MP Election Explainer: जब जरूरत थी तब राहुल गांधी 'नाथ' नहीं सके, अब चौंकने से क्या फायदा?
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MP Election Explainer: जब जरूरत थी तब राहुल गांधी 'नाथ' नहीं सके, अब चौंकने से क्या फायदा?

Kamal Nath: जानकार कह रहे हैं कि कमलनाथ का कथित 'अंहकारी' रवैया कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण है. कांग्रेस के 'इंडिया' गठबंधन के सहयोगी समाजवादी पार्टी ने तो खुलकर कलमनाथ पर हमला बोला है.

MP Election Explainer:  जब जरूरत थी तब राहुल गांधी 'नाथ' नहीं सके, अब चौंकने से क्या फायदा?

Madhya Pradesh Election Results 2023:  मध्य प्रदेश में इस बार सरकार बनाने का सपना देखने वाली कांग्रेस के लिए चुनाव परिणाम किसी सदमे से कम नहीं है. बीजेपी ने सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि 163 सीटे जीत दर्ज कर नया रिकॉर्ड बना दिया दूसरी तरफ कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटें से ही संतोष करना पड़ा. अब इस हार की जिम्मेदारी तय करने का समय है और जानकार कह रहे हैं कि कमलनाथ का कथित 'अंहकारी' रवैया कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण है. कांग्रेस के 'इंडिया' गठबंधन के सहयोगी समाजवादी पार्टी ने तो खुलकर कलमनाथ पर हमला बोला है.

पीटीआई-भाषा के मुताबिक समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज सिंह यादव ‘काका’ ने कहा, 'मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने सपा प्रमुख के खिलाफ अमर्यादित बयान दिया. उन्होंने (कमलनाथ ने) चार बार सांसद और उप्र के मुख्यमंत्री रह चुके सपा प्रमुख को ‘अखिलेश-वखिलेश’ कहा, जिससे मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि जहां भी चुनाव हुए वहां का बहुजन वर्ग और पिछड़े वर्ग के लोग आहत हुए और उसका दुष्प्रभाव नतीजों पर पड़ा.'

काका ने कहा, 'अखिलेश यादव लगातार सामाजिक न्‍याय की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन कमलनाथ सामाजिक न्‍याय और जातीय जनगणना को लेकर एक शब्द भी नहीं बोले. यह चुनाव परिणाम उनके अहंकार की हार है.' 

सहयोगियों की कमलनाथ ने एक न सुनी
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक अक्टूबर माह में सपा और कांग्रेस के बीच टिकट बंटवारे को लेकर तल्‍खी बढ़ गयी और मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने सपा को एक भी सीट देने से इनकार कर दिया था. जबकि समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में केवल चार से छह सीटें मांग रही थी. वहीं जदयू प्रदेश में केवल एक सीट पर लड़ना चाहती थी लेकिन कमल नाथ नहीं माने.

चुनावी हार के बाद कमलनाथ के कथित 'तानाशाही रवैये' की खूब चर्चा हो रही है. मीडिया रिपोट्स में कहा जा रहा कि वो राजनीतिक बैठकों में कार्पोरेट मीटिंग जैसा व्यवहार और मिनटों के हिसाब से विधायकों केो मिलने का समय देते थे. जबकी दूसरी तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि ऐसी बनी हुई है कि वह लोगों से मिलते जुलते हैं.

कमलनाथ ने खेला सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड
इतना ही नहीं कमलनाथ ने राज्य में कथित तौर पर सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड भी खेला लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छिंदवाड़ा में आयोजित तीन दिवसीय राम कथा पाठ में बाबा बागेश्वर धाम धीरेंद्र शास्त्री की आवभगत में कमलनाथ और उनका परिवार जुटा दिखा. जानकारों का मानना है कि कमलनाथ का हिंदू कार्ड बुरी तरह फ्लॉप रहा क्योंकि जब बीजेपी के रूप में असली ‘हिंदुत्व’ सामने है तो कोई नकल की तरफ क्यों जाएगा.

बार-बार बदले गए राज्य प्रभारी
मध्य प्रदेश कांग्रेस में चीजें कितनी बिखर चुकी थीं. इसका अंदाजा इस बात से भी लग सकता है कि बार-बार राज्य प्रभारी बदले गए. पहले मुकुल वासनिक गए उसके बाद आए जेपी अग्रवाल लेकिन उन्हें भी जाना पड़ा. अंत में रणदीप सुरजेवाला को राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. 

चुप रहा पार्टी आलाकमान
राज्य में जब यह सब हो रहा था तो कांग्रेस आलाकमान कथित तौर पर चुप रहा. शायद उसके पास प्रदेश में कमलनाथ के सामने कोई विकल्प भी नहीं था. हालांकि अब कहा जा रहा है कि कमल नाथ मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर अपने मध्य प्रदेश पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे सकते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव नतीजों के अगले दिन सोमवार को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की, जबकि उन्होंने कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात नहीं की. इससे भी कांग्रेस नेतृत्व नाराज है.

हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने सक्रिय होने में काफी देर कर दी. मध्य प्रदेश एक बार कांग्रेस से दूर रह गया.

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