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नारायणमूर्ति नहीं, ये हैं Infosys के सबसे अमीर को-फाउंडर, जानिए कितनी है नेटवर्थ

भारत के अरबपतियों ने अपनी अकूत संपत्ति के कारण लगातार सुर्खियां बटोरी हैं. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2024 के अनुसार, देश में अब 334 अरबपति हैं. यह संख्या पिछले साल की तुलना में 75 अधिक हैं. इन अरबपतियों की कुल संपत्ति 159 लाख करोड़ रुपये है.  

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अपने बयानों से अक्सर चर्चा में रहने वाले इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति एक बार फिर चर्चा में हैं. हालांकि, इंफोसिस के ही एक और को फाउंडर हैं सेनापथी गोपालकृष्णन, जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. 

 

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सेनापथी गोपालकृष्णन की कुल संपत्ति 38,500 करोड़ रुपये है. जबकि नारायणमूर्ति की कुल संपत्ति 36600 करोड़ रुपये आंकी गई है. यानी सेनापथी की कुल संपत्ति नारायणमूर्ति से भी ज्यादा है. इस तरह गोपालकृष्णन अब इंफोसिस के सबसे अमीर को-फाउंडर हैं. 

 

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साल 1981 में नारायण मूर्ति के साथ को-फाउंडर एनएस राघवन, अशोक अरोड़ा, नंदन नीलेकणी, एसडी शिबूलाल, के दिनेश और सेनापथी गोपालकृष्णन ने मिलकर इंफोसिस की स्थापना की थी. भारत की सबसे सफल आईटी कंपनियों में से एक बन इंफोसिस ने 2023 में 18.2 बिलियन डॉलर यानी लगभग 1,51,762 करोड़ रुपये की कमाई की. इंफोसिस की शुरुआत सिर्फ 10,000 रुपये से की गई थी. यह रकम नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ने दिया था.

 

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भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक नारायण मूर्ति जहां हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. वहीं, सेनापथी गोपालकृष्णन ने परदे के पीछे कंपनी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 69 साल के सेनापथी गोपालकृष्णन 2007 से 2011 तक कंपनी के सीईओ और प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया. इसके बाद 2011 से 2014 तक कंपनी के उपाध्यक्ष रहे.

 

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इंफोसिस को नई मुकाम पर पहुंचाने के बाद गोपालकृष्णन ने नए बिजनेसों पर ध्यान केंद्रित किया. वर्तमान में वह एक्सिलर वेंचर्स के अध्यक्ष हैं. यह कंपनी स्टार्टअप को मदद करती है. एक्सिलर वेंचर्स ने कई होनहार स्टार्टअप्स जैसे GoodHome, Kaagaz और EnKash में निवेश किया है. केरल के तिरुवनंतपुरम में जन्मे गोपालकृष्णन ने IIT मद्रास से भौतिकी और कंप्यूटर विज्ञान में मास्टर डिग्री पूरी की है.

 

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आईटी उद्योग में योगदान और उनके परोपकारी कार्यों के लिए गोपालकृष्णन को व्यापक रूप से सराहा गया है. साल 2011 में उन्हें देश की असाधारण सेवा के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. यह भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है.

 

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