चीन के खिलाफ नीति अपनाने के विरोध में अमेरिका के 100 विद्वानों का संयुक्त पत्र
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चीन के खिलाफ नीति अपनाने के विरोध में अमेरिका के 100 विद्वानों का संयुक्त पत्र

अमेरिका के पांच मशहूर चीनी मामले के विशेषज्ञों ने 'चीन दुश्मन नहीं है' नाम के इस संयुक्त पत्र के लेखन का नेतृत्व किया.

सौ से अधिक अमेरिका के विद्वानों और कारोबारियों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी कांग्रेस को संयुक्त पत्र भेजकर चीन के खिलाफ नीति अपनाने का विरोध किया. (फाइल फोटो)

बीजिंग: पूर्वी एशिया और प्रशांत मामलों के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व कार्यवाहक सहायक सचिव सुसान ए थॉर्नटन, चीन स्थित पूर्व अमेरिकी राजदूत जे स्टेपलटन रॉय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एज्रा वोगेल समेत सौ से अधिक अमेरिका के विद्वानों और कारोबारियों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी कांग्रेस को संयुक्त पत्र भेजकर चीन के खिलाफ नीति अपनाने का विरोध किया.

अमेरिका के पांच मशहूर चीनी मामले के विशेषज्ञों ने 'चीन दुश्मन नहीं है' नाम के इस संयुक्त पत्र के लेखन का नेतृत्व किया. द वॉशिंगटन पोस्ट ने बुधवार को इस संयुक्त पत्र को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया गया.

संयुक्त पत्र में 7 पहलुओं से वर्तमान अमेरिकी सरकार की चीन की नीति पर प्रकाश डाला गया और कहा गया है कि हाल ही में अमेरिकी सरकार की कई कार्यवाहियों से अमेरिका-चीन संबंधों में एक के बाद एक गिरावट हो रही है. संयुक्त पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं का विचार है कि अमेरिका और चीन के बीच संबंधों की तनाव स्थिति बढ़ने से अमेरिका और विश्व के हितों के अनुकूल नहीं है. वे इस बारे में गहराई से चिंतित हैं.

संयुक्त पत्र में कहा गया है कि अमेरिका चीन को एक शत्रु मानता है और चीन के साथ संबंधों में अलग होने की कोशिश कर रहा है. यह अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय स्थान और प्रतिष्ठा, विश्व के विभिन्न देशों के आर्थिक हित को नुकसान पहुंचाएगा. 

संयुक्त पत्र में कहा गया है कि चीन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की कोशिश नहीं करता है. इसके विपरीत, पिछले कुछ दशकों में चीन को इस अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था से लाभ मिला. अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के अस्तित्व और विकास, मौसम परिवर्तन मानव जाति की समान चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए चीन की भागीदारी अपरिहार्य है.

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