क्या अब धूप से चार्ज होगा आपका Smartphone? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली नई टेक्नोलॉजी
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क्या अब धूप से चार्ज होगा आपका Smartphone? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली नई टेक्नोलॉजी

इस नई तकनीक से हम रोजमर्रा की चीजों जैसे बैग, कार और इमारतों पर भी सौर पैनल लगा सकेंगे. यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि आगे जाकर यह फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को भी धूप की मदद से चार्ज कर सकेगा. 

 

क्या अब धूप से चार्ज होगा आपका Smartphone? वैज्ञानिकों ने खोज निकाली नई टेक्नोलॉजी

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई टेक्नोलॉजी बनाई है जिससे सोलर एनर्जी को बहुत आसानी से इस्तेमाल किया जा सकेगा. यह मटेरियल बहुत पतला है और इसमें एक खास तरह की कोटिंग होती है जो किसी भी सतह पर लगाने पर बिजली बना सकती है. इस नई तकनीक से हम रोजमर्रा की चीजों जैसे बैग, कार और इमारतों पर भी सौर पैनल लगा सकेंगे. यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि आगे जाकर यह फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को भी धूप की मदद से चार्ज कर सकेगा. 

वैज्ञानिकों ने इस नई मटेरियल में कई परतें जोड़कर बिजली बनाने की क्षमता को 27 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा दिया है. यह पहली बार है जब इस तरह की मटेरियल ने सामान्य सौर पैनल जितनी बिजली बनाई है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक, डॉ. शुआइफेंग हू ने बताया कि उन्होंने सिर्फ पांच साल में ही इस तकनीक को इतना बेहतर बना दिया है. वो मानते हैं कि आगे चलकर ये मटेरियल 45 प्रतिशत से भी ज्यादा बिजली बना सकता है. जापान की एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्था (Japan’s National Institute of Advanced Industrial Science and Technology) ने भी इस नई मटेरियल की जांच की है और इसे सही पाया है.

सोलर पैनल से क्यों है अच्छा?

इस नया मटेरियल से मौजूदा सोलर टेक्नोलॉजी की तुलना में बहुत फायदे हैं क्योंकि यह फ्लैगजिबल है और बहुत अच्छी तरह से काम करता है. इसे किसी भी मुड़े हुए सतह पर लगाया जा सकता है और यह सूरज की रोशनी से बहुत अच्छी तरह से बिजली बनाती है. वैज्ञानिकों को पूरा विश्वास है कि इससे सौर ऊर्जा की कीमत कम होगी और यह सबसे अच्छी और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा बन जाएगी.

एक दूसरे वैज्ञानिक, डॉ. जुनके वांग ने बताया कि हमने एक नई तरह की सामग्री बनाई है जिसे किसी भी चीज़ पर लगाया जा सकता है. यह सामग्री सिलिकॉन से भी ज्यादा अच्छी तरह से काम करती है और इसे मोड़ा भी जा सकता है. यह बहुत ज़रूरी है क्योंकि इससे हम बहुत ज्यादा सौर ऊर्जा पैदा कर सकते हैं और बड़े-बड़े सौर पैनल लगाने की ज़रूरत कम हो जाएगी.

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