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नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद लोग किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान छोड़ कर भाग जाना चाहते हैं और नमरुज प्रांत से कुछ ऐसी ही तस्वीरें आई है, जहां लोग पैदल ही निकल पड़े हैं. बता दें कि नमरुज प्रांत की सीमा पाकिस्तान और ईरान से लगती है. नमरुज प्रांत से लोग पाकिस्तान होते हुए ईरान पहुंचेंगे और ईरान के बाद इनका अगला ठिकाना वहां से एक हजार 600 किलोमीटर दूर तुर्की (Turkey) होगा. Trukey एक ऐसा देश है, जिसे यूरोप में दाखिल होने का सबसे बड़ा गेटवे माना जाता है.
मुस्लिम देशों के अधिकतर शरणार्थी तुर्की होते हुए ही यूरोप पहुंचते हैं. हालांकि इन शरणार्थियों को रोकने के लिए तुर्की 295 किलोमीटर एक लंबी दीवार बना रहा है. जो लोग काबुल के पास पूर्वी अफगानिस्तान के प्रांतों में फंसे हैं, वो भी तुर्की जाना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए वो पाकिस्तान में दाखिल हो रहे हैं. अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा पर स्थित Spin Buldak Border पर हजारों अफगान नागरिक जमा हैं, जो किसी भी तरह पाकिस्तान में दाखिल हो जाना चाहते हैं. यहां ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा है, जो काबुल एयरपोर्ट के अंदर नहीं घुस पाए थे.
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लोगों की भीड़ को देखते हुए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ अपने बॉर्डर को भी बंद कर दिया है और वहां सैनिकों की तैनाती भी बढ़ा दी गई है. अफगानिस्तान के इन लोगों ने आजादी की आस अब भी नहीं छोड़ी है और संभव है कि आने वाले दिनों में अफगानिस्तान की सीमाओं पर ऐसी भीड़ और बढ़े. अफगानिस्तान से भागते लोगों की तस्वीरें आपको 1947 में भारत के बंटवारे की तस्वीरें याद दिला सकती हैं. उस समय करीब एक से दो करोड़ लोगों ने अपना घर छोड़ा था.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का फैसला अमेरिका के हित में था. उन्होंने दो और बड़ी बातें कही हैं. पहली बात ये कि आतंकवाद से लड़ने के लिए अब अमेरिका को किसी भी देश में अपनी सेना को भेजने की जरूरत नहीं है. यानी अब अमेरिका ग्राउंड वॉर नहीं लड़ेगा. इस बयान के मायने ये है कि अब अमेरिका इराक और अफगानिस्तान जैसी गलती नहीं दोहराएगा और अपनी सेना को दूसरे देशों में नहीं भेजेगा.
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दूसरी बड़ी बात जो बाइडेन (Joe Biden) ने ये कही कि अमेरिका अफगान गठबंधन के साथ सहयोग बना कर रखेगा. यानी एक तरफ अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात भी कर रहा है और दूसरी तरफ तालिबान के साथ सहयोग की बात करके आतंकवाद को कानूनी मान्यता भी दे रहा है.
- अमेरिकी सेनाएं 7 हजार 268 दिन तक अफगानिस्तान में रहीं.
- इस युद्ध पर अमेरिका ने 2 Trillion US Dollars यानी 150 लाख करोड़ रुपये खर्च किए. यानी अफगानिस्तान में अमेरिका का प्रति दिन खर्च 2 हजार करोड़ रुपये था.
- ये खर्च भारत में होने वाले खेल इंडिया कार्यक्रम के तीन साल के बजट के बराबर है.
- इन 20 वर्षों में अफगानिस्तान के 47 हजार 200 नागरिक मारे गए.
- अफगानिस्तान की सेना और पुलिस के 66 हजार जवानों की जान गई.
- अमेरिका के लगभग ढाई हजार (2461) सैनिक मारे गए.
- तालिबान और दूसरे आतंकवादी संगठनों के 51 हजार 100 आतंकवादी मारे गए.
- 15 अगस्त से 30 अगस्त 2021 के बीच अफगानिस्तान से एक लाख 23 हजार लोगों को बाहर निकाला गया.
- अनुमान है कि अब भी अफगानिस्तान में ISIS के 2 हजार आतंकवादी हैं.
- संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अफगानिस्तान में अभी 1 करोड़ 80 लाख लोगों को तुरंत मदद की जरूरत है. ये लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं.
- अमेरिका काबुल एयरपोर्ट पर 73 एयरक्राफ्ट, 70 बख्तरबंद गाड़ियां, 27 Humvee गाड़ियां और एक रॉकेट डिफेंस सिस्टम छोड़ गया है.
- ये सारे हथियार अब तालिबान के कब्जे में हैं, जो दुनिया के लिए चिंता की बात होनी चाहिए.
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