Climate Change: क्लाइमेट चेंज से दुनिया को बचाने में भारत नंबर-1, चीन-अमेरिका भी हमसे पीछे; दंग कर देगी ये रिपोर्ट
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Climate Change: क्लाइमेट चेंज से दुनिया को बचाने में भारत नंबर-1, चीन-अमेरिका भी हमसे पीछे; दंग कर देगी ये रिपोर्ट

Climate Change News: क्लाइमेट चेंज को लेकर आज पूरी दुनिया चिंतित है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया के लगभग सारे कोशिशों में जुटे हुए हैं. क्लाइमेट चेंज का खाद्य खपत पैटर्न से भी सीधा वास्ता है.

Climate Change: क्लाइमेट चेंज से दुनिया को बचाने में भारत नंबर-1, चीन-अमेरिका भी हमसे पीछे; दंग कर देगी ये रिपोर्ट

Climate Change News: क्लाइमेट चेंज को लेकर आज पूरी दुनिया चिंतित है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया के लगभग सारे कोशिशों में जुटे हुए हैं. क्लाइमेट चेंज का खाद्य खपत पैटर्न से भी सीधा वास्ता है. इस पैटर्न में जरूरी बदलाव कर हम क्लाइमेट चेंज के खतरे को कम कर सकते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दिशा में भारत ने दुनिया के तमाम देशों को पछाड़ दिया है. भारत का खाद्य खपत पैटर्न सबसे स्थिर है. 

भारत का खाद्य खपत पैटर्न सबसे स्थिर

WWF (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) की हाल ही में जारी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट में भारत की खाद्य खपत प्रणाली को दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (G20 देशों) में सबसे अधिक स्थिर और पर्यावरण के लिए सबसे कम हानिकारक बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार अगर सभी देश भारत जैसी खाद्य खपत प्रणाली अपनाएं, तो 2050 तक पृथ्वी पर खाद्य उत्पादन से होने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

भारत का खाद्य खपत पैटर्न क्यों है खास

भारत का खाद्य खपत पैटर्न इस संदर्भ में अन्य देशों से बहुत अलग है क्योंकि यहां की प्रमुख खाद्य प्राथमिकताएं पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित हैं. भारत में अनाजों और दालों के अलावा, पारंपरिक पोषक अनाजों (जैसे मिलेट, ज्वार, बाजरा) का अधिक उपयोग होता है. जो न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं बल्कि जलवायु परिवर्तन के लिए भी अनुकूल हैं. इन अनाजों का उत्पादन कम जल, कम रासायनिक उर्वरक, और कम भूमि उपयोग में संभव होता है.

मिलेट मिशन की सराहना

रिपोर्ट में विशेष रूप से भारत के राष्ट्रीय मिलेट अभियान की सराहना की गई है. जो पोषक अनाजों के उत्पादन और सेवन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. मिलेट्स, या न्यूट्री-सीरियल्स, को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए बेहद लचीला और पर्यावरण के लिए सुरक्षित माना जाता है. ये अनाज न केवल बेहतर पोषण प्रदान करते हैं, बल्कि अधिक मौसम परिवर्तनशीलता, सूखा और कम जलवायु स्थिति में भी अच्छे से उगाए जा सकते हैं. भारत इस मिशन के तहत अपने नागरिकों को इन अनाजों के फायदे समझाने और उनका सेवन बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.

खेती को लगातार बदलते रहने की जरूरत

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अगर दुनिया के सभी देश भारत की तरह खाद्य खपत प्रणाली अपनाते हैं, तो वैश्विक खाद्य उत्पादन के लिए केवल "0.84 पृथ्वी" की जरूरत होगी. इसका मतलब यह है कि भारत का खाद्य खपत पैटर्न न केवल जलवायु सीमा (1.5°C वैश्विक तापमान वृद्धि) में रहता है, बल्कि यह सबसे स्थिर और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने वाला है. इसके विपरीत, यदि अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, या अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपना खाद्य खपत पैटर्न अपनाती हैं, तो इन देशों को 5 से 7 पृथ्वी की आवश्यकता होगी, जो यह दर्शाता है कि उनके खाद्य खपत पैटर्न पर्यावरण के लिए अधिक हानिकारक हैं.

खाद्य खपत का वैश्विक प्रभाव

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यदि दुनिया भर के लोग अधिक स्थिर और जलवायु-समर्थक आहारों की ओर बढ़ें, तो इससे न केवल भूमि का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की बचत भी होगी. उदाहरण के लिए, चरागाह भूमि (ग्रेसिंग लैंड) जो आमतौर पर मांस उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है, उसे अब अन्य उपयोगों के लिए खोलने का अवसर मिलेगा, जैसे प्रकृति की पुनर्स्थापना और कार्बन अवशोषण. इसके अलावा, रिपोर्ट ने पौधों से मिलने वाले प्रोटीन स्रोतों, जैसे दालें, न्यूट्री-सीरियल्स, और शाकाहारी मांस विकल्पों के महत्व पर भी जोर दिया. ये खाद्य पदार्थ न केवल पोषण की दृष्टि से बेहतर होते हैं, बल्कि पर्यावरण पर भी कम दबाव डालते हैं.

दुनिया में खाद्य खपत पैटर्न और उनके प्रभाव

रिपोर्ट में खाद्य खपत के लिए पृथ्वी की आवश्यकता को लेकर एक वैश्विक तुलना भी की गई है. अगर अलग-अलग देशों के खाद्य खपत पैटर्न को अपनाया जाए तो पृथ्वी पर खाद्य उत्पादन के लिए अलग-अलग आवश्यकताएं होंगी. भारत का पैटर्न सबसे अच्छा और पर्यावरण के अनुकूल है, जबकि अर्जेंटीना का पैटर्न सबसे खराब माना गया है.

भारत: 0.84 (सबसे स्थिर पैटर्न)
इंडोनेशिया: 0.9
चीन: 1.7
जापान: 1.8
सऊदी अरब: 2
अर्जेंटीना: 7.4 (सबसे अस्थिर पैटर्न)
ऑस्ट्रेलिया: 6.8
अमेरिका: 5.5
ब्राजील: 5.2
फ्रांस: 5
इटली: 4.6
कनाडा: 4.5
यूके: 3.9

दुनिया को भारत से सीखने की जरूरत

WWF की लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारत का खाद्य खपत पैटर्न जलवायु संकट को कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए एक आदर्श मॉडल हो सकता है. भारत का मिलेट अभियान और पोषक अनाजों का प्रचार इसके स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. अगर बाकी दुनिया भी भारत की तरह अपनी खाद्य खपत प्रणाली को अधिक स्थिर और पर्यावरण के अनुकूल बनाए, तो हम जलवायु परिवर्तन को सीमित कर सकते हैं और पृथ्वी के संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं.

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