DNA ANALYSIS: बांद्रा में लॉकडाउन के खुले उल्लंघन का जिम्मेदार कौन?
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DNA ANALYSIS: बांद्रा में लॉकडाउन के खुले उल्लंघन का जिम्मेदार कौन?

महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं और मुंबई कोरोना का हॉटस्पॉट है, जहां कोरोना वायरस से 100 से भी ज्यादा मौत हो चुकी हैं. जब बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भीड़ की तस्वीरें. 

DNA ANALYSIS: बांद्रा में लॉकडाउन के खुले उल्लंघन का जिम्मेदार कौन?

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया, लेकिन आज ही लॉकडाउन को फेल करने वाली कुछ तस्वीरें आ गईं. हम आपको सबसे पहले वही तस्वीरें दिखाते हैं. ये मुंबई का बांद्रा रेलवे स्टेशन है. आज शाम को यहां पर डेढ़ से दो हजार लोग जुट गए. इन लोगों के बारे में बताया गया कि ये दूसरे राज्यों के मजदूर हैं, जो 21 दिन के लॉकडाउन के आखिरी दिन अपने-अपने शहर और अपने-अपने गांव जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर आ गए. सवाल ये है कि ये लोग कैसे बांद्रा रेलवे स्टेशन पर इतनी बड़ी संख्या में आ गए, वो भी तब जब पूरे देश को पता है कि लॉकडाउन में कोई ट्रेन नहीं चल रही है. 

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सुबह 10 बजे ही प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में 3 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाने का ऐलान कर दिया था. फिर भी इसके छह घंटे के बाद हजारों लोग मुंबई जैसे शहर में इकट्ठा हो गए. आपको याद रखना होगा कि महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं और मुंबई कोरोना का हॉटस्पॉट है, जहां कोरोना वायरस से 100 से भी ज्यादा मौत हो चुकी हैं. जब बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भीड़ की तस्वीरें. हर जगह देखी जाने लगी. तब जाकर इन लोगों पर कार्रवाई शुरू हुई. मुंबई पुलिस ने इस भीड़ को हटाना शुरू किया. इसमें पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी.

बांद्रा रेलवे स्टेशन को अब खाली करवा लिया गया. वहां से भीड़ हटा दी गई लेकिन इस पर राजनीति भी शुरू हो गई. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करके कहा कि इस स्थिति के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, जो प्रवासी मजदूरों को घर वापस भेजने की व्यवस्था नहीं कर पा रही है. प्रवासी मजदूर यहां ना तो शरण चाहते हैं, ना ही यहां का खाना चाहते हैं, वो अपने घर जाना चाहते हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की है और बांद्रा की भीड़ पर चिंता जताई. 

गृह मंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई कमज़ोर होती है. प्रशासन को सजग रहना होगा जिससे इस तरह की घटनाएं फिर से ना हों. गृह मंत्री ने महाराष्ट्र सरकार को पूरी मदद देने का भरोसा भी दिया. बांद्रा की घटना पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं. महाराष्ट्र सरकार लोगों की समस्याएं सुलझाने की पूरी कोशिश कर रही है.

एक गलती पड़ सकती है देश पर भारी
जो लोग आज बांद्रा स्टेशन पहुंच गए उनमें से ज्यादातर मजदूर और गरीब लोग थे लेकिन अब इन लोगों को ये समझना चाहिए कि इनकी एक गलती कैसे पूरे देश पर भारी पड़ सकती है. पूरे देश में रेलवे का संचलान बंद है और ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है. 

क्या बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भीड़ जानबूझ कर इकट्ठा की गई?
देश के अंदर इस वक्त डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू है, जिसके तहत सरकारी आदेशों का पालन ना करने, अफवाहें फैलाने और इस तरह के दूसरी हरकतों को गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए एक साल की कैद और सज़ा का प्रावधान है. सवाल ये है कि क्या बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भीड़ जानबूझकर इकट्ठा की गई. क्या लोगों को गुमराह करके रेलवे स्टेशन पर लाया गया. हमको मुंबई के ही विनय दुबे नाम के एक व्यक्ति का एक वीडियो मिला है. विनय दुबे खुद को मुंबई में मजदूरों का नेता बताता है. उनके अधिकारों की बात करता है और सरकारों को खुलेआम धमकी देता है. ये व्यक्ति मुंबई में उत्तर भारतीय महापंचायत संघ नाम का एक एनजीओ चलाता है और ये 2019 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुका है. ये व्यक्ति मजदूरों को भड़का रहा है कि वो घरों में ना बैठें. सभी मजदूर एक जगह पर इकट्ठा हो जाएं और धरने पर बैठ जाएं.

विनय दुबे के खिलाफ IPC की धाराएं 153B, 188, 295A, 505 के तहत मामला दर्ज हो सकता है. इसके अलावा IT एक्ट की धारा 66C, 66D और 66F के तहत मामला दर्ज हो सकता है. इसके साथ ही डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 54 और महाराष्ट्र पुलिस एक्ट की धारा 68 के तहत मामला दर्ज हो सकता है. ऐसे लोग देश के दुश्मन हैं. ये लॉकडाउन के खलनायक हैं. ऐसे लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए. अगर आपके पास इस व्यक्ति से जुड़ी कोई जानकारी है तो आप तुरंत इसके बारे में सूचना दीजिए.

DNA वीडियो:

गुजरात के सूरत से भी लॉकडाउन के उल्लंघन की ऐसी ही तस्वीरें सामने आईं. वहां भी सैकड़ों लोग अपने घर जाने के लिए सड़कों पर बैठे थे. सूरत को कपड़ों और डायमंड के कारोबार के लिए जाना जाता है और इस क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी और मजदूर बड़ी संख्या में सूरत में ही रहतें हैं. इनमें से सैंकड़ों लोग लॉकडाउन बढ़ने के बाद अपने-अपने घर जाना चाहते हैं. ये तस्वीर सिर्फ गुजरात के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए बड़ा खतरा है.

ये स्थिति तब है जब गुजरात में कोरोना संक्रमण के 650 मामले सामने आ चुके हैं और 28 लोगों की मौत भी हो चुकी है. सूरत में जिस इलाके की तस्वीरें आप इस वक्त देख रहे हैं. वहां भी कोरोना संक्रमण के 42 मामले सामने हैं और यहां 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है. इसके बावजूद लोग सबक नहीं सीख रहे. एक व्यक्ति की गलती पूरे देश पर भारी पड़ सकती है और आपकी 19 दिनों वाली तपस्या अंतहीन तपस्या में बदल सकती है.

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