Pakistan Vs Taliban: पाकिस्तान और तालिबान के संबंध इस वक्त सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. इन बदलते हालात के बीच भारत और तालिबान के बीच अब संपर्क बहाली की बात हो रही है.
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पाकिस्तान और तालिबान के संबंध इस वक्त सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. दोनों देशों के सीमावर्ती इलाकों में अक्सर झड़पें होती रहती हैं. पाकिस्तान की तरफ से जो हमले अफगानिस्तान की सरजमीं पर होते हैं उसके लिए तालिबान सरकार पाकिस्तान पर आरोप लगाती है. तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान ने इस्लामिक स्टेट-खुरासान के प्रमुख आतंकियों को संरक्षण दे रखा है. ये लोग वहीं से बैठकर अफगानिस्तान और अन्य मुल्कों में हमले कराते हैं. पाकिस्तान में छिपे ऐसे ही कई अन्य आतंकी संगठनों पर भी तालिबान अंगुली उठाता रहता है. उसका मानना है कि ये संगठन तालिबान को अस्थिर करने की कोशिशें करते रहते हैं. इन वजहों से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के संबंध सहज नहीं रहे. गौरतलब है कि 2021 में अमेरिका के हटने के बाद अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्जा हो गया.
इन बदलते हालात के बीच भारत और तालिबान के बीच अब संपर्क बहाली की बात हो रही है. बुधवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेट्री जेपी सिंह की मुलाकात काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मोहम्मद युसूफ मुजाहिद से हुई. युसूफ, तालिबान के सर्वोच्च नेता रहे मुल्ला उमर के बेटे हैं. मुल्ला उमर के नेतृत्व में तालिबान ने 1996-2001 तक अफगानिस्तान में राज किया. उसके बाद अमेरिका ने उसकी सत्ता को उखाड़ फेंका. मुल्ला उमर की मौत 2012 में हुई. गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेट्री जेपी सिंह के पास पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान का चार्ज है.
The Administrator of National Defense Ministry met with a
Delegation from India.The defense ministry’s administrator, Mawlawi Mohammad Yaqoob
“Mujahid” at his office today, met with an Indian delegation, headed by... pic.twitter.com/Ju8IKncQn4— د ملي دفاع وزارت - وزارت دفاع ملی (@MoDAfghanistan2) November 6, 2024
भारतीय अधिकारी ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मुलाकात की. तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि दोनों देशों ने खासतौर पर मानवीय आधार पर सहयोग समेत अन्य मुद्दों पर ध्यान देने पर जोर दिया. दरअसल इस मुलाकात के मायने के बारे में कहा जा रहा है कि भारत चाहता है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं किया जाना चाहिए. हालिया वर्षों में अफगानिस्तान इस कसौटी पर खरा उतरा है. लिहाजा अब भारत, मानवीय आधार पर सहायता और सहयोग प्रदान करने के साथ-साथ पुनर्निर्माण कार्यों में भी सहयोग का इच्छुक है. भले ही अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को भारत ने आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है लेकिन भारत का अब ये मानना है कि ऐसा किए बिना भी अब अफगानिस्तान के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने का सही वक्त आ गया है.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान, भारत से लगातार आग्रह करता रहा है कि भारत स्थित अफगान दूतावास में वो तालिबानी राजनयिक की नियुक्ति की अनुमति दे.