कोरोना से ठीक हुए 90% मरीजों के फेफड़े खराब, अधिकांश इस बीमारी से हुए ग्रसित
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कोरोना से ठीक हुए 90% मरीजों के फेफड़े खराब, अधिकांश इस बीमारी से हुए ग्रसित

चीन (China) में कोरोना (CoronaVirus) के कहर की नई तस्वीर सामने आई है. महामारी का केंद्र रहे वुहान में कोरोना से ठीक होने वाले अधिकांश लोगों के फेफड़ों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है.

कोरोना से ठीक हुए 90% मरीजों के फेफड़े खराब, अधिकांश इस बीमारी से हुए ग्रसित

बीजिंग: चीन (China) में कोरोना (Coronavirus) के कहर की नई तस्वीर सामने आई है. महामारी का केंद्र रहे वुहान में कोरोना से ठीक होने वाले अधिकांश लोगों के फेफड़ों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है. जबकि कुछ की रिपोर्ट फिर से पॉजिटिव आने के बाद उन्हें क्वारांटाइन किया गया है.

  1. कोरोना से ठीक हुए मरीजों की जांच कर रही है टीम
  2. अब तक आये नतीजों में 90% मरीजों के फेफड़े खराब
  3. कोरोना महामारी का केंद्र रहा है चीन का वुहान

दरअसल, वुहान शहर के एक प्रमुख अस्पताल से ठीक हुए COVID-19 के मरीजों के नमूने लिए गए थे, जिनकी जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. इन नमूनों में से 90 प्रतिशत मरीजों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचने की बात सामने आई है और पांच प्रतिशत मरीज दोबारा संक्रमित पाए गए हैं. वुहान विश्वविद्यालय के झोंगनन अस्पताल (Zhongnan Hospital of Wuhan University) की गहन देखभाल इकाई के निदेशक पेंग झियोंग (Peng Zhiyong) के नेतृत्व में एक दल अप्रैल से ही ठीक हो चुके 100 मरीजों के स्वास्थ्य की जांच फिर से कर रहा है.

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मरीजों की औसत उम्र 59
एक साल चलने वाले इस कार्यक्रम के पहले चरण का समापन जुलाई में हुआ है. अध्ययन में शामिल मरीजों की औसत उम्र 59 साल है. चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) के मुताबिक, पहले चरण के नतीजों से यह पता चला है कि 90 प्रतिशत मरीजों के फेफड़े अब भी खराब स्थिति में हैं, जिसका अर्थ यह है कि उनके फेफड़ों से हवा का प्रवाह और गैस-एक्सचेंज का काम अब तक स्वस्थ लोगों की तरह नहीं हो रहा है. 
पेंग की टीम ने मरीजों पर कई तरह के टेस्ट किये, जिसमें टहलना भी शामिल था. इस दौरान उन्होंने पाया कि बीमारी से ठीक हुए लोग छह मिनट की अवधि में 400 मीटर ही चल सके, जबकि स्वस्थ्य लोग 500 मीटर की दूरी तय कर सकते थे. इतना ही नहीं, अस्पताल से छुट्टी मिलने के तीन महीने बाद भी ठीक हो चुके कुछ मरीजों को ऑक्सीजन मशीन की जरूरत पड़ती है.
 

10 फीसदी में एंटीबॉडीज नहीं 
नतीजों में यह भी सामने आया कि नए कोरोना वायरस के खिलाफ बनी एंटीबॉडीज 100 मरीजों में से 10 फीसदी में अब नहीं हैं. रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 न्यूक्लीइक एसिड जांच में उनमें से पांच प्रतिशत के नतीजे नेगेटिव मिले, लेकिन इम्यूनोग्लोबुलिन M (IgM) जांच में उनमें संक्रमण पाया गया, जिसके बाद उन्हें फिर से क्वारांटाइन किया गया.

डॉक्टरों के अनुसार, जब कोई वायरस हमला करता है, तो प्रतिरोधी तंत्र द्वारा आमतौर पर सबसे पहली एंटीबॉडी IgM बनाई जाती है. आईजीएम टेस्ट में पॉजिटिव रिजल्ट मिलने का आशय यह है कि व्यक्ति अभी वायरस से संक्रमित है. हालांकि, यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि क्या इसका मतलब यह है कि लोग फिर से कोरोना संक्रमित हो गए हैं.

अधिकांश अब इस बीमारी की चपेट में
पेंग ने कहा कि इन परिणामों से पता चलता है कि मरीजों का इम्यून सिस्टम अब भी ठीक हो रहा है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अधिकांश मरीज डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. ठीक हो चुके अधिकतर मरीजों ने बताया कि उनके परिवार वाले अब भी उनके साथ बैठकर खाना नहीं खाते.  ठीक हो चुके मरीजों में से आधे से कम ही काम पर लौटे हैं. इस अध्ययन के नतीजे इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण सबसे पहले वुहान में ही सामने आया था.

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