नामीबिया: जनसंहार के लिए जर्मनी को हर्जाना देने के लिये मजबूर करने वाले नेता का कोरोना से निधन
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नामीबिया: जनसंहार के लिए जर्मनी को हर्जाना देने के लिये मजबूर करने वाले नेता का कोरोना से निधन

रुकोरो को 2014 में ओवाहेरेरो का ‘पैरामाउंट चीफ’ निर्वाचित किया था और वह अंतरराष्ट्रीय न्यायिक मामलों में दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे. 

फाइल फोटो

विंडहीक: नामीबिया में किए गए जनसंहार के लिए जर्मनी को हर्जाना देने के वास्ते मजबूर करने वाले जाने माने नेता वेकुई रुकोरो का कोविड-19 से निधन हो गया. रुकोरो, ओवाहेरेरो लोगों के सर्वोच्च नेता थे और उन्होंने जर्मनी द्वारा किए गए अत्याचार के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी लड़ाईयां लड़ी थीं.

रुकोरो का शुक्रवार को निधन

ओवाहेरेरो/ओवामबानडेरु और नामा परिषद के महासचिव मुतजींदे काटजीउआ ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि रुकोरो का शुक्रवार को निधन हो गया. रुकोरो को 2014 में ओवाहेरेरो का ‘पैरामाउंट चीफ’ निर्वाचित किया था और वह अंतरराष्ट्रीय न्यायिक मामलों में दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे. उन्होंने तथा अन्य पारंपरिक नेताओं ने जर्मनी का मुआवजे का प्रस्ताव स्वीकार किया था लेकिन कहा था इसे और बातचीत के जरिये बढ़ाया जाना चाहिए.

जर्मनी ने मांगी थी माफी

कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया था. पिछले साल जर्मन सरकार ने औपनिवेशिक काल में किए गए जनसंहार के लिए माफी मांगी थी और मुआवजे के रूप में 30 साल की अवधि में 130 करोड़ अमेरिकी डॉलर देने पर सहमति जताई थी.

साल 1904 से 1908 के बीच हुआ था नरसंहार

जर्मनी की औपनिवेशिक सेनाओं ने 1904 से 1908 के बीच ओवाहेरेरो और नामा समुदाय के लोगों का जनसंहार किया था और इसे बीसवीं शताब्दी के पहले जनसंहार के रूप में जाना जाता है.

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