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टोरंटो: कनाडा (Canada) में एक बार फिर से बड़े पैमाने पर ऐसी कब्रें मिली हैं, जिन पर किसी का नाम नहीं (Unmarked Grave) है. सस्केचेवान प्रांत के पूर्व मैरीवल इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल (Former Marieval Indian Residential School) में खुदाई के दौरान इन कब्रों के मिलने का दावा किया गया है. स्थानीय संगठन काउसेस नेशन फर्स्ट (Cowessess First Nation) ने बताया कि खुदाई में करीब 751 कब्रें मिली हैं. कब्रों पर कोई नाम नहीं है, इसलिए ये समझना मुश्किल है कि यहां क्या हुआ होगा. बता दें कि एक हफ्ते पहले भी कुछ ऐसी अनाम कब्रों का पता चला था.
CNN की रिपोर्ट के अनुसार, काउसेस फर्स्ट नेशन (Cowessess First Nation) के प्रमुख कैडमस डेलोर्मे (Cadmus Delorme) ने आशंका जाहिर की है कि इन कब्रों के हेडस्टोन या मार्कर को जानबूझकर हटा दिया गया होगा, ताकि किसी को सच्चाई पता नहीं चल सके. वहीं एक अन्य संगठन Federation of Sovereign Indigenous First Nations के चीफ बॉबी कैमरून ने कहा कि कब्रों को देखकर लगता है कि यहां कोई नरसंहार हुआ होगा. उन्होंने आगे कहा, ‘दुनिया कनाडा को देख रही है. सस्केचेवान प्रांत में कॉन्सन्ट्रेशन कैंप थे, जिन्हें भारतीय आवासीय स्कूल कहा जाता था. कनाडा को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में जाना जाएगा जिसने ‘फर्स्ट नेशन’ खत्म करने की कोशिश की. अब इसके सबूत भी मिलने लगे हैं.
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मई के अंत में कनाडा के एक अन्य बोर्डिंग स्कूल के पास दफन 215 बच्चों के अवशेष पाए गए थे, जिसे लेकर काफी हंगामा मचा था. अधिकारियों ने बताया था कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों को कमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल (Kamloops Indian Residential School) के मैदान में दफनाया गया था. माना जा रहा है कि बच्चों को नस्लीय भेदभाव की वजह से मारकर दफन किया गया होगा. वहीं, प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने कहा है कि दोनों स्कूलों में मिली कब्रों की जांच की जाएगी.
जस्टिन ट्रूडो ने स्कूलों में मिलीं कब्रों पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि यह प्रणालीगत नस्लवाद, भेदभाव और अन्याय का एक शर्मनाक अनुस्मारक है, जिसका स्वदेशी लोगों (Indigenous Peoples) ने सामना किया होगा. उन्होंने कहा कि हमें इतिहास की इस काली सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए. उधर, स्थानीय संगठनों का कहना है कि कनाडा में पूर्व में बड़े पैमाने पर नस्लवाद और भेदभाव किया जाता था. खासकर स्कूलों में बच्चों को भी इससे गुजरना पड़ता था और यहां से मिलीं कब्रें वही दर्शाती हैं. काउसेस फर्स्ट नेशन के अनुसार, बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ने के लिए बाध्य किया जाता था और उन्हें रोमन कैथोलिक बनाया जाता था.