Swaminarayan Temple in Canada: खुद को सुरक्षित और सेक्युलर देश कहने वाले कनाडा में लगातार हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं. इस बार इसका निशाना स्वामीनारायण मंदिर बना है. आखिर इन हमलों के पीछे किसका हाथ है.
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Attack on Swaminarayan Temple in Canada: अब बात करते हैं भारत के खिलाफ खालिस्तानी आतंकवादियों की अंतरराष्ट्रीय साजिश की. दिल्ली से 10 हजार 500 किलोमीटर दूर एक देश, जिसकी जनसंख्या केवल 4 करोड़ है, वहां एक मंदिर पर हमला हुआ और मंदिर पर भारत विरोधी नारा लिखा गया. ये कोई मुस्लिम देश नहीं है बल्कि खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाला देश कनाडा (Canada) है.
कनाडा में भारतीयों की संख्या करीब 13 लाख है और कुल जनसंख्या में ये हिस्सेदारी 4 प्रतिशत है. यहां पंजाबी भाषा, Top-10 सबसे लोकप्रिय भाषाओं में शामिल है. वहां के मंदिर पर हमला और भारत विरोधी नारेबाजी, चिंता की बात है.
स्वामीनारायण मंदिर में खालिस्तानियों ने की तोड़फोड़
दरअसल कनाडा (Canada) के टोरंटो में खालिस्तानी आतंकवादियों ने हिंदुओं के एक प्रमुख मंदिर स्वामीनारायण मंदिर (Swaminarayan Temple) में तोड़-फोड़ की है. इन आतंकवादियों ने मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे. इस हमले के बाद कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने इस पर सख्त नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने अधिकारियों से अपराधियों के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने की मांग की है.
इस मामले में कनाडा (Canada) में भारतीय उच्चायोग भी एक्शन में आ गया है. भारत विरोधी नारे लिखने के मामले में भारतीय उच्चायोग ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है. भारतीय उच्चायोग ने एक ट्वीट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की. इसमें लिखा, 'टोरंटो के स्वामी नारायण मंदिर (Swaminarayan Temple) में भारत विरोधी बातें लिखने और मंदिर को नुकसान पहुंचाने की घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. कनाडा के अधिकारियों से इस मामले में आरोपियों के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं.'
शहर के मेयर ने जताई घटना पर नाराजगी
टोरंटो के ब्रैंपटन शहर के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने भी इस घटना पर नाराजगी दिखाई है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि टोरंटो के स्वामीनारायण मंदिर में हुई तोड़-फोड़ के बारे में सुनकर बहुत निराशा हुई. इस तरह की घृणा की कनाडा में कोई जगह नहीं है. आशा करते हैं कि इसके लिए जिम्मेदार अपराधियों को जल्दी ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.
ब्रैम्पटन दक्षिण की सांसद सोनिया सिद्धू ने भी इस घटना पर दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट करके लिखा कि टोरंटो में स्वामीनारायण मंदिर (Swaminarayan Temple) में हुए तोड़-फोड़ की घटना से दुखी हूं. घटना के जिम्मेदार लोगों की पहचान करके उन्हें सजा दी जानी चाहिए.
इस पूरे मामले पर कनाडा (Canada) के सांसद चंद्रा आर्या ने जो ट्वीट किया है, उससे कनाडा में रची जा रही भारत विरोधी साजिश का सबसे बड़ा खुलासा होता है. चंद्र आर्या ने ट्विटर पर लिखा, 'कनाडा के खालिस्तानी आतंकवादियों के द्वारा टोरंटो के श्री स्वामीनारायण मंदिर में तोड़-फोड़ किए जाने की घटना की सभी को निंदा करनी चाहिए. ये केवल एक अकेली घटना नहीं है. कनाडा के हिंदू मंदिरों को हाल के दिनों में इस तरह के कई अपराधों का सामना करना पड़ा है. इन घटनाओं को लेकर कनाडा के हिंदुओं की चिंता सही है.'
सांसद चंद्रा आर्या ने सरकार को चेताया
चंद्रा आर्या कनाडा के ऐसे सांसद है जिन्होंने इसी साल मई में कनाडा की संसद को कन्नड़ भाषा में संबोधित किया था. चंद्रा आर्या ने अपनी ट्वीट से ये साफ कर दिया कि स्वामी नारायण मंदिर पर हुआ हमला, पहली बार हुई घटना नहीं है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कनाडा में मंदिर पर हमले और भारत विरोधी नारा लिखने की बीजेपी ने कड़ी आलोचना की है.
पिछले कुछ सालों में कनाडा (Canada) एक ऐसा देश बना गया है, जिसे खालिस्तानी आतंकी अपने हेडक्वार्टर की तरह इस्तेमाल करते हैं. खालिस्तान समर्थित आतंकी, यहीं से भारत विरोधी एजेंडा चलाते आ रहे हैं.
इसी साल जुलाई में कनाडा के टोरंटो में रिचमंड हिल के विष्णु मंदिर में मौजूद महात्मा गांधी की प्रतिमा को तोड़ दिया गया था. इस वक्त भी खालिस्तानी आतंकियों ने, यहां पर भी खालिस्तान शब्द लिखा था. इससे पहले जनवरी में कनाडा में अलग-अलग जगहों पर हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं थीं.
कनाडा में लगातार हो रहे मंदिरों पर हमले
जैसे 15 जनवरी को कनाडा के ब्रैम्पटन में एक मंदिर में तोड़-फोड़ की गई थी. इसके बाद 25 जनवरी को उपद्रवियों ने गौरी शंकर मंदिर और जगन्नाथ मंदिर में तोड़-फोड़ की थी. फिर 30 जनवरी को मिसिसॉगा में हिंदू हेरिटेज सेंटर में 2 व्यक्तियों ने दान पेटी और मुख्य कार्यालय में तोड़फोड़ की थी. पिछले साल नवंबर में ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर और जगन्नाथ मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी.
इन हमलों से साफ है कि बीते कुछ महीनों में कनाडा में खासतौर से हिंदू मंदिरों को टारगेट किया जा रहा है. ज्यादातर हमलों के पीछे खालिस्तान समर्थित आतंकवादियों का हाथ बताया जाता है. इन हमलों से एक बात और साफ होती है कि कनाडा सरकार ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए, कोई गंभीर कदम नहीं उठाया है.
स्वामी नारायण मंदिर पर हमले के बाद, बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या कनाडा (Canada), खालिस्तानी आतंकवाद का नर्सरी बन चुका है. दरअसल कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों की ओर से भारत विरोधी नारे अक्सर लगते रहे हैं. वर्ष 2018 में वार्षिक सिख परेड में खालिस्तान समर्थन में ना केवल नारेबाजी हुई थी बल्कि बड़ी संख्या में खालिस्तान समर्थित झंडे फहराए गए थे.
पिछले साल NIA की एक टीम कनाडा गई थी. इस टीम का मकसद खालिस्तानी संगठनों की गतिविधियों को समझना और उनकी फंडिंग के बारे में जानकारी इकट्ठा करना था.
खालिस्तानी आतंकियों ने बना रखा है बेस
NIA को अपनी जांच में कई ऐसे सबूत मिले थे, जिससे साबित होता था कि भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के पीछे कनाडा में मौजूद खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन थे. NIA ने खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस और कई दूसरे आतंकी संगठनों की टेरर फंडिंग से जुड़े, अपने इनपुट कनाडा पुलिस से शेयर की थी. यही नहीं NIA ने कनाडा पुलिस से खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठनों की जानकारी भी जुटाई थी.
इस दौरान NIA ने सिख फॉर जस्टिस की आतंकी गतिविधियों और कनाडा (Canada) में खालिस्तान समर्थक ग्रुप पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन और उससे जुड़े खालिस्तान समर्थक एमओ धालीवाल को लेकर काफी जानकारी शेयर की थी. भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के बड़ी कोशिश होती है, जिसमें सिख फॉर जस्टिस, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान टाइगर फोर्स और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स जैसे आतंकी संगठन शामिल हैं. ये संगठन कनाडा समेत अलग-अलग देशों से भारत में माहौल बिगाड़ने की साजिश करते हैं.
इन सभी संगठनों में 2 बातें COMMON है. पहला- इन सभी संगठनों के काम करने का बड़ा केंद्र कनाडा है. दूसरा- इन सभी संगठनों का मकसद भारत के टुकड़े करना है.
पाकिस्तान दे रहा आतंकियों को शह
वर्ष 2020 में UAPA कानून के तहत सिख फॉर जस्टिस को आतंकवादी संगठन करार दिया गया था. इस संगठन का मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका में रहता है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के साथ मिलकर, पन्नू, भारत विरोधी साजिशें करता है. जुलाई 2020 को भारत सरकार ने गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकवादी घोषित कर दिया था. आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू अलग-अलग वीडियो जारी करके भारत के खिलाफ जहर उगलता है. पन्नू ने 29 अप्रैल को ‘खालिस्तान दिवस’ मनाने का ऐलान भी किया था, जिसको भारत में समर्थन नहीं मिला.
खालिस्तान समर्थक आतंकी संगठन, पैसों का लालच देकर पंजाब के युवाओं को भटकाने की कोशिश करते है. सिख युवाओं का ब्रेन वॉश करके, उनसे गैर कानूनी काम करने को प्रेरित करते हैं.
कनाडा (Canada) को दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माना जाता है. वर्ष 2021 के Global Peace Index में कनाडा का 6ठा स्थान था. कनाडा को ये स्थान, देश में कम झगड़े, अपराध और राजनीतिक स्थिरता की वजह से दिया गया था. लेकिन जिस तरीके से कनाडा की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा रहा है, भारतीय मंदिरों पर हमले हो रहे है, जगह-जगह खालिस्तान लिखा जा रहा है. उससे कनाडा की छवि पर आतंकवाद का दाग लग रहा है.
भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बना कनाडा
अमेरिका के मुकाबले कनाडा में अपराध एक-तिहाई है. लेकिन कनाडा से भारत विरोधी गतिविधियां लगातार होती रही हैं. कनाडा में 6 लाख से ज्यादा विदेशी छात्र है, जिसमें 2 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र है. वर्ष 2021 में करीब 1 लाख भारतीयों को कनाडा का स्थायी नागरिक बनाया गया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में रहने वाले स्थायी भारतीयों की संख्या वर्ष 2016 में 39 हजार 340 थी जो 2019 में बढ़कर 80 हजार 685 हो गई.
2015 के चुनाव में कनाडा (Canada) के 21 सांसद भारतीय मूल के लोग थे. वर्ष 2019 के चुनाव में ये संख्या बढ़कर 23 हो गई थी. जबकि 2021 में 17 सांसद, भारतीय मूल के लोग थे. भारतीय मूल के हरजीत सिंह सज्जन तो कनाडा के रक्षा मंत्री बने थे. एक ऐसा देश जहां भारतीय लोग रचे बसे हैं, वो खालिस्तानी आतंकियों का बड़ा सेंटर बनता जा रहा है. ये बात भारत और कनाडा दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है.
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