ऑस्ट्रेलियाई मजिस्ट्रेट ने 72.68 लाख का क्लेम जीता, 45 साल छोटी मृत पार्टनर की मां को दिया फंड
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ऑस्ट्रेलियाई मजिस्ट्रेट ने 72.68 लाख का क्लेम जीता, 45 साल छोटी मृत पार्टनर की मां को दिया फंड

उस समय रॉडनी की उम्र 68 साल थी और पेट्रेई 23 साल की. पेट्रेई कोर्ट में क्लर्क के तौर पर काम करती थी. दोनों के रिश्ते पर मीडिया में भी खूब चटखारे लेकर खबरें लिखी जाती रहीं. 

तस्वीर: इंस्टाग्राम

मेलबर्न: एक ऑस्ट्रेलियाई मजिस्ट्रेट ने अपने से 45 साल छोटी मंगेतर की मौत के बाद इंश्योरेंस क्लेम के तौर पर 72.68 लाख रुपये कोर्ट से जीत लिये. उनकी महिला पार्टनर उन्हीं की कोर्ट में काम करती थी, लेकिन उम्र के इस बड़े फैसले को लेकर उनकी लगातार आलोचना हो रही थी. बुजुर्ग मजिस्ट्रेट का नाम रॉडनी हिगिंस है. 

कोर्ट में लड़ना पड़ा केस

रॉडनी हिगिंस की पार्टनर मिस पेट्रेई ने साल 2019 में साथ रहना शुरू किया. उस समय रॉडनी की उम्र 68 साल थी और पेट्रेई 23 साल की. पेट्रेई कोर्ट में क्लर्क के तौर पर काम करती थी. दोनों के रिश्ते पर मीडिया में भी खूब चटखारे लेकर खबरें लिखी जाती रही. लेकिन दोनों ने किसी की परवाह नहीं की. हालांकि दोनों की खुशियां ज्यादा दिन तक नहीं रह सकीं और पेट्रेई की 28 अक्टूबर 2019 को एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.

पेट्रेई की मां ने किया था क्लेम

पेट्रेई की मां ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में अपील की थी कि पेट्रेई की मौत के बात मिलने वाली राशि उन्हें दी जाए, क्योंकि वो पेट्रेई पर आश्रित थी. इस मामले में रॉडनी ने कोर्ट में कहा कि इस पर उनका हक है. दरअसल, रॉडनी इस बात को लेकर आहत थे कि उन्हें पेट्रेई को मिट्टी देना भी नसीब नहीं हुआ, क्योंकि पेट्रेई की मां ने ऐसा नहीं करने दिया. 

रॉडनी ने जीता केस और फिर... 

'द इंडिपेंडेंट' की खबर के मुताबिक, इस मामले में रॉडनी ने कोर्ट में दलील दी कि वो दोनों साथ रह रहे थे. और इस तरह से वो पेट्रेई की मौत के बाद मिलने वाली धनराशि के हकदार हैं. ये राशि 1,80,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर थी. जो यूएस डॉलर में 98 हजार की रकम थी. भारतीय मुद्रा में देखें तो ये धनराशि 72.68 लाख से ज्यादा की है. ऐसे में रॉडनी ने केस जीत लिया. हालांकि उन्होंने क्लेम में मिली धनराशि को पेट्रेई की मां के लिए छोड़ दिया. 

पूरे 15 महीने तक चला केस

रॉडनी ने कहा कि मेरे केस करने की सिर्फ एक वजह थी कि पेट्रेई के अंतिम संस्कार में मुझे शामिल होने का हक मिलना चाहिए था. ये पूरा केस करीब 15 महीनों तक चला और लगातार मीडिया में सुर्खियां पाता रहा.

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