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टोरंटो: कोरोना (Coronavirus) महामारी के बीच कनाडा (Canada) में एक रहस्यमय दिमागी बीमारी से दहशत फैली हुई है. ‘मैड काउ डिजीज’ (Mad Cow Disease) जैसी इस बीमारी से अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है और 43 संक्रमित हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह दुर्लभ और घातक मस्तिष्क विकार है, जिसे क्रुट्जफेल्ट-जैकोब डिजीज (Creutzfeldt-Jakob Disease- CJD) के नाम से जाना जाता है. अब तक इस बीमारी के 6 नए मामले सामने आ चुके हैं. कनाडा के न्यू ब्रंसविक (New Brunswick) के स्वास्थ्य अधिकारी यह पता लगा रहे हैं कि आखिर इस बीमारी से 43 लोग कैसे संक्रमित हुए हैं.
कनाडा के स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने इस बीमारी से पांच लोगों की मौत की पुष्टि की है. वो पता लगाने का प्रयास कर रहा है कि ये अज्ञात न्यूरोलॉजिकल बीमारी क्या है, जिसने इतनी तेजी से लोगों को संक्रमित किया है. ‘डेली मेल’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली बार यह बीमारी 2015 में सामने आई थी, जिसके बाद पिछले कुछ साल में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं. 2020 में इसके 24 मामले सामने आये थे और इस साल की शुरुआत में ही 6 नए मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
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बर्ट्रेंड के मेयर यवन गोडिन (Bertrand Mayor Yvon Godin) ने कहा कि इलाके के लोग इस नई बीमारी से काफी दहशत में हैं. उन्होंने आगे कहा कि शहर के लोग परेशान हैं, वे पूछ रहे हैं कि क्या ये बीमारी मीट खाने के कारण हो रही है? क्या यह संक्रामक है? मेयर ने कहा, ‘हमें जितनी जल्दी हो सके इस बारे में जानकारी चाहिए. कनाडा के वैज्ञानिक इस बीमारी से जुड़े टेस्ट और रिसर्च का काम जोर-शोर से कर रहे हैं’.
वहीं, वैज्ञानिकों ने बताया कि यह बीमारी इतनी जटिल है कि इसके लिए कई टेस्ट करने पड़ रहे हैं. न्यूरोलॉजिस्ट डॉ नील कैशमैन और विशेषज्ञों की एक टीम इस बीमारी से जुड़े सभी सवालों के जवाब तलाशने में जुट गई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बारे में कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की जा सकती कि बीमारी से जुड़े रहस्यों से कब पर्दा उठ सकेगा. कैशमैन ने स्थानीय लोगों को अपनी सामान्य दिनचर्या को जारी रखने और शांत रहने की अपील की है.
मैड काउ डिजीज गाय में होने वाली एक बीमारी है., जिसे बोविन स्पॉन्जिफॉर्म एन्सेफैलोपैथी (Bovine Spongiform Encephalopathy -BSE) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक असामान्य प्रोटीन के कारण मवेशियों में फैलने वाला एक घातक न्यूरोलॉजिकल रोग है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है. वैसे तो इस बीमारी की पहचान पहली बार 1986 में ब्रिटेन में हुई थी. लेकिन, शोधकर्ताओं का दावा है कि इसकी शुरुआत 1970 से ही हो गई थी.