Vladimir Putin-PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की यात्रा पर जा रहे हैं. वह 22 से 23 अक्टूबर तक रूस की यात्रा पर रहेंगे. पीएम मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने रूस जा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आमंत्रित किया है. पीएम मोदी और भारत की तारीफ जिस तरह पुतिन करते हैं वह कोई नई बात नहीं है. दोनों देशों के बीच रिश्ता बहुत ही पुरान है. जानें 70 साल की दोस्ती की कहानी...
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India–Russia relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए 22-23 अक्टूबर तक रूस का दौरा करेंगे. इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह यूक्रेन में युद्ध के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जताई गई चिंता को लेकर उनके आभारी हैं. मीडिया से बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में भारत की भूमिका देखते हैं, तो उन्होंने पीएम मोदी के साथ अपनी बातचीत का जिक्र किया और उन्हें (मोदी को) अपना मित्र बताया और कहा कि उनका देश इसके लिए आभारी है.
रूस और भारत की दोस्ती की मिसाल
रूस और भारत की दोस्ती की मिसाल कोई यह नई नहीं हैं. भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी दोस्ती है. दुनिया दोनों देशों के बीच की दोस्ती का सम्मान करती है. दिसंबर 2023 में मॉस्को की यात्रा पर गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत और रूस के बीच संबंध सिर्फ राजनीति और कूटनीति या अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उससे कहीं ज्यादा गहरे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच दोस्ती आजाद भारत से पहले से चली आ रही है.
रूस और भारत के दोस्ती के पीछे की कहानी
रक्षा और सुरक्षा विश्लेषक प्रफुल्ल बख्शी ने इस रिश्ते के मजबूत होने के पीछे की कहानी को और स्पष्ट किया है. बख्शी ने कहा कि भारत ब्रिक्स का हिस्सा है. जब वारसा पैक्ट टूटा, तब सोवियत संघ भी बिखर गया और उसमें शामिल देश अलग हो गए. उस समय भारत के सामने सवाल था कि अब वह क्या करेगा. हमारा अधिकतम सैन्य साजो-सामान सोवियत संघ से आता था और अब रूस उसे सप्लाई कर रहा है.
भारत ने रूस का कभी नहीं छोड़ा साथ
भारत ने उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और यूक्रेन के अलग होने पर भी रूस को नहीं छोड़ा. जब ब्रिक्स बना, तो ब्राजील, रूस, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका सबने मिलकर अपने हितों को बनाए रखा. उस समय चर्चा हुई कि पश्चिमी देशों को लगता है कि भारत उनके खिलाफ काम करेगा, लेकिन भारत ने ऐसा करने से मना कर दिया. भारत ने कहा, मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं. मैं अपना हित देख रहा हूं. सभी देश अपना हित देखते हैं. इसलिए भारत रूस के साथ खड़ा रहा. रूस को पता चल गया कि भारत मेरा शुभचिंतक है, इसलिए रूस भी हमारे साथ खड़ा रहा.
1960-70 के दशक में रूस ने दिया भारत का साथ
प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि इसकी पृष्ठभूमि यह है कि 1960-70 के दशक में रूस ने हमारा साथ दिया था. जब अमेरिका का सातवां बेड़ा भी बंगाल की खाड़ी में आ गया था और फारस की खाड़ी से ब्रिटिश बेड़ा हमारे खिलाफ आ रहा था. यह वह समय था, जब रूस ने हमारा साथ दिया था, और हमने भी हमेशा रूस का साथ दिया है और इस समय भी जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. रूस और यूक्रेन दोनों ने ही भारत से स्वतः मित्रता कर ली है, तो स्वाभाविक है कि इस समय रूस में जो ब्रिक्स की बैठक होगी, उसमें भारत जरूर भूमिका निभाएगा.
यूक्रेन की जंग रोकने में भारत कर सकता है मदद
अगर भारत से संपर्क किया जाता है, तो ब्रिक्स सम्मेलन में भारत अपनी समझ से रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता स्थापित कर सकता है. भारत इस बारे में कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगा.आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की यात्रा पर जा रहे हैं. वह 22 से 23 अक्टूबर तक रूस की यात्रा पर रहेंगे.
22 अक्टूबर को रूस जाएंगे पीएम मोदी
पीएम मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने रूस जा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आमंत्रित किया है. इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता रूस कर रहा है.