सवाल ये भी है कि आज जब सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा ख़त्म हो जाएगी तब क्या होगा? इसका जवाब है कि भारत सरकार इन कम्पनियों के ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठा सकती है. कंपनियों को IT Act 2000 के सेक्शन 79 के तहत जो प्रोटेक्शन मिलती है, वो ख़त्म की जा सकती है.
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नई दिल्ली: आज के दौर में ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब जैसी तमाम सोशल साइट्स भारत के करोड़ों लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं. लेकिन मंगलवार से ये सभी सोशल मीडिया साइट्स बंद हो जाएंगी. देश में इस बात की चर्चा भी जोरों पर है. तो आखिर ये चर्चा क्यों हो रही है?
देश में कई वर्ग आरोप लगा रहे हैं कि सोशल मीडिया निरंकुश हो रही है. इसके बाद सरकार ने सेाशल मीडिया कंपनियों को शिकायत और निगरानी के लिए भारत में अफसरों की नियुक्त करने के निर्देश दिए थे. लेकिन भारतीय सोशल मीडिया कंपनी कू को छोड़कर किसी भी सोशल मीडिया कंपनी ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया.
सरकार की ओर से 25 फरवरी को 2021 को दिए गए निर्देशों की डेडलाइन आज ख़त्म हो रही है. इसके बाद ये माना जा रहा है कि सरकार इन सोशल मीडिया कंपनियों पर कार्रवाई कर सकती है.
ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियों को सरकार ने गाइडलाइन बनाने के लिए 3 महीने का वक्त दिया था, जिसकी मियाद आज खत्म हो रही है. अब तक भारतीय कंपनी कू को छोड़कर किसी भी कंपनी ने सरकार को जवाब नहीं दिया है.
केंद्र ने इस साल की 25 फरवरी को फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के लिए ज्यादा कड़े नियमों की घोषणा की थी, जिसके तहत उन्हें रिपोर्ट की गई सामग्री को 36 घंटे में हटाना पड़ेगा और भारत में काम करने वाले किसी अधिकारी के साथ एक शिकायत निवारण सिस्टम बनाना होगा.
इन नियमों के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में अपना ऑफिसर और कॉन्टेक्ट ऐड्रेस देने होंगे. साथ ही कंपलायंस अधिकारी की नियुक्ति, शिकायत-समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, कंप्लायंस रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाने जैसे नियम इसमें शामिल हैं.
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दरअसल बीते कुछ सालों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल बेहद गलत तरीके से किया जा रहा है. सोशल मीडिया के जरिए अफवाहों को फैलाना, आपत्तिजनक जानकारी शेयर करना, देश में माहौल खराब करने जैसे काम लगातार किए जा रहे हैं. कई बार ऐसे मामले कोर्ट तक भी पहुंचे हैं. सरकार के बार-बार निर्देश देने के बावजूद अब तक सोशल मीडिया कंपनियों की ओर इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे. इसके बाद सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को एक सख्त गाइडलाइन बनाने का निर्देश दिया था.
सूत्रों के मुताबिक अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स नियमों का पालन नहीं करते हैं, यानी गाइडलाइन नहीं बनाते हैं तो इन्हें दी गईं कई सुविधाएं सरकार खत्म कर सकती है. इसमें सबसे बड़ी सुविधा सोशल मीडिया कंपनियों की कोर्ट में पार्टी नहीं बनाने की थी जो अब खत्म हो सकती है. यानी इन कंपनियों को कोर्ट में पार्टी बनाया जा सकता है.
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सवाल ये भी है कि आज जब सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा ख़त्म हो जाएगी तब क्या होगा? इसका जवाब है कि भारत सरकार इन कम्पनियों के ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठा सकती है. कंपनियों को IT Act 2000 के सेक्शन 79 के तहत जो प्रोटेक्शन मिलती है, वो ख़त्म की जा सकती है. सेक्शन 79 ये सुनिश्चित करता है कि अगर इन कम्पनियों के प्लेटफॉर्म पर कोई व्यक्ति गैर क़ानूनी जानकारी शेयर करता है तो इसके लिए ये कंपनियां ज़िम्मेदारी नहीं होंगी.
हालांकि सरकार ने 25 फरवरी को जो दिशा निर्देश दिए थे, उनमें कहा था कि अगर कोर्ट और सरकार के आदेश के बाद ये कंपनियां किसी कटेंट को नहीं हटाती हैं तो सेक्शन 79 के अन्तर्गत उनसे ये अधिकार छीन लिया जाएगा.
भारत सरकार की ओर से दी गई डेडलाइन खत्म होते देख फेसबुक ने बयान जारी कर नियमों को मानने की बात कही है. कंपनी की ओर कहा गया कि वह भारत सरकार के नियमों का पालन करेगी लेकिन कुछ मुद्दों पर अभी बातचीत चल रही है.
फेसबुक ने कहा कि आईटी एक्ट के मुताबिक जो नियम तय किए गए हैं, हम उनको मानने के लिए तैयार हैं और अपनी कार्यशैली में सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं. कंपनी ने कहा कि हमने लोगों को सुरक्षित होकर और आजादी के साथ अपनी बात रखने का मंच दिया है.
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