहे थे.
ब्रॉड ने फाइनल में नहीं पहुंचने का रोना रोया
इंग्लैंड की तरफ से 146 टेस्ट मैचों में 517 विकेट लेने वाले 34 वर्षीय ब्रॉड ने कहा कि वर्तमान प्वाइंट्स सिस्टम में इंग्लैंड के लिए वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में पहुंचना बेहद मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, ‘‘वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के प्वाइंट्स सिस्टम पर काम करने की जरूरत है. हमारे पास मौका था, लेकिन इंग्लैंड की टीम जितनी अधिक क्रिकेट खेलती है उसे देखते हुए वर्तमान व्यवस्था में उसके लिए फाइनल में जगह बनाना मुश्किल होगा.’ भारत ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ लगातार दो सीरीज जीतकर इन दोनों टीमों की वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में पहुंचने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. ऑस्ट्रेलिया तीसरे और इंग्लैंड चौथे स्थान पर रहा था.