पीवी सिंधु विश्व चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.
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नई दिल्ली: रविवार की शाम पीवी सिंधु ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. वे बैडमिंटन की विश्व चैंपियन बनीं. सिंधु ऐसा करने वाली पहली भारतीय हैं. मैच से पहले कोच गोपीचंद के चेहरे पर कोई चिंता नही थी. मानो वे जानते थे कि सिंधु ये कारनामा आसानी से कर सकती है. जीत के बाद उन्होंने ही बताया, ‘खिलाड़ी को टूर्नामेंट में हर पल हर समय खेलना होता है. बहुत से मैच, प्रैक्टिस ... सबकुछ. जब तक आप फाइनल तक आते हो तब तक शरीर थक चुका होता है. सिंधु इससे अलग हैं. मुझे लगता है वे बहुत दिनों और हफ़्तों तक लगातार खेल सकती हैं. वे वाकई में एक चैंपियन खिलाड़ी हैं.’
चीन की चेन यू फेई ने सेमीफाइनल में सिंधु से हारने का कारण फिटनेस को बताया था. वही, सिंधु क्वार्टर फाइनल में ताइवान की ताई जू यिंग से लंबा मैच खेलने से लेकर फाइनल तक बेहद फिट नजर आईं. फाइनल में तो सिंधु ने नोजोमी ओकुहारा को शुरुआती राउंड से ही पछाड दिया था. नोजोमी फाइनल में उनके आगे कही नही टिक पाई. मानो सिंधु ने तय कर लिया था कि ये शाम हिंदुस्तान के नाम है.
सिंधु की फिटनेस में आक्रामक खेल और गजब की फिटनेस नजर आती है. ऐसा एक दिन की मेहनत से नहीं हुआ है. सालों तक न जाने कितने त्याग और मेहनत! 'उसके बाद जाकर इस मुकाम पर पहुंची है विश्व विजेता सिंधु! वे 2015 में ऑस्ट्रेलियाई ओपन के पहले राउंड में ही बाहर हो गई थीं. उन्होंने उस हार से सबक लिया और वहीं से सिंधु 2.0 के रूप में सामने आईं. 2015 के बाद से सिंधु कुछ अलग ही नजर आईं. मानो वे उस हार से रातोंरात बदल चुकी थीं.
गोपीचंद खुद बताते है कि सिंधु को खाने की चीजों पर पाबंदी से लेकर देर रात तक जागना तक छोड़ना पड़ा था. उस समय 20 वर्ष की सिंधु को लिस्ट मिला करती थी कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं. इसमें फोन से लेकर दोस्तों से न मिलना तक शामिल था.
रियो ओलंपिक तक सिंधु एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में बदल चुकी थीं. शायद उस समय नर्वस हो जाती थीं. लाज़मी भी था पहला ओलंपिक जो खेल रही थीं. आखिर दिसंबर में सिंधु दुबई में वर्ल्ड टूर फाइनल जीतीं. उन्होंने काने यामागुची को शिकस्त दी. दुबई की इस जीत के बाद से सिंधु की नजर ऑल इंग्लैंड और वर्ल्ड चैंपियनशिप पर थी. जिस पहली शाम सिंधु वर्ल्ड चैंपियनशिप में थीं तब से शायद उनको देखकर लगने लगा था कि ये एक चैंपियन खिलाड़ी है. वे इस बार अलग एनर्जी और अलग जोश के साथ आई थीं. ज्यादा फिट और आक्रामकता के साथ. और फिर उन्होंने मैच दर मैच सभी को ऐसे पछाड़ा जैसे किसी वीडियो गेम में, 'easy mode' ऑन हो गया हो.
वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोपीचंद ने सिंधु को बोल दिया था, ‘खुद को जाकर एक्सप्रेस करो. विरोधी पर दबाव बनाओ. कोर्ट पर चिल्लाओ अपने आप को व्यक्त करो.’ यही आक्रामकता सिंधु के खेल में देखने को मिली और वर्ल्ड चैंपियनशिप में लगातार 6 मैच जीतकर भारत को पहला गोल्ड दिला दिया.
24 साल की सिंधु ने पूरे विश्व में भारत को जो सम्मान दिलाया है उसके बारे में पूरा देश आज बात कर रहा है. रियो में सिल्वर था. तिरंगा भी था सिंधु के कंधों पर. लेकिन अब भारत 2020 में टोक्यो ओलिंपिक में जन गण मन बजता सुनने को बेताब नज़र आ रहा है. यकीनन, सिंधु ‘इजी मोड’को ऑन ही रखना चाहेंगी और हिंदुस्तान का परचम टोक्यो में लहराने को बेताब होंगी.