टूट रहा है अफ्रीका महाद्वीप! क्या पूरी दुनिया के लिए नई खतरे की घंटी है?
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टूट रहा है अफ्रीका महाद्वीप! क्या पूरी दुनिया के लिए नई खतरे की घंटी है?

क्या अफ्रीका महादेश दो हिस्सों में बंट रहा है? क्या अफ्रीका एक के बजाय दो टेक्टोनिक प्लेटों पर शिफ्ट हो रहा है? क्या अफ्रीका धरती के दो प्लेटों पर शिफ्ट होकर एक नए महासागार का निर्माण कर रहा है? क्या ये दुनिया के लिए खतरे की घंटी है? 

टूट रहा है अफ्रीका महाद्वीप! क्या पूरी दुनिया के लिए नई खतरे की घंटी है?

क्या अफ्रीका महादेश दो हिस्सों में बंट रहा है? क्या अफ्रीका एक के बजाय दो टेक्टोनिक प्लेटों पर शिफ्ट हो रहा है? क्या अफ्रीका धरती के दो प्लेटों पर शिफ्ट होकर एक नए महासागार का निर्माण कर रहा है? जी हां ऐसे कई सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि अभी तक अफ्रीका एक ही टेक्टोनिक प्लेट पर है स्थिर है. हालांकि स्टडी के बाद वैज्ञानिकों के पास यह मानने के कारण हैं कि अफ्रीकी प्लेट पूर्वी अफ्रीकी दरार के साथ दो नई प्लेटों जिसमें एक न्युबियन और दूसरा सोमाली प्लेट में टूट रहा है.

दो प्लेटों पर हो रहा है शिफ्ट

अफ्रीका धरती के दो प्लेटों पर शिफ्ट हो रहा है ऐसी दशकों पुरानी मान्यता को मार्च 2018 में और ज्यादा बल मिला. तब भारी बारिश के कारण दक्षिण-पश्चिमी केन्या के पास जमीन में एक बड़ी दरार सामने आई. यह दरार इतनी बड़ी थी कि इसने नैरोबी-नारोक राजमार्ग का एक हिस्सा इसमें समाहित हो गया.

दररा वाले क्षेत्र सबसे अधिक टेक्टोनिक

यह दरार केन्याई रिफ्ट घाटी में नजर आई जो कि पूर्वी अफ्रीकी दरार का हिस्सा है. इस हिस्से को दुनिया के सबसे अधिक टेक्टोनिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक माना जाता है. अफ्रीका के बीच इस दरार को मात्र एक दरार के रूप में देखा गया. हालांकि इस दरार पर किसी भी भू वैज्ञानिक का ध्यान नहीं गया. यह दरार ज्वालामुख के राख से भरा हुआ था. राख भरने के बाद इस इलाके में भारी बारिश हुई जिसके बाद राख ढह गया .

क्या कहती है स्टडी?

अध्ययन के मुताबिक यह दरार करीब 25 मिलियन साल पहले सक्रिय रूप से विकसित होने लगा था. इस दरार का विस्तार करीब  3,500 किलोमीटर है. यह दरार उत्तर में लाल सागर से लेकर अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व में मोजाम्बिक तक पसरा हुआ है.

अफ्रीका दो भागों में क्यों विभाजित हो रहा है?

अफ्रीका दो हिस्सों में क्यों बंट रहा है? इसके क्या कारण हैं यह वर्षों से बहस का मुद्दा रहा है. भूगर्भशास्त्रियों का मानना ​​है कि केन्या और इथियोपिया के नीचे का हिस्सा पृथ्वी के भीतर तेज गर्मी के कारण फैल रहा है. इस कारण विशाल ज्वालामुखी विस्फोट शुरू हो गए हैं. जिस कारण लावा दरारों से बाहर निकल रहा है और दरारें पड़ गई हैं. 

कब तक बंट जाएगा अफ्रीका?

आंकड़ों और अध्ययन की माने तो न्युबियन और सोमाली प्लेटें हर साल करीब 7 मिलीमीटर दूर हो रहे हैं. अभी यह दरार समुद्र तल से ऊपर है, लेकिन साल दर साल यह चौड़ी हो जाएगी और घाटी के भीतर की जमीन डूब जाएगी. अगर ऐसा होता है तो भी अफ्रीका को अलग होने में करोड़ों साल लग जाएंगे.

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