Muktinath Temple Nepal: मुक्तिनाथ मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है. इसे मोक्ष और आत्मज्ञान प्राप्त करने का स्थान माना जाता है. भारत और नेपाल के श्रद्धालुओं के लिए यह मंदिर विशेष महत्व रखता है और यहां आने वाले भक्त इसे एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव के रूप में देखते हैं.
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Indian army chief upendra dwivedi: भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी इसी सप्ताह नेपाल के प्रसिद्ध मुक्तिनाथ मंदिर का दौरा कर रहे हैं. यह मंदिर नेपाल के मुस्तांग जिले में स्थित है और हिंदू-बौद्ध धर्म के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है. खास बात यह है कि इस मंदिर में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रहे दिवंगत जनरल बिपिन रावत के नाम पर घंटा बना हुआ है. यह विशेष घंटा जनरल रावत को सम्मानित करने के लिए और उनकी स्मृति में स्थापित की गई है.
योगदान और सेवाओं का प्रतीक..
असल में जनरल उपेंद्र द्विवेदी की यह यात्रा जनरल बिपिन रावत के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. बिपिन रावत की स्मृति में यहां फरवरी 2023 में एक घंटी लगाई गई थी, जो उनके योगदान और सेवाओं का प्रतीक है. दिसंबर 2021 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल रावत का निधन हो गया था.
'जनरल रावत बेल'
इस घंटी को 'जनरल रावत बेल' के नाम से जाना जाता है, जो भारत और नेपाल के बीच गहरे सैन्य संबंधों का प्रतीक है. यह घंटी जनरल रावत की नेतृत्व क्षमता और भारत-नेपाल रक्षा सहयोग को मजबूत करने के उनके प्रयासों की याद दिलाती है. इसकी स्थापना के समय भारतीय सेना के चार पूर्व प्रमुख जनरल रिटायर्ड विष्णु शर्मा, जनरल रिटायर्ड जेजे सिंह, जनरल रिटायर्ड दीपक कपूर और जनरल रिटायर्ड दलबीर सिंह सुहाग ने भी नेपाल का दौरा किया था.
सांस्कृतिक और सैन्य संबंधों की गहरी नींव..
उस समय इन अधिकारियों ने नेपाली सेना दिवस और चीफ्स कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया था, जो दोनों देशों की सेनाओं के बीच घनिष्ठ संबंधों का एक और उदाहरण है. मुक्तिनाथ मंदिर आने वाले भारतीय श्रद्धालुओं के लिए यह घंटी जनरल रावत की सेवा, समर्पण और अंतरराष्ट्रीय रक्षा संबंधों को मजबूत करने की उनकी दृष्टि की याद दिलाती है. यह घंटी दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सैन्य संबंधों की गहरी नींव को भी दर्शाती है.
जनरल रावत की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रतीक..
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का यह प्रस्तावित दौरा जनरल रावत की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रतीक है. यह भारत और नेपाल की साझा इतिहास और सेनाओं की कुर्बानियों को याद करने का अवसर है. इस यात्रा से दोनों देशों के बीच रक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूती मिलेगी.