Chandrayaan-3 to do list: भारत का चंद्रयान-3 मिशन अब तक के अपने हर पड़ाव को सफलतापूर्वक पार कर लिया है. यह पृथ्वी की कक्षा छोड़ने और अपनी ट्रांस-चंद्र यात्रा शुरू करने के बाद चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है. अंतरिक्ष यान के 5 अगस्त को चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में पहुंचने की उम्मीद है.
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Chandrayaan-3 to do list: भारत का चंद्रयान-3 मिशन अब तक के अपने हर पड़ाव को सफलतापूर्वक पार कर लिया है. यह पृथ्वी की कक्षा छोड़ने और अपनी ट्रांस-चंद्र यात्रा शुरू करने के बाद चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है. अंतरिक्ष यान के 5 अगस्त को चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में पहुंचने की उम्मीद है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष यान पर नज़र रख रहा है और जांच के साथ निरंतर संचार बनाए रख रहा है. बता दें कि यह 38,000 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की स्पीड से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसरो ने कहा है कि अंतरिक्ष यान के 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है. चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र को लक्षित करेगा, जो विज्ञान के लिए एक समृद्ध भंडार है. चंद्रयान अज्ञात दुनिया के रहस्य को बेपर्दा करने के कई अहम पड़ाव पार कर चुका है. चंद्रयान-3 अपने साथ आठ पेलोड का एक सेट ले गया है, जिसमें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा उपलब्ध कराया गया एक पेलोड भी शामिल है. आइये अब आपको बताते हैं कि चांद पर लैंड करने के बाद चंद्रयान-3 क्या करेगा.
इस क्रम में चंद्रयान-3 का propulsion module बेहद खास है. इसके शेप (SHAPE) को उन परिवर्तनों को देखने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो लाइफ-सपोर्ट वातावरण से गुजरने वाले तारों की रोशनी में होता है. यह प्रयोग खगोल विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण छलांग है क्योंकि इसका उद्देश्य पृथ्वी जैसे, रहने योग्य ग्रहों की खोज में नासा और ईएसए जैसी प्रतिष्ठित अंतरिक्ष एजेंसियों की कतार में शामिल होना है.
चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल आईएलएसए नाम का एक विशेष उपकरण ले जा रहा है, जिसका मतलब चंद्र भूकंपीय गतिविधि से जुड़े डिवाइस से है. ILSA का मुख्य काम चांद के भूकंपों का पता लगाना और उनका अध्ययन करना है. आसान शब्दों में कहें तो यह चंद्रमा की सतह के नीचे कंपन या गड़गड़ाहट का पता लगाएगा.
जानकारों का मानना है कि चांद के पृथ्वी से 1000 गुना अधिक शांत होने की उम्मीद है. एक बार जब आईएलएसए इसकी पुष्टि करेगा, तो यह भविष्य की खोज में रोमांचक संभावनाओं का विस्तार होगा. यह चांद की सतह पर लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव वेधशाला ( Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory) स्थापित भी करेगा. LIGO एक उन्नत उपकरण है जो गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने और उनका अध्ययन करने के लिए है.
रंभा और लैंगमुइर (एलपी) डिवाइस प्लाज्मा गतिविधियों की स्टडी करने के लिए हैं. प्लाज्मा पदार्थ की एक अवस्था है जिसमें इलेक्ट्रॉन और आयन जैसे आवेशित कण होते हैं. यह शोध भविष्य के चंद्र अन्वेषण मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है. खासकर अंगर इंसान को चांद की सतह पर लंबे समय तक रहना है या इसे अंतरग्रहीय यात्रा के लिए आधार के रूप में उपयोग करना है तो यह बेहद जरूरी है.
चांद का सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) चंद्रयान-3 के लिए एक महत्वपूर्ण पेलोड है जो चांद की सतह के थर्मो-फिजिकल व्यवहार का अध्ययन करने पर केंद्रित है. चाएसटीई के प्रयोग हमें तापमान भिन्नता के प्रति चंद्रमा की सतह की प्रतिक्रिया के बारे में मूल्यवान डेटा प्रदान करेंगे, जो उन प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालेंगे जिन्होंने लाखों वर्षों में चंद्रमा के इलाके को आकार दिया है.
LASER रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे नासा का एक महत्वपूर्ण पेलोड है, जिसे चंद्रमा और पृथ्वी के बीच वास्तविक समय की दूरी मापने की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है. वास्तविक समय दूरी माप प्राप्त करके, हम चंद्रमा के कक्षीय व्यवहार और पृथ्वी पर इसके प्रभाव की गहरी समझ प्राप्त कर सकते हैं. यह ज्ञान ज्वारीय पैटर्न की सटीक भविष्यवाणी करने, समुद्री धाराओं को समझने और तटीय वातावरण के प्रबंधन के लिए आवश्यक है.
अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) दो महत्वपूर्ण डिवाइस हैं जो चांद पर मिट्टी की जांच करने के लिए हैं.