विरोध के लिए सड़क पर उतरेगी शेख हसीना की पार्टी, यूनुस सरकार ने कहा - अनुमति नहीं...!
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विरोध के लिए सड़क पर उतरेगी शेख हसीना की पार्टी, यूनुस सरकार ने कहा - अनुमति नहीं...!

Bangladesh News: 3 महीने से देश से बाहर रह रहीं बांग्‍लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आज ढाका में विरोध प्रदर्शन करने जा रही है. उधर यूनुस सरकार ने ऐसा ना करने की सख्‍त चेतावनी दी है.

विरोध के लिए सड़क पर उतरेगी शेख हसीना की पार्टी, यूनुस सरकार ने कहा - अनुमति नहीं...!

Sheikh Hasina Party Protest : पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्‍लादेश में फिर से अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही हैं. इसी कड़ी में आज 10 नवंबर 2024, रविवार को अवामी लीग विरोध प्रदर्शन रैली करने जा रही है. लेकिन ऐसा लगता है कि उनकी ये योजना खटाई में पड़ सकती है. क्‍योंकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कह दिया है कि वह इस रैली को आयोजित करने की अनुमति नहीं देगी.

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अवामी लीग को कहा 'फासीवादी'

मोहम्‍मद यूनुस सरकार ने अवामी लीग को 'फासीवादी' करार दिया है. मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि अंतरिम सरकार देश में किसी भी तरह की हिंसा या कानून व्यवस्था को भंग करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा, 'अवामी लीग अपने मौजूदा स्वरूप में एक फासीवादी पार्टी है. किसी भी सूरत में इस फासीवादी पार्टी को बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.'

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चेतावनी भी दे डाली

इतना ही नहीं शफीकुल आलम ने चेतावनी भी दी कि, 'जो भी व्यक्ति सामूहिक हत्यारे और तानाशाह शेख हसीना से आदेश लेकर रैली, सभा और जुलूस आयोजित करने की कोशिश करेगा, उसे कानून लागू करने वाली एजेंसियों की पूरी सख्ती का सामना करना पड़ेगा.'

आलम का यह बयान अवामी लीग की ओर से उनकेने वेरिफाइड फेसबुक पेज पर किये गए उस आह्वान के बाद आया जिसमें पार्टी समर्थकों से रविवार को गुलिस्तान में शहीद नूर हुसैन छत्तर या जीरो पॉइंट पर 'कुशासन' के खिलाफ विरोध के लिए एकत्र होने का आग्रह किया गया है.

बता दें कि हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच 5 अगस्त को भारत भाग गई थीं. उनके भारत जाने के बाद अवामी लीग द्वारा रैली का यह पहला आह्वान है. अवामी लीग ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया है कि वे रविवार को देशभर में जमीनी स्तर पर रैलियां आयोजित करें. इसके लिए चुना गया मुख्‍य विरोध स्थल 'शहीद नूर हुसैन छत्तर' ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि यहीं पर 10 नवंबर, 1987 को तत्कालीन सैन्य तानाशाह जनरल एचएम इरशाद के निरंकुश शासन के खिलाफ एक प्रदर्शन के दौरान अवामी लीग के युवा नेता नूर हुसैन की हत्या कर दी गई थी. (भाषा)

 

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