ऑनलाइन शॉपिंग करते समय सावधानी बरतना बहुत जरूरी है. क्योंकि त्योहारी सीजन में सबसे ज्यादा ई-कॉमर्स साइट पर नकली प्रोडक्ट की बिक्री की जाती है.
सबसे ज्यादा ऑनलाइन फर्जीवाड़ा फेक वेबसाइट से होता है. ऐसा देखा गया है कि अक्सर लोगों को WhatsApp या किसी अन्य मैसेजिंग ऐप से Flipkart या Amazon पर भारी डिस्काउंट और डील का ऑफर मिलता है. इस ऑफर के साथ एक लिंक दिया गया होता है, जो ज्यादातर फर्जी होते हैं. ऐसे में इस लिंक से ऑनलाइन शॉपिंग करने से पहले वेबसाइट के नकली होने की जांच कर लें. साफ है कि अगर वेबसाइट फर्जी है, तो प्रोडक्ट जरूर फर्जी होगा. ऐसे ऑनलाइन प्रोडक्ट की खरीददारी करते वक्त लिंक के URL को सावधानी से चेक करें. बता दें कि असली वेबसाइट https से शुरू होती है. और ज्यादातर नकली वेबसाइट http से शुरू होती है. ऐसे में हमेशा https से शुरू होने वाली वेबसाइट से ही ऑनलाइन शॉपिंग करें.
हर एक प्रोडक्ट का एक मॉडल नंबर होता है. इस मॉडल नंबर को कई ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट पर डालकर देंखे. साथ ही प्रोडक्ट की ऑफिशियल वेबसाइट से भी इसी मॉडल नंबर की डिटेल हासिल करें. उदाहरण के तौर पर- अगर ऑनलाइन मोबाइल खरीद रहे हैं, तो बॉक्स के पर लिखे IMEI नंबर को देखें और प्रोडक्ट को खरीदने से पहले इसे ब्रांड की ऑफिशियल वेबसाइट से मिलाएं. आपको बता दें कि ई-कॉमर्स साइट कई प्रोडक्ट की बिक्री थर्ड पार्टी के जरिए की जाती है. ऐसे में असली और नकली प्रोडक्ट की पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. लेकिन सावधानी बरतते हुए ठगी से बचा जा सकता है.
ठगी की बढ़ती वारदातों को देखते हुए अब इलेक्ट्रॉनिक और FMCG कंपनियां नकली प्रोडक्ट से बचाव के लिए एक खास तरह का QR कोड और होलोग्राम लगाने लगी है, जिसके जरिए असली नकली की पहचान हो सकती है. इसके अलावा नकली प्रोडक्ट की पहचान के लिए फूड रेगुलेटर FSSAI के Smart Consumer ऐप की भी मदद ले सकते हैं. इसे गूगल प्ले स्टेार से डाउनलोड करके इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐप में आपको QR code स्कैन करने और QR नंबर दर्ज करना होगा. इसके बाद आपको प्रोडक्ट के मैन्युफैक्चरिंग डिटेल हासिल हो जाएगी.
नकली सामान की पहचान कंपनी के लोगो (Logo) और स्पेलिंग से की जा सकती है. नकली सामान बेचने वाली कंपनियां बिल्कुल हूबहू लोगो बनाती हैं. लेकिन यह ब्रांड के logo से कुछ अलग होता है जो आसानी से पकड़ में नहीं आता. साथ ही ब्रांड के नाम में स्पेलिंग की गलत प्लेसिंग करके नकली प्रोडक्ट की बिक्री करती हैं. ऐसे में ऑनलाइन सामान खरीदते वक्त हमेशा ब्रांड के logo को ध्यान से देखना चाहिए. साथ ही प्रोडक्ट की स्पेलिंग की भी सही से जांच पड़ताल करनी चाहिए. साथ ही कपडों की ऑनलाइन खरीददारी करते वक्त उसके फ्रैब्रिक की पहचान करनी चाहिए.
ऑनलाइन खरीददारी करते वक्त हमेशा चेक करना चाहिए कि जिस प्रोडक्ट की खरीद कर रहे हैं, उसपर फिजिकल एड्रेस, ईमेल, फोन नंबर और कॉन्टैक्ट डीटेल है या नहीं. अगर इनमें से कुछ भी मिसिंग होता है, तो जरूर प्रोडक्ट फर्जी होगा. साथ ही ऑनलाइन खरीददारी करते वक्त भारी डिस्काउंट के लालच में नहीं आना चाहिए. बता दें कि ब्रांडेड आइटम, लग्जरी प्रोडक्ट पर एमआरपी (MRP) की तुलना में 70-80 फीसदी का डिस्काउंट नहीं मिलता है. ऐसे में अगर MRP से 70 से 80 फीसदी से ज्यादा छूट मिल रही तो समझ लें कि आइटम नकली है.
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