ICMR Antibiotic Guidelines: सावधान! कम बुखार में एंटीबायोटिक्स लेने पर लगा दें ब्रेक, ICMR ने जारी की ये गाइडलाइंस
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ICMR Antibiotic Guidelines: सावधान! कम बुखार में एंटीबायोटिक्स लेने पर लगा दें ब्रेक, ICMR ने जारी की ये गाइडलाइंस

Antibiotics in Fever: आईसीएमआर के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्किन और सॉफ्ट टिश्यू के इन्फेक्शन के लिए पांच दिन, कम्युनिटी के संपर्क में आने से हुए निमोनिया के मामले में पांच दिन और अस्पताल में हुए निमोनिया के लिए आठ दिन के लिए एंटीबायोटिक दी जानी चाहिए.

ICMR Antibiotic Guidelines: सावधान! कम बुखार में एंटीबायोटिक्स लेने पर लगा दें ब्रेक, ICMR ने जारी की ये गाइडलाइंस

ICMR Guidelines: अगर आप भी कम बुखार में सीधे एंटीबायोटिक दवाएं खा लेते हैं तो अभी अलर्ट हो जाएं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने गाइडलाइंस जारी कर लोगों को ऐसा करने से मना किया है. ICMR ने दिशा-निर्देश जारी कर लोगों को कम बुखार या वायरल ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों के लिए एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.साथ ही डॉक्टरों को इन दवाओं की सलाह देते समय समयसीमा का ध्यान रखने को कहा है.

आईसीएमआर के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्किन और सॉफ्ट टिश्यू के इन्फेक्शन के लिए पांच दिन, कम्युनिटी के संपर्क में आने से हुए निमोनिया के मामले में पांच दिन और अस्पताल में हुए निमोनिया के लिए आठ दिन के लिए एंटीबायोटिक दी जानी चाहिए.

गाइडलाइंस में क्या कहा गया 

गाइडलाइंस में कहा गया, 'डायग्नोस्टिक टेस्ट हमें बीमारी के लक्षणों का कारण बनने वाले पैथोजेन्स के बारे में पता करने में मदद करती है. इससे इन्फेक्शन की रोकथाम करने के लिए बुखार, प्रोकैल्सीटोनिन लेवल, डब्ल्यूबीसी कैलकुलेशन, कल्चर या रेडियोलॉजी पर आंख मूंदकर भरोसा करने के बजाय एंटीबायोटिक की सही मात्रा तैयार करने में मदद मिलेगी.' आईसीएमआर ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए प्रयोगसिद्ध एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट को सीमित करने की सलाह दी है.

ICMR ने कराया था सर्वे

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने एक जनवरी और 31 दिसंबर, 2021 के बीच किए गए सर्वे में कहा कि भारत में बड़ी संख्या में अब रोगियों के लिए ‘कार्बापेनम’ एंटीबायोटिक उपयोगी साबित नहीं हो रही और उन पर अब इसका कोई असर नहीं हो रहा. डेटा के विश्लेषण ने दवा के प्रभाव को बेअसर करने वाले पैथोजेन्स में लगातार इजाफे की ओर इशारा किया है और इस इजाफे के परिणामस्वरूप उपलब्ध दवाओं के जरिए कुछ संक्रमणों का इलाज करना मुश्किल हो गया है. इमिपेनेम का इस्तेमाल ई कोलाई बैक्टीरिया के संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है, 2016 में 14 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 36 प्रतिशत हो गया.

(इनपुट-पीटीआई)

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