वैज्ञानिकों का दावा है कि यह समाधान काफी सस्ता होगा क्योंकि तकनीक आसानी से बनाई जा सकती है और यह लगभग सभी प्रकार के उपग्रहों पर प्रभावी होगी. चूंकि इसमें उपयोग की जाने वाली सामग्री हल्की और लचीली होती है, इसलिए इसे अंतरिक्ष यात्रा के दौरान दूसरे यान में रख सकते हैं.
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Latest Research for Space: पिछले कुछ साल में अलग-अलग देशों द्वारा अंतरिक्ष को लेकर कई रिसर्च किए जा रहे हैं. कई अंतरिक्ष यान व सैटेलाइट छोड़े भी गए हैं, लेकिन हाल के दिनों में अंतरिक्ष कबाड़ एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. कबाड़ से दूसरे यान को काफी दिक्कत होती है. कई अभियान इन कबाड़ की वजह से असफल भी हो रहे हैं, लेकिन अब यह समस्या भविष्य में दूर हो सकती है. दरअसल, शंघाई अकैडमी ऑफ स्पेसफ्लाइट टेक्नोलॉजी ने दावा किया है कि उसने ऐसी तकनीक खोजी है जिससे अंतरिक्ष के कबाड़ को हटाने में सफलता मिली है. एक अनुमान के अनुसार, अब तक लगभग 9000 उपग्रह कक्षा में प्रक्षेपित किए जा चुके हैं, जिनमें से 5000 अब काम नहीं कर रहे हैं. नतीजतन, वे उस कक्षा में फंस गए हैं और वहां वे दूसरे उपग्रह के लिए दिक्कत पैदा कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने हाल ही में लॉन्च किए गए लॉन्ग मार्च 2 रॉकेट को कक्षा से बाहर धकेलने के लिए 'ड्रैग सेल' का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है. यह पहली बार था जब उन्होंने इस तकनीक को आजमाया और इसने सफलतापूर्वक सफाई की. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह समाधान काफी सस्ता होगा क्योंकि तकनीक आसानी से बनाई जा सकती है और यह लगभग सभी प्रकार के उपग्रहों पर प्रभावी होगी. वैज्ञानिकों ने बताया कि चूंकि इसमें उपयोग की जाने वाली सामग्री हल्की और लचीली होती है, इसलिए इसे अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भविष्य में उपयोग के लिए आसानी से अंतरिक्ष यान के अंदर भी रखा जा सकता है.
बता दें कि इस साल की शुरुआत में 2014 में एक चीनी अंतरिक्ष रॉकेट का एक टुकड़ा चंद्रमा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसने चीन द्वारा अंतरिक्ष कबाड़ से निपटने के लिए विभिन्न देशों की बहुत आलोचना को जन्म दिया. ऐसा ही एक हादसा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के साथ भी हुआ था, लेकिन यह किसी भी तरह की टक्कर से बचने में कामयाब रहा.
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