Worldwide Earthquake: प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता. बल्कि उससे होने वाले नुकसान को आप कम कर सकते हैं. इन सबके बीच जानकारी आई है कि अमेरिका के 75 फीसद इलाके भूकंप की वजह से तबाह हो सकते हैं.
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America Earthquake News: दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्कों में से एक अमेरिका है. अमेरिकी नीति का असर दूसरे देशों पर पड़ता भी है. लेकिन प्रकृति के आगे कहां किसी वश है. अमेरिका, प्राकृतिक आपदाओं से कितना सुरक्षित है इसे लेकर एक मॉडल के जरिए जानकारी जुटाई गई और जो नतीजे सामने आए वो डराने वाले हैं. बताया जा रहा है कि अमेरिका का 75 फीसद इलाका तबाही के मुहाने पर खड़ा है. अब आखिर उसके पीछे वजह क्या है. दरअसल भूंकप को लेकर एक रिफाइंड मॉडल के जरिए स्टडी की गई जिससे पता चलता है कि भूकंप करीब 75 फीसद इलाकों को तबाह कर देगा.
अमेरिका के इतने शहरों पर खतरा
मॉडल में जिक्र है कि लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को, पोर्टलैंड, साल्ट लेक सिटी और मेंफिस के इलाके भूकंप से बर्बाद हो जाएंगे. ये वो इलाके हैं जिनकी अमेरिका की खुशहाली में बड़ी भूमिका है. नए मॉडल से पता चला है कि पिछले 200 साल में अमेरिका में जितने भी भूकंप आए हैं उनका तीव्रता रिक्टर स्केल पर पांच से अधिक रही है. मॉडल से यह भी पता चलता है कि ना सिर्फ अलास्का और कैलिफोर्निया बल्कि सेंट्रल और अटलांटिक कोस्टल से लगे उत्तर पूर्व के इलाकों में भूकंप बड़ी तबाही मचाने के लिए तैयार है. यही नहीं वाशिंगटन डीसी, फिलाडेल्फिया, न्यूयॉर्क और बोस्टन के इलाके भी बर्बादी के मुहाने पर खड़े हैं. अर्थक्वेक स्पेक्ट्रा में भूकंप से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी गई है.
भूकंप के बारे में सटीक अनुमान बेहद कठिन
यूएसजीएस के मार्क पीटरसन बताते हैं कि वैसे तो भूकंप के बारे में सटीक भविष्यवाणी करना बेहद कठिन है. लेकिन इस मॉडल के जरिए हम उन इलाकों की पहचान करने में कामयाब हुए हैं जो आने वाले समय में भूकंप का सामना कर सकते हैं. इसमें फॉल्ट लाइंस, टोपोग्राफी को शामिल किया गया है. भूकंप क्यों आता है इसके बारे में मार्क पीटरसन बताते हैं कि धरती के अंदर खासतौर से फॉल्ट लाइन के चारों तरफ हलचल मची हुई है. उसकी वजह से धरती के पेट में जरूरत से अधिक ऊर्जा इकट्ठा हो रही है.और वह ऊर्जा बाहर निकलने की कोशिश में है, फॉल्ट लाइन उस ऊर्जा को बाहर निकलने का रास्ता देते और उसका असर जमीन पर नजर आता है.
धरती के पेट में हलचल
शोधकर्ताओं का कहना है कि वैसे तो दशकों से हम अर्थक्वेक के पैटर्न को समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हमारे पास पर्याप्त डेटा का ना होना या इलाकों के बारे में कम जानकारी होने की वजह से अनुमान लगाना कठिन होता है. अभी तक जो भी अनुमान पेश किए जाते हैं वो पुराने डेटा पर आधारित हैं. लेकिन न्यू मॉडल की वजह से हम थोड़ा और पुख्ता तरीके से भूकंप के बारे में जानकारी दे सकते हैं. भूकंप को लेकर दुनिया के अलग अलग हिस्सों में शोध जारी है. यह बात अलग है कि धरती के अंदर हो रही हलचल को सही तरह से समझ नहीं पा रहे हैं. दरअसल धरती के अंदर का कंपोजिशन अपने आप में बेहद जटिल है.