विकासशील देशों में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर समाज गंभीर नहीं : रिपोर्ट
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विकासशील देशों में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर समाज गंभीर नहीं : रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील देशों में 36 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कुछ परिस्थितियों में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा कुछ परिस्थितियों में उचित है.

प्रतीकात्मक फोटो.

लंदन: विकासशील देशों में कई समाजों के बीच महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा को व्यापक स्वीकृति मिली हुई है. दरअसल, वहां के 36 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कुछ परिस्थितियों में यह उचित है. एक नये अध्ययन में यह पाया गया है. ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने 49 निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में 11. 7 लाख पुरूषों और महिलाओं से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया. 

उन्होंने बताया कि अध्ययन के नतीजे घरेलू हिंसा को रोकने में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय रणनीतियां तैयार करने में मदद पहुंचाएंगे. अध्ययन के नतीजे पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. सर्वेक्षण में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि यदि पत्नी अपने पति या पार्टनर को बताए बगैर बाहर जाती है, उससे बहस करती है, बच्चों का ध्यान नहीं रखती है, बेवफाई की संदिग्ध है, साथ सोने से इनकार करती है या भोजन पकाते वक्त उसे जला देती है तो उसकी पिटाई करना क्या उचित है? 

शोधार्थियों ने पाया कि औसतन 38 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इनमें से कम से कम एक परिस्थिति में यह उचित है. कुल मिलाकर दक्षिण एशिया के देशों में घरेलू हिंसा की सामाजिक स्वीकृति अधिक है. शोधार्थियों ने बताया कि देश विशेष की परिस्थितियां, खासतौर पर राजनीतिक माहौल, घरेलू हिंसा की स्वीकृति में एक अहम भूमिका निभाता है.

विश्वविद्यालय के लीनमेरी सार्दिन्हा ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है. उन्होंने बताया कि अत्यधिक पितृसत्तात्मक समाजों में महिलाओं द्वारा घरेलू हिंसा को व्यापक रूप से स्वीकार किए जाने से यह पता चलता है कि महिलाओं ने इस विचार को आत्मसात कर लिया है कि एक पति जो अपनी पत्नी को शारीरिक दंड देता है या उसे डांटता है, ने उस अधिकार का उपयोग किया है जो पत्नी के हित में है.

(इनपुट-भाषा)

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