Himachal Pradesh disaster: हिमाचल जिसे जन्नत जैसा खूबसूरत प्रदेश माना जाता था. किसी को नहीं पता था कि देश के फेवरेट हॉलीडे डेस्टिनेशन में सदी की सबसे बड़ी त्रासदी आने वाली है. सोचा भी न था कि यहां कयामत डेरा डालने वाली है और मंजर ऐसा होगा जो 2013 में उत्तराखंड में आई तबाही की याद दिलाने लगेगा.
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Most of the devastation happened around Beas river: देश की कई नदियां उफान पर हैं. जिनमें ब्यास और यमुना का जिक्र सबसे ज्यादा हो रहा है. पहाड़ी राज्यों में पानी और तेज हवाओं से जानोमाल का भारी खतरा पैदा हो चुका है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मानो कुदरत के कहर यानी आसमानी आफत का पार्ट 2 चल रहा है. जहां बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश से भारी तबाही मचा रही है. सूबे के कुछ सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों की बात करें तो ब्यास नदी (Beas river) के पास घनी आबादी वाले कुल्लू और मनाली (Manali) में भीषण तबाही हुई है.
हिमाचल में कुदरत की विनाशलीला
हिमाचल प्रदेश में बारिश से भारी तबाही मची है. सड़कें-पुल बह गए हैं. रेल ट्रैक के नीचे की जमीन गायब हो चुकी है. सूबे के अधिकांश इलाकों में बत्ती गुल है. बताया जा रहा है कि अगले 24-48 घंटे काफी अहम हैं. बीते कई दिनों से मंडी से मनाली तक का हाईवे कई जगह पर बंद है. सड़कों के हिस्से टूट गए हैं. पिछले 72 घंटों में तेज रफ्तार से बह रहा पानी कई जगहों पर पुलों, इमारतों और गाड़ियों को बहा ले गया है. हिमाचल सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बीते कुछ दिनों में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हिमाचल प्रदेश में 30 से ज्यादा इलाकों में भूस्खलन हुआ है. एक जगह बादल फटा है, 24 जगहों पर बाढ़ आई है. 825 सड़कों को नुकसान हुआ है और बिजली की 4000 से ज्यादा लाइनें खराब हुई हैं इसी तरह से पानी के सैकड़ों पाइप टूट चुके हैं.
'जल प्रलय' में फंसे पर्यटक?
भारी बारिश की वजह से पहाड़ टूट रहे हैं. पहाड़ों से पानी के साथ भारी मलबा नीचे आ रहा है. इसकी चपेट में आने से इमारतें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. हाइवे टूट रहे हैं. बीते कुछ दिनों में शिमला कालका हाईवे को बार-बार बंद करना पड़ रहा है. जहां भूस्खलन होने के साथ-साथ बड़े-बड़े पत्थर भी गिर रहे हैं. भारी बारिश की वजह से कई जगहों पर स्थानीय निवासी और पर्यटक फंसे हुए हैं.
ब्यास नहीं के किनारे ज्यादा तबाही क्यों मची?
मंडी में रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी इस तरह का पानी ब्यास नदी में नहीं देखा. ब्यास के पानी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. ऐसे में पर्यावरणविदों को लगता है कि हिमाचल में उफनी नदियों, खासकर ब्यास की वजह से हुई भारी तबाही का कारण और मानव निर्मित आपदा है. उनका कहना है कि विकास कार्यों के लिए पहाड़ों में विस्फोट और निर्माण कार्यों के बेहिसाब वाहनों का पहाड़ी सड़कों पर दौड़ाना भी सही नहीं है. यानी साफ है कि पर्यावरणविदों को लगता है कि हिमाचल में उफनी नदियों, खासकर ब्यास की वजह से हुई भारी तबाही का कारण यही मैन मेड डिजास्टर है.
कमजोर हो चुके पहाड़ो में हाइवे निकालना हो या हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए सुरंग खोदना. इससे पहाड़ और पत्थर हिलते हैं. असुरक्षित निर्माण हर जगह हो रहा है. कंस्ट्रक्शन साइट्स का कचरा नदियों तक पहुंच रहा है. ब्यास नदी की घाटी में भी कंस्ट्रक्शन का काम नदी के बेहद पास पहुंच गया है. ऐसे में अचानक आई बाढ़ से नुकसान का खतरा बढ़ गया है.
ब्यास में तेज स्पीड से आ रहे पानी ने रास्ता बदला और मनाली से मंडी के बीच बहुत से मकान, वाहन, जानवर और कई जगहों पर राष्ट्रीय राजमार्ग के हिस्से बह गए. ब्यास के सैलाब में जो भी आया बह गया. वैसे भी ब्यास की रफ़्तार इस क्षेत्र में तेज होती है और पानी सड़क से बहुत दूर नहीं होता है.
ब्यास नदी हिमाचल में बहने वाली एक प्रमुख नदी है. यह कुल्लू में व्यास कुंड से निकलती है. यह कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा में बहती है. यही वजह है कि सबसे ज्यादा तबाही ब्यास नदी के आस-पास हुई है.