Nepal Foreign Policy: चीन या भारत किसके करीब जाएगा नेपाल, विदेश नीति में क्या राह पकड़ेगे पीएम प्रचंड
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Nepal Foreign Policy: चीन या भारत किसके करीब जाएगा नेपाल, विदेश नीति में क्या राह पकड़ेगे पीएम प्रचंड

Foreign Policy: कई जानकार मानते हैं कि तीसरी बार पीएम की सत्ता संभालने वाले प्रचंड के सामने विदेश नीति के मोर्च पर काफी चुनौतियां हैं. हालांकि पीएम प्रचंड का कहना है कि उनका मकसद भारत, चीन समेत अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना है.

Nepal Foreign Policy: चीन या भारत किसके करीब जाएगा नेपाल, विदेश नीति में क्या राह पकड़ेगे पीएम प्रचंड

Nepal News: नेपाल के नव र्निवाचित पीएम पुष्प कमल दाहाल क्या विदेश नीति अपनाएंगे इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. उनके पिछले कार्यकाल में उन पर चीन समर्थक होने का आरोप लगता रहा है. हालांकि अब उन्होंने कहा है कि वह नेपाल को केंद्र में रखकर दुनिया के साथ अपने रिश्ते बनाएंगे.

एक भारतीय टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह शुरुआत से ही प्रो-नेपाली पॉलिसी पर चले हैं और उनका मकसद भारत, चीन समेत अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना है. उन्होंने प्रो चीन या प्रो भारत होने की बात से इनकार करते हुए कहा, 'राजशाही के समय पर किसी को प्रो इंडिया, प्रो चीन तो किसी को प्रो अमेरिका कहकर नेपाल की राजनीति को चलाने की गलत परंपरा थी.'

भारत के साथ विशेष रिश्ता
नेपाल के पीएम के मुताबिक भारत-नेपाल संबंधों को आगे लेकर जाना है. दोनों देशों के संबंधों पर उनका कहना है, 'हमारा बॉर्डर, इतिहास, भाषा, संस्कृति और लोगों से लोगों का जो रिश्ता है वह कहीं देखने को नहीं मिलता है. ' उन्होंने संकेत दिए कि उनकी पहली विदेश यात्रा भारत की हो सकती है.

वैसे कई जानकार मानते हैं कि तीसरी बार पीएम की सत्ता संभालने वाले प्रचंड के सामने विदेश नीति के मोर्च पर काफी चुनौतियां हैं.

प्रचंड के सामने आंतरिक चुनौती
वैसे कई जानकार मानते हैं कि तीसरी बार पीएम की सत्ता संभालने वाले प्रचंड के सामने विदेश नीति के मोर्च पर काफी चुनौतियां हैं. वैसे उनके सामने ज्यादा गंभीर चुनौती सरकार की स्थिरता को लेकर भी है क्योंकि उनकी एक गठबंधन सरकार है. 

हालात चीन के लिए अधिक बेहतर दिख रहे हैं क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई है. वहीं अलग-अलग विचारधारा वाली पार्टियां सरकार में आई हैं और उनमें से कई नई हैं. इसलिए दिल्ली के लिए उनसे संबंध बढाना एक चुनौती होगा. हालांकि भविष्य में पीएम मोदी और प्रधानमंत्री प्रचंड भारत-नेपाल सीमा विवाद सुलझाने को लेकर बातचीत कर सकते हैं.

वैसे कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि प्रचंड की सरकार आर्थिक कूटनीति पर चलेगी. सरकार के  लिए अच्छा यही रहेगा कि वह विदेशी संबंधों के मामले में किसी पार्टी या देश की बजाय नेपाल को आगे रखकर काम करे.

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