RBI के हाथ लगा ऐसा हथियार! चुन-चुनकर पकड़ेगा कंगाल करने वालों को; जानिए क्या है Mulehunter.Ai
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RBI के हाथ लगा ऐसा हथियार! चुन-चुनकर पकड़ेगा कंगाल करने वालों को; जानिए क्या है Mulehunter.Ai

RBI का इनोवेशन हब (RBIH) बैंकों को "मूलहंटर.एआई" नाम का एक नया टूल इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा दे रहा है. यह टूल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित है और बैंक खातों में होने वाले फ्रॉड को पकड़ने में मदद करेगा.

RBI के हाथ लगा ऐसा हथियार! चुन-चुनकर पकड़ेगा कंगाल करने वालों को; जानिए क्या है Mulehunter.Ai

What Is Mulehunter.Ai: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने धोखाधड़ी से लड़ने के लिए एक नया कदम उठाया है. RBI का इनोवेशन हब (RBIH) बैंकों को "मूलहंटर.एआई" नाम का एक नया टूल इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा दे रहा है. यह टूल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित है और बैंक खातों में होने वाले फ्रॉड को पकड़ने में मदद करेगा. RBIH अन्य बैंकों के साथ भी बातचीत कर रहा है ताकि वे भी इस टूल को इस्तेमाल करें.

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, RBIH के सीईओ राजेश बंसल ने बताया कि मूलहंटर.एआई को दो बड़े सरकारी बैंकों ने पहले से ही इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और 10 और बैंकों के साथ इस बारे में बातचीत चल रही है.

कैसे काम करता है Mulehunter.Ai?

इस प्लेटफॉर्म का मकसद उन बैंक खातों को ढूंढना और चिन्हित करना है जिनका इस्तेमाल गलत तरीके से पैसे को साफ करने के लिए किया जाता है. इन खातों को ढूंढने के पुराने तरीके बहुत समय लेते हैं और अक्सर गलत होते हैं क्योंकि ये नियमों पर आधारित होते हैं और इंसानों द्वारा जांचे जाते हैं.

कम वक्त में ढूंढता है फ्रॉड

कई बैंकों के साथ मिलकर काम करके मूल अकाउंट्स की गतिविधियों के उन्नीस अलग-अलग पैटर्न का जांच करने के बाद इस प्लेटफॉर्म को बनाया गया था. Mulehunter.Ai के शुरुआती नतीजे सटीकता और तेजी दोनों में अच्छा सुधार दिखाते हैं. बंसल के अनुसार, शुरुआती नतीजे सटीकता के मामले में काफी बेहतर और कम वक्त लेने वाले रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBIH) को पता है कि पैसे से जुड़े धोखे बहुत बढ़ गए हैं और ये धोखे बहुत जटिल हो गए हैं. इन धोखों में अक्सर बहुत सारा पैसा शामिल होता है. RBIH का AI प्लेटफॉर्म इन धोखेबाज खातों को जल्दी से पकड़ने के लिए बनाया गया है. बंसल ने बताया कि 'धोखाधड़ी कई तरीकों से हो सकती है, और अब ये छोटी-मोटी रकम नहीं है, बल्कि आजकल करोड़ों रुपये तक पहुंच सकती हैं.' उन्होंने कहा कि 'सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि देखा जाए कि पैसा आखिरकार कहां जाता है - मूल अकाउंट्स में.'

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