US Arms Sale: यूक्रेन में दिखी अमेरिकी हथियारों की ताकत, कई देशों ने दिखाई खरीदने में दिलचस्पी; इस घातक हथियार की डिमांड सबसे ज्यादा
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US Arms Sale: यूक्रेन में दिखी अमेरिकी हथियारों की ताकत, कई देशों ने दिखाई खरीदने में दिलचस्पी; इस घातक हथियार की डिमांड सबसे ज्यादा

US Weapons supply: वैश्विक कूटनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. इसी फॉर्मूले पर अमेरिका से अदालत रखने वाले चीन, ईरान और नॉर्थ कोरिया में मॉस्को को स्कोप दिख रहा है. वहीं अमेरिकी हथियारों के दम पर यूक्रेन, रूस (Russia) को कड़ी टक्कर दे रहा है, इसलिए अमेरिका के हथियारों की डिमांड अचानक बढ़ गई है.

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US arms exports 2022: रूस और यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई (Russia Ukraine War) में अमेरिकी हथियारों (US Weapons) की ताकत और दम को देखते हुए अब कई देशों ने भी पेंटागन से हथियार खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. जिस ताकत की वजह से सुपरपावर रूस के आगे एक छोटा सा देश इतने लंबे समय से टिका है, इसकी वजह सामने आई तो दुनिया में इसकी चर्चा अचानक से ही तेज हो गई.

यूक्रेन को कहां से मिली बूस्टर डोज?

दरअसल यूक्रेन को अमेरिका, ब्रिटेन (UK), फ्रांस और पाकिस्तान (Pakistan Artillery) समेत कई छोटे बड़े देशों से जो हथियार मिले हैं, वो अभी तक की लड़ाई में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के लिए खतरा और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के लिए गेम चेंजर साबित हुए हैं. यही वजह है कि यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) में अमेरिकी हथियारों के प्रभाव को देखते हुए, दुनिया के कई देशों ने पेंटागन से हथियार खरीदने में रुचि दिखाई है.

इन हथियारों की डिमांड सबसे ज्यादा

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक हाई क्वालिटी एडवांस ‘मल्टीपल लांच रॉकेट’ सिस्टम समेत कई अन्य हथियारों की मांग अचानक से बढ़ गई है. दरअसल ये वो हथियार हैं जिनका इस्तेमाल यूक्रेन, रूस के खिलाफ लंबे समय से कर रहा है.

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(रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में अमेरिकी हथियारों की मांग बढ़ी है)

रातोंरात बढ़ी मांग

रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बिल ला प्लांट ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, 'पेंटागन रक्षा उद्योग के साथ मिलकर हथियारों का उत्पादन बढ़ाने पर तेजी से काम कर रहा है ताकि कुछ हथियारों की अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय मांग को सही समय पर पूरा किया जा सके.' उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देशों ने ‘हाई मोबिलिटी रॉकेट सिस्टम्स’ (हिमार्स) रॉकेट प्रणाली खरीदने को लेकर बातचीत शुरू कर दी है. यानी कई देशों से उनके पास बिजनेस क्वेरीज आ रही हैं.

यूक्रेन के खिलाफ कमजोर पड़े रहे पुतिन?

पश्चिमी देशों की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोप के बड़े देशों ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनकी वजह से पुतिन की सेना अपने हथियारों को और घातक नहीं बना पा रही है. दूसरी ओर लड़ाई के लंबा खिंचने की वजह से रूसी हथियारों का जखीरा खत्म होने के कगार पर है. मॉस्को के पास अब बेसिक और पुरानी तकनीक वाले हथियार बचे हैं. विदेशी प्रतिबंधों पर रूस भले ही कोई प्रतिक्रिया देने से बच रहा हो लेकिन यूक्रेन कई देशों से मिल रहे हथियारों और आर्थिक मदद के दम पर आज भी रूस को पहले दिन की तरह कड़ी टक्कर दे रहा है.

पश्चिमी देशों की मदद से यूक्रेन के हौसले बुलंद हैं, तो रूस अब उत्तर कोरिया और ईरान से हथियार मांग रहा है. गौरतलब है कि वैश्विक कूटनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. इस फॉर्मूले पर अमेरिका से अदालत रखने वाले देश जैसे चीन (China), ईरान, और नॉर्थ कोरिया में रूस को अपने मददगार दिख रहे हैं.

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