Fired For Speaking In Hindi: अमेरिका में काम कर रहे एक भारतीय को हिंदी बोलने की वजह से कंपनी से निकाल दिया गया. अब उसी शख्स ने कंपनी पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है और कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
Trending Photos
Hindi Speaking In US: भारत में हिंदी भाषी लोगों की तादाद काफी ज्यादा है. भारत के अलावा अन्य देशों में हिंदी बोलने वाले मिल जाते हैं. यूरोपियन देशों में रहने वाले भारतीय भी आपस में बातचीत के लिए हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अमेरिका में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक भारतीय को अमेरिकी कंपनी से निकाल दिया गया क्योंकि वो हिंदी में बात कर रहा था. शख्स ने कंपनी पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. इसके अलावा पीड़ित शख्स ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं कंपनी ने अपनी सफाई में कहा है कि शख्स ने कंपनी की पॉलिसी को तोड़ा है.
जानिए क्या है पूरा मामला?
भारतीय-अमेरिकी अनिल वार्ष्णेय ने मिसाइल डिफेंस एजेंसी और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के खिलाफ केस किया है, क्योंकि अपने रिश्तेदार से हिंदी में बात करने के आरोप में अनिल वार्ष्णेय को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. अनिल का दावा है कि पिछले साल कंपनी की कार्यप्रणाली की वजह से उन्हें अपने नौकरी से हाथ धोना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह मामला पिछले साल अक्टूबर महीने का है. अनिल ने बताया कि 26 सितंबर, 2022 को उनकी बात उनके बुजुर्ग बहनोई के.सी. गुप्ता से हुई थी. इस दौरान वो मरणासन्न अवस्था में थे. उनकी यह बात करीब 2 मिनट तक चली थी. हिंदी में हुई इस बात को करीब खड़े उनके एक श्वेत सहकर्मी ने सुन लिया. जैसे ही सहकर्मी ने बताया कि कॉल की इजाजत नहीं हैं अनिल ने फोन काट दिया.
अनिल वार्ष्णेय का दावा
अनिल वार्ष्णेय ने दावा किया है कि यह भेदभावपूर्ण रवैया उनके साथ जानबूझकर अपनाया गया है. अनिल वार्ष्णेय ने कहा कि दूसरे कर्मचारियों ने झूठी खबर फैलाई कि मैंने गोपनीय जानकारी का खुलासा किया है. इससे सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हुआ है. अनिल ने बताया कि वह कॉल अटेंड करने से पहले एक खाली कमरे में थे. इसके साथ ही उस कमरे में कोई सामान नहीं था. उन्होंने बताया कि कंपनी में कॉल पर बैन लगाने की कोई पॉलिसी नहीं है.