Iran Consulate Attack: क्‍या इजरायल ने विदेशी धरती पर ईरानी कॉन्‍सुलेट पर हमला कर वियना संधि को तोड़ा?
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Iran Consulate Attack: क्‍या इजरायल ने विदेशी धरती पर ईरानी कॉन्‍सुलेट पर हमला कर वियना संधि को तोड़ा?

Vienna Convention 1961: सीरिया और ईरान ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है. दोनों देशों ने इजरायल को वियना कन्वेंशन 1961 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

Iran Consulate Attack: क्‍या इजरायल ने विदेशी धरती पर ईरानी कॉन्‍सुलेट पर हमला कर वियना संधि को तोड़ा?

Israel Attacks Iran Consulate: सीरिया की राजधानी में ईरानी  वाणिज्य दूतावास हमले के बाद एक बार मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर पहुंच गया है. सीरिया और ईरान ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है. दोनों देशों ने इजरायल पर वियना कन्वेंशन 1961 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

सीएनएन के मुताबिक सीरिया के विदेश मंत्री फैसल मेकदाद स्ट्राइक को 'अंतर्राष्ट्रीय नियमों, विशेष रूप से डिप्लोमेटिक रिलेशन पर वियना कन्वेंशन 1961 का घोर उल्लंघन बताया है.

ईरानी विदेश मंत्रालय का बयान
तेहरान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा कि ईरानी वाणिज्य दूतावास पर 'बर्बर' हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों, विशेष रूप से 1961 वियना कन्वेंशन का खुले तौर पर उल्लंघन है.

कनानी ने यह कहा, ‘यह जरूरी है कि इजरायल के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर संयुक्त राष्ट्र द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की जाए और इस संबंध में जरूरी कदम उठाए जाएं.’

क्या है वियना क्नवेंशन 1961
वियना कन्वेंशन 1961, डिप्लोमेटिक रिलेशंस को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय संधि है. इसका मकसद विभिन्न देशों के बीच दोस्ताना संबंधों को बनाए रखना है.

इस समझौते की सबसे अहम बात डिप्लोमैटिक इम्युनिटी यानी राजनयिक छूट का सिद्धांत है. जिसके तहत डिप्लोमेटिक मिशनों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं जो डिप्लोमेट्स को दूसरे देशों में बिना किसी डर और सुरक्षा के साथ काम करना संभव बनाते हैं.

वियना कन्वेंशन 1961 आधुनिक इंटरनेशनल रिलेशंस और अंतरराष्ट्रीय कानून की आधारशिला माना जाता है. इसे संयुक्त राष्ट्र के तहत तैयार किए गए सबसे सफल कानूनी उपकरणों में से एक माना जाता है.

डिप्लोमेटिक मिशन पर क्या कहता है वियना कन्वेंशन?
वियना कन्वेंशन 1961 एक बड़ा दस्तावज है, जिसमें 53 आर्टिकल हैं.

इसका आर्टिकल 22 कहता है कि डिप्लोमेटिक मिशन का परिसर, राजदूत का घर हैं. मिशन के प्रमुख की अनुमति के बिना मेजबान देश को इसमें एंट्री नहीं करनी चाहिए. इसी तरह, मेजबान देश को कभी भी परिसर की तलाशी नहीं लेनी चाहिए, उसके दस्तावेज़ या संपत्ति को जब्त नहीं करना चाहिए और मिशन को घुसपैठ या क्षति से बचाना चाहिए. आर्टिकल 30 इस प्रावधान को डिप्लोमेट्स के निजी निवास तक बढ़ाता है.

इसी तरह आर्टिकल 37 कहता है कि मेज़बान देश में रहने वाले डिप्लोमेट्स के फैमिली मेंबर्स को राजनयिकों के जैसी ही सुरक्षा प्राप्त होगी.

हमले सात ईरानी मिलिट्री अधिकारियों की मौत
IRNA समाचार एजेंसी के अनुसार, ईरानी वाणिज्य दूतावास पर आतंकवादी हमले में ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद-रजा जाहेदी और मोहम्मद-हादी हजराहिमी और उनके साथ आए पांच अन्य मिलिट्री अधिकारियों की मौत हो गई.

जनरल ज़ाहेदी सीरिया में इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स कुद्स फोर्स के कमांडर थे.

लेबनान और ईरान ने इजरायल को धमकी
ईरान समर्थित लेबनानी हिजबुल्लाह ग्रुप ने एक बयान जारी कर हमले के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया. ग्रुप ने चेतावनी दी कि इजरायल को इसकी कीमत चुकानी होगी.

सीएनएन के मुताबिक ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कनानी ने कहा, ‘ईरान का जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित है और हमलावर के खिलाफ प्रतिक्रिया और सजा का तरीका तय किया जाएगा.’

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