Israel-Hamas Conflict: इजरायल आतंकी हमले में बुरी तरह घायल हो गया है. वो बदला लेने के लिए तैयार है. इजरायल की जनता हमास का खात्मा चाहती है. अब देखना होगा कि ये जंग कब तक चलती है और हमास का सफाया कब तक होगा?
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Israel-Hamas Conflict: नमस्कार दोस्तों, मैं विशाल पाण्डेय हूं. इजरायल-हमास में भयंकर युद्ध चल रहा है. ये जंग कब तक चलेगी, इसका जवाब शायद ही किसी के पास होगा. लेकिन आज मैं आपको सीधे जंग के मैदान से आंखों देखी बताऊंगा, जो मैंने बीते 18 दिनों में देखा और महसूस किया, उसे शब्दों में पिरोने का प्रयास करूंगा. मेरे लिए वॉर जोन के दर्द और तस्वीरों को शब्दों में बयां करने थोड़ा मुश्किल है. मेरी डायरी के पार्ट-3 में मैं आपको इजरायल के हालात और पीड़ित इजरायलियों की दास्तान के बारे में बताता हूं.
कफर अजा में नरसंहार की दास्तान
रात के करीब 9 बजे रहे थे और मैं अपने कैमरामैन एस जयदीप के साथ तेल अवीव में रीना पुष्करना के Tandoori Lands रेस्टोरेंट में डिनर कर रहा था. इसी दौरान एयर सायरन बजा और हम सभी को अपना खाना छोड़ बंकर की तरफ भागना पड़ा. थोड़ी देर बाद पता चला कि एक रॉकेट भूमध्य सागर में गिरा है. इस रेस्टोरेंट के ठीक सामने ही भूमध्य सागर का बीच है. अगली सुबह तेल अवीव से हम कफर अजा के लिए रवाना हुए. लेकिन उसी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को तेल अवीव आना था. उस वजह से तेल अवीव को पूरी तरह से सील कर दिया गया था. अधिकतर रास्ते बंद कर दिए गए थे और हम बहुत बुरे जाम में फंस गए, लगभग 6 घंटे तक तेल अवीव में भयंकर जाम में हम फंसे रहे. हमारा कफर अजा जाने का असाइनमेंट छूट गया. वहां पर IDF के अधिकारी हमारा इंतजार कर रहे थे. लेकिन हमें मजबूरन वापस तेल अवीव आना पड़ा. आपको बता दें कि कफर अजा भी बीरी जैसा एक Kibbutz है. जहां पर हमास ने Be’eri से भी बड़ा नरसंहार किया है.
अपनी आंखों से देखे बर्बरता के निशान
कुछ मीडिया रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया कि हमास ने छोटे बच्चों की गर्दनें काटी हैं. हालांकि हमास ने इसका खंडन किया. लेकिन खंडन कर देने मात्र से हमास की क्रूरता की निशानी छिपने वाली नहीं है. कफर अजा में सैकड़ों लोगों को तड़पा-तड़पा कर हमास के आतंकियों ने मारा है. घरों में घुस-घुसकर लोगों पर गोलियां चलाई हैं. ग्रेनेड से हमला कर दरवाजे तोड़ लोगों के घरों में ये आतंकवादी घुस रहे थे. कफर अजा से सैकड़ों की संख्या में बच्चों और महिलाओं समेत आम नागरिकों को हमास ने किडनैप किया. कफर अजा का सच जान दुनिया हतप्रभ रह गई, हमास ने यहां पर हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं.
आतंकियों ने यहां से की थी घुसपैठ
अगले दिन IDF के प्रवक्ता कर्नल Jonathan Cornicus से बातचीत हुई और उन्होंने कहा कि हम आपको Kibbutz Nir Oz लेकर चलते हैं. इस Nir Oz में IDF के साथ जाने वाला ज़ी न्यूज़ भारत का पहला चैनल था. हम तेल अवीव से सीधे गाजा बॉर्डर पहुंच गए और Nir Oz वो जगह है जहां से हमास के आतंकियों ने Fencing तोड़ इजरायल में घुसपैठ की थी. इस इलाके में Fencing का दरवाजा टूटा हुआ था. हम बिल्कुल Zero Point पर मौजूद थे. यहां से मात्र 1 KM की दूरी पर गाजा पट्टी थी. एक स्थानीय फोटोग्राफर ने बताया कि हमास के आतंकी 7 अक्टूबर की सुबह 6 बजे इस Nir Oz में घुसपैठ करते हैं. पुलिस और सेना को यहां पहुंचने में लगभग 8 घंटे लग गए थे. इस दौरान हमास के आतंकी इसी रास्ते से गाजा पट्टी आते जाते रहे. हमास के आतंकियों ने सबसे पहले इस Kibbutz के एंबुलेंस को उड़ा दिया और सुरक्षा प्रभारी को मार दिया. मैंने देखा कि एक जगह पर थोड़ी दर तक यहां के नागरिकों ने हमास के आतंकियों का मुकाबला करने का प्रयास किया लेकिन वो ज्यादा देर तक हमास के आतंकियों को रोक नहीं पाए. हमास के आतंकी बहुत बड़ी संख्या में आए थे. IDF के अधिकारी रिचर्ड हेच ने बताया कि इसी बाड़ को तोड़कर हमास के आतंकी अंदर घुसे थे. यहां से 80 लोगों को किडनैप किया है और 25 लोगों का मौत हुई है.
खौफनाक मंजर देख मैं भी सहम गया
इस किबुत्ज Nir Oz में जब मैं अलग-अलग इलाकों का दौरा कर रहा था, तो बहुत डरावनी तस्वीरें यहां दिखाई दे रही थीं. कोई भी घर नहीं बचा था, जो जलकर राख ना हो गया हो. हमास के आतंकियों ने इस जगह लूटपाट भी की थी. महिलाओं के साथ रेप भी किया था और कुछ बच्चों को भी मौत के घाट उतार दिया था. IDF के अधिकारी मुझे एक घर में लेकर गए, जहां कमरे में अंधेरा था. सेना के अधिकारी ने अपनी बंदूक की टॉर्च जलाई और रौशनी होते ही जब मैंने फर्श की तरफ देखा तो सिर्फ खून ही खून था. यहां पर एक बुजुर्ग महिला सो रही थी, उस महिला को आतंकियों ने ना सिर्फ गोली से भूना बल्कि उनकी लाश को कमरे से घसीटते हुए बाहर तक लाए. मैं इस तस्वीर को देख सहम सा गया था, मेरे शब्द नहीं निकल रहे थे. बहुत दर्दनाक तस्वीर थी. Nir Oz के एक और घर में सेना के अधिकारियों के साथ गया, यहां पर डाइनिंग टेबल पर खाने के साथ खून दिखाई पड़ा. इस परिवार से आतंकियों से बचने के लिए खुद को बंकर में लॉक कर लिया. लेकिन आतंकियों ने गेट पर टायर जला दिया और अंदर इतना धुआं हो गया कि परिवार को दरवाजा खोल बाहर आना पड़ा और आतंकी इस पूरे परिवार को किडनैप कर अपने साथ ले गए. यह गांव हमास से आतंक की एक-एक तस्वीर बताने के लिए पर्याप्त है. हम बहुत दुखी मन से यहां से तेल अवीव के लिए रवाना हुए.
पहली बार देखा Fauda सीरीज वाला रामल्ला
तारीख- 20 अक्टूबर, दिन शुक्रवार. जुमे की नमाज प्रस्तावित थी. मैं तेल अवीव से फिलिस्तीन के लिए रवाना हुआ. फिलिस्तीन के West Bank जाने के लिए मैं अपने होटल से निकला. यह इलाका भी बहुत खतरनाक माना जाता है. मेरे टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि मैं आपको बॉर्डर चेक प्वाइंट तक छोड़ दूंगा. इसके आगे आपको खुद ही जाना होगा, मैं अंदर नहीं जाऊंगा. हम थोड़ा डर और थोड़ी हिम्मत के साथ West Bank के लिए रवाना हुए. इजरायल और फिलिस्तीन के चेक प्वाइंट पर हम उतर गए. वहां कोई टैक्सी नहीं मिल रही थी. इसी बीच एक गाड़ी आती हुई दिखाई दी, जिस पर Press लिखा था. मैंने अपना माइक आईडी दिखाकर गाड़ी को रोका और कहा कि हमें भी रामल्ला तक लिफ्ट दे दीजिए. ये AFP के फोटोग्राफर Niko थे, जो कि अर्जेंटीना से यहां युद्ध कवर करने आए थे. उन्होंने हमें West Bank में अपने दफ्तर के पास उतार दिया. अभी तक इस इलाके को मैंने Fauda सीरीज में ही देखा था लेकिन अब रियल में देख रहा था, अंदर डर था क्योंकि हर व्यक्ति घूरते हुए और शक की नजर से देखते हुए जा रहा था.
जब हुआ फिलिस्तिनियों से सामना
AFP के दफ्तर के बाहर एक दुकान थी, उस दुकानदार से बातचीत हुई और उसने एक टैक्सी बुला दी. वो टैक्सी हमें लेकर फिलिस्तीन के West Bank के रामल्ला सिटी सेंटर पहुंच गई. वहां पर फिलिस्तीन की एक स्थानीय पत्रकार से मुलाकात हुई. उस महिला पत्रकार ने हमें बताया कि हमास ने कुछ गलत नहीं किया है. मैंने पूछा कि बच्चों को मारना और आतंकी हमला करना कैसे सही हो सकता है? उस पत्रकार का जवाब था कि जैसे इजरायल सालों से हम पर हमला कर रहा है. वो मेरे सवालों से बहुत गुस्सा हो रही थी और मैं भी गुस्से में था कि आतंकी हमले को ये कैसे सही ठहरा सकती हैं. मेरे लोकल ड्राइवर ने मुझे वहां से निकलने का इशारा किया. हम वहां से निकल गए और फिर West Bank में कुछ मस्जिदों का दौरा किया. यहां लोग भारी संख्या में इकट्ठा थे और सड़क किनारे बैठे हुए थे. हम लोगों को बहुत घूर-घूर कर देख रहे थे. इस इलाके में मैं रुका नहीं क्योंकि मुझे लगा कि अगर हम यहां पर उतरे तो विवाद हो सकता है. वहां से हम सीधे सिटी सेंटर के उस प्वाइंट की तरफ रवाना हो गया, जहां आज प्रदर्शन होना था. हमास के आतंकी हमले के बाद इजरायल की सेना बड़े पैमाने पर West Bank में भी छापेमारी कर आतंकियों को गिरफ्तार कर रही थी. जेनिन कैंप में भी छापेमारी कर रही थी और संदिग्धों को गिरफ्तार कर रही थी. एक मस्जिद पर भी इजरायल की सेना ने हवाई हमला किया. लगभग 800 संदिग्धों की गिरफ्तारी West Bank से IDF कर चुकी है.
देखते ही देखते होने लगी पत्थरबाजी
आपको बता दूं कि भारत से हम पहले ऐसे रिपोर्टर और कैमरामैन थे जो फिलिस्तीन के West Bank पहुंचे थे. एक पेट्रोल पंप के पास हमें एक छोटा सा कैफे दिखाई पड़ा और हम उस कैफे के अंदर जाकर बैठ गए. थोड़ी देर बाद देखते ही देखते लोगों की भीड़ इस चौराहे पर बढ़ने लगी. जुमे की नमाज के बाद हजारों की संख्या में फिलिस्तीन से प्रदर्शनकारी यरूशलम स्क्वायर पर इकट्ठा हो गए. इस जगह पर प्रदर्शन इसलिए कर रहे थे क्योंकि यहां से सटी हुई इजरायल की यहूदी बस्तियां हैं. जहां पर इजरायली सेना तैनात हैं. यहां प्रदर्शन काफी हिंसक हो गया. मैंने देखा कि कुछ युवा चेहरे पर नकाब लगाकर टायरों में आग लगाने लगे और पथराव करने लगे. महिलाओं के चेहरे भी ढके हुए थे और झंडों के साथ ये सभी इजरायल के खिलाफ प्रर्दशन कर रहे थे. इजरायल की सेना भी आंसू के गैस के गोले फायर कर रही थी और रबर बुलेट का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ रही थी. यह प्रदर्शन लगभग 1 घंटे तक चलता रहा. इस दौरान घायलों को एंबुलेंस तुरंत लेकर अस्पताल रवाना हो रही थी. फिलिस्तीन के प्रदर्शनकारी Free Palestine का नारा भी लगा रहे थे. अब यहां पर ज्यादा देर हमारे लिए रुकना सुरक्षित नहीं था. इसलिए हम जल्दी से इजरायल बॉर्डर की तरफ निकल पड़े और लगभग 1 घंटे में इजरायल की सीमा पर पहुंच गया. टैक्सी वाले ने हमें फिलिस्तीन की सीमा में ही उतार दिया था और अब पैदल हम इजरायल में नहीं घुस सकते थे. मैंने अपने ड्राइवर Avi को फोन किया और वो हिम्मत कर अंदर घुसे और हमें तेल अवीव लेकर रवाना हुए.
दोबारा इजरायल पहुंच ली राहत की सांस
इस दौरान मैंने अपनी Live Location अपने बॉस रजनीश आहूजा सर और शिवम गुप्ता सर को शेयर कर रखी थी. शिवम सर मेरी लाइव लोकेशन पर लगातार नजर बनाए हुए थे और जब मैं इजरायल में दोबारा प्रवेश कर गया तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली. अगले 2 दिन हम लगातार दक्षिणी इजरायल में गाजा बॉर्डर से ग्राउंड रिपोर्ट करते रहे. 23 अक्टूबर को अब हम तेल अवीव से उत्तरी इजरायल के लिए रवाना हुए. उस इलाके के लिए जो लेबनान बॉर्डर से सटा हुआ है. क्योंकि इजरायल पर लेबनान का आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह भी रॉकेट से हमला कर रहा है. इजरायल के लिए इस फ्रंट से भी युद्ध की आशंका बनी हुई है. मैं अपने होटल से निकला तो मैंने देखा कि तेल अवीव में सैकड़ों की संख्या में आम नागरिक प्रदर्शन कर रहे हैं. उन लोगों की तस्वीरें लगाई गई हैं जो किडनैप किए गए हैं. इजरायल के नागरिक यह मांग कर रहे हैं कि बंधक बनाए गए नागरिकों को सरकार जल्द वापस लेकर आए. इस स्टोरी को कवर करने के बाद में उत्तरी इजरायल के मेटुला और किरयत शेमुना के लिए रवाना हो गया. लगभग 3 घंटे की यात्रा करने के बाद मैं उत्तरी इजरायल के बॉर्डर पर पहुंचा. यहां सब कुछ बंद था. सीमाएं सील थीं और बॉर्डर से सटे लगभग 5 किलोमीटर के क्षेत्र को खाली करा लिया गया था. बम धमाकों की आवाज इस तरफ से भी आ रही थी.
आखिर समझ आया इजरायल-फिलिस्तीन विवाद?
हिज्बुल्लाह 7 अक्टूबर से ही लगातार रुक-रुककर रॉकेट से हमले कर रहा है और इजरायल जवाबी कार्रवाई कर रहा है. इजरायल के पीएम ने इस इलाके का दौरा कर लेबनान को चेतावनी दी कि अगर हिज्बुल्लाह युद्ध छेड़ता है तो दूसरे लेबनान युद्ध के लिए तैयार रहना होगा. इस इलाके में हमने गोलान पहाड़ियों को देखा, लेबनान बॉर्डर को देखा. यहां भी लोगों में डर था और खौफ था. जो लोग इस दायरे से बाहर थे, वो भी डरे हुए थे. यहां से विस्तृत रिपोर्ट करने के बाद हम तेल अवीव वापस आ गए. इसके बाद अगले दिन हमने यरूशलम की यात्रा की और यह समझने का प्रयास किया कि आखिरकार इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद क्या है? यरूशलम इस विवाद का केंद्र बिन्दु क्यों है? ईसाई, यहूदी और मुस्लिम इन तीनों ही धर्मों के लिए यरूशलम सबसे पवित्र स्थान क्यों है? मैंने अल अक्सा मस्जिद, Western Wall और शेपल्कर चर्च का दौरा किया. इस बड़े मुद्दे पर ग्राउंड रिपोर्ट जल्द आप Zee News पर देख पाएंगे.
इजरायल की आंखों देखी ने झकझोर दिया
इसके साथ ही हम 25 अक्टूबर को इजरायल युद्ध क्षेत्र से वापसी कर रहे हैं. लेकिन युद्ध की आग में आम लोग जलते हैं. आतंकी हमले से इजरायल बुरी तरह घायल हो गया है. इजरायल बदला लेने के लिए तैयार है. इजरायल की जनता हमास का अंत चाहती है. अब देखना यही होगा कि यह युद्ध कब तक चलता है और हमास का अंत कब तक होगा? फिलहाल मैं अपने कैमरामैन एस जयदीप के साथ आबू धाबी से दिल्ली की उड़ान भर चुका हूं. लेकिन इजरायल की आंखों देखी ने हमें अंदर से झकझोर कर रख दिया है. हम इजरायल के लोगों का दर्द कभी नहीं भूल पाएंगे. मासूम बच्चों की तस्वीरें हमारे जेहन से कभी नहीं निकल पाएगी. मैं सिर्फ यही कहूंगा कि आतंक के खिलाफ पूरी दुनिया को एकजुट होकर लड़ना होगा.
(डिस्क्लेमर: Israel War डायरी- ग्राउंड ज़ीरो से Zee Media रिपोर्टर विशाल पाण्डेय और कैमरामैन एस जयदीप की आंखों देखी. भाग-2. इसकी अगली कड़ी कल प्रकाशित की जाएगी.)