Bangladesh News: बांग्लादेश के अखबार 'द डेली स्टार' ने बताया, 'सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक मरने वालों की कुल संख्या केवल तीन हफ्ते में 300 को पार कर गई, जो बांग्लादेश के नागरिक आंदोलन के इतिहास में सबसे खूनी दौर है.' छात्र आंदोलन ने पिछले कई हफ्तों में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर भारी दबाव डाला है।
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Bangladesh News: बांग्लादेश अपने नागरिक आंदोलन के इतिहास का सबसे खूनी दौर देख रहा है. तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़कर बाहर चली गई हैं. उनके आवास पर प्रदर्शनकारी घुस आए हैं और उनकी पार्टी अवामी लीग का दफ्तर फूंक डाला है. साथ ही हसीना के पिता और पूर्व राष्ट्रपति मुजीबुर रहमान की मूर्ति भी तोड़ दी है. रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत और 1000 से ज्यादा के घायल होने के बाद बांग्लादेश में तस्वीर तेजी से बदली है.
बांग्लादेश के अखबार 'द डेली स्टार' ने बताया, 'सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक मरने वालों की कुल संख्या केवल तीन हफ्ते में 300 को पार कर गई, जो बांग्लादेश के नागरिक आंदोलन के इतिहास में सबसे खूनी दौर है.' छात्र आंदोलन ने पिछले कई हफ्तों में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर भारी दबाव डाला है।
क्यों बांग्लादेश में हुआ तख्तापलट?
छात्र स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 1971 में गृहयुद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजादी मिली थी, जिसमें ढाका के अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तानी सैनिकों और उनके समर्थकों के नरसंहार में 30 लाख लोग मारे गए थे. विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया, जिसके बाद छात्र नेताओं ने विरोध प्रदर्शन रोक दिया था, लेकिन छात्रों ने कहा कि सरकार ने उनके सभी नेताओं को रिहा करने की मांग को नजरअंदाज कर दिया, इसलिए प्रदर्शन फिर से शुरू हो गए.
क्या होता है तख्तापलट?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये तख्तापलट होता क्या है? दरअसल तख्तापलट वो स्थिति होती है, तब बिना चुनाव के ही या फिर बलपूर्वक किसी सरकार को सत्ता से हटा दिया जाए. आमतौर पर कई देशों में सेना, पैरामिलिट्री या फिर विपक्षी पार्टी ही सरकारों को सत्ता से बेदखल कर देती हैं. इसे अंग्रेजी में कूप (Coup) कहा जाता है. कई बार जनता के विद्रोह या सिविल वॉर के हालातों के कारण भी तख्तापलट हो जाता है. तख्तापलट होने के बाद या तो कमान सेना के हाथ में आ जाती है या फिर सेना की मदद से अंतरिम सरकार का गठन होता है. देश में हालातों को किस तरह से संभाला जाएगा, कई देशों में वह आर्मी चीफ तय करते हैं.
तख्तापलट का इतिहास
अगर इतिहास के पन्ने पलटें तो साल 1950 से लेकर 1989 में 350 सरकारों का तख्तापलट हुआ है. जबकि साउथ अमेरिका के देश बोलिविया में तो सबसे ज्यादा तख्तापलट हुए हैं. 1950 से लेकर 2019 तक यहां 23 बार सरकार को सत्ता से बेदखल किया गया या फिर उसकी कोशिश हुई. वहीं 1990 से 2019 तक दुनिया ने 113 तख्तापलट देखे.
पाकिस्तान में 4 बार तख्तापलट हुआ है. जब पाकिस्तान 1999 में करगिल की जंग हार गया तब तत्कालीन आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को सत्ता से बाहर कर दिया था.