क्या हैं Flex Fuel के फायदे? दशकों से इस्तेमाल कर रहा ब्राजील
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क्या हैं Flex Fuel के फायदे? दशकों से इस्तेमाल कर रहा ब्राजील

Flex Fuel: भारत के लोगों के लिए फ्लेक्स फ्यूल अभी नई चीज है. लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. खैर, हम आपको बताते हैं कि फ्लेक्स फ्यूल क्या होता है और इसके क्या फायदे हैं.

Benefits of Flex Fuel

Flex Fuel Benefits: आजकल फ्लेक्स फ्यूल की काफी चर्चा हो रही है. लेकिन, ये क्या होता है और इसके क्या फायदे हैं, यह कम ही लोग जानते होंगे. दरअसल, पेट्रोल या डीजल में इथेनॉल मिलाने पर जो फ्यूल बनता है, उसे फ्लेक्स फ्यूल कहते हैं. भारत में फ्लेक्स फ्यूल को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन, आखिर ऐसा क्यों हैं और फ्लेक्स फ्यूल के क्या फायदे हैं? चलिए, समझते हैं.

ब्राजील बड़ा उदाहरण है

इसका सबसे बड़ा फायदा है कि इससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है. इससे प्रदूषण कम होता है और साथ ही यह पेट्रोल-डीजल के मुकाबले सस्ता भी होता है. फ्लेक्स फ्यूल (Flex Fuel) के फायदों को समझने के लिए ब्राजील का उदाहरण लेते हैं.  ब्राजील ने 1975 में तेल के मामले में खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गन्ने से Ethenol बनाने का काम शुरु किया था .

1979 में पहली बार ब्राजील में FIAT ने Ethenol पर चलने वाली कार लॉन्च की थी. आज ब्राजील में चलने वाली 93 प्रतिशत कारों में Flex Fuel इंजन लगा होता है. Statista.Com के मुताबिक, ब्राजील में Ethanol Based Fuel के इस्तेमाल से 134 करोड़ टन Carbon-Di-Oxide का उत्सर्जन घट गया है. इतना ही नहीं, साल 2019 में सिर्फ एक साल में ही ब्राजील की अर्थव्यवस्था में एक लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है.

भारत को क्या फायदे होंगे? 

अगर भारत की बात करें तो Ethenol Based Flex Fuel से भारत को कई फायदे होंगे. पहला फायदा ये होगा कि दूसरे देशों से कम तेल खरीदना पड़ेगा. सरकार का दावा है कि Ethenol के इस्तेमाल से साल 2014 से नवंबर 2022 तक 53 हजार 894 करोड़ रुपये की बचत हुई है और आने वाले वक्त में हर साल तीस हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है.

दूसरा फायदा ये होगा कि पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर कम होगा. भारत में अभी तो सिर्फ Ethenol का Limited इस्तेमाल हो रहा है, तब भी इससे साल 2014 से नवंबर 2022 तक 318 लाख टन Carbon-Di-Oxide का उत्सर्जन कम हुआ है.

तीसरा फायदा ये होगा कि किसानों की आय में बढोतरी होगी. पिछले सात सालों में Ethenol बनाने के लिए तेल मार्केटिंग कंपनियां, किसानों को 81 हजार 796 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी हैं.

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