Narendra Modi Oath Ceremony: मालदीव (Maldives) में जब से भारत समर्थक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह राष्ट्रपति पद से हटे और चीन समर्थक मोहम्मद मोइज्जू (Mohamed Muizzu) ने पदभार संभाला उसके बाद से अब तक भारत-मालदीव रिश्ते (India Maldives relations) कई मोड़ से गुजरे हैं. मालदीव की सत्ता संभालते ही 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाने वाले मोइज्जू ने भारतीय सैनिकों को वहां से हटाने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया था. उन्हीं मोइज्जू ने भारत में लोकसभा चुनावों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मालदीव के विकास के लिए खुलकर मदद की अपील की थी. 


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मोदी के शपथ ग्रहण में आएंगे...हाथ तो मिलेंगे या दिल भी मिलेंगे?


भारत सरकार की ओर से न्योता मिलने के बाद मोइज्जू ने कहा कि भारत सरकार से आमंत्रण मिलना सौभाग्य की बात है. मालदीव की सरकार हो या उसके सत्ताधारी दल के नेताओं ने बीते 24 महीनों में भारत के खिलाफ उकसावे भरी कई बयान दिए. ऐसे में मोइज्जू का बीच चुनाव में मोदी से मदद मांगने का मतलब ये निकाला जा रहा है कि शायद मुइज्जू ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने और पुराने सहयोग को फिर से बहाल करने के लिए एक कदम बढ़ाया है. उसी समय मोइज्जू ने अपने विदेश मंत्री को दिल्ली भेजा ताकि लंबे तनाव से बनी खाई और दूरियों को पाटा जा सके.


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भारत-मालदीव और चीन


भारत के साथ लंबे समय से चल रहे तनाव (India Maldives tension) और भारी राजनयिक गतिरोध के बीच 9 मई को मालदीवियिन विदेश मंत्री मूसा जमीर भारत दौरे पर आए थे. तब उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (S. Jaishankar) से द्विपक्षीय और कई क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. मूसा जमीर के भारत दौरे को कई मायनों में खास माना गया. क्योंकि 6 महीने पहले मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने जब मालदीव के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तो उसके बाद उन्होंने भारत के खिलाफ इंडिया आउट कैंपेन अमल में लाना शुरू कर दिया था. भारत के खिलाफ ये ऐसी नफरती कार्रवाई थी जिसे पॉलिटिकल टूल बनाकर मोइज्जू भारत विरोधी माहौल बनाकर यानी चीन का एंटी इंडिया प्रोपेगेंडा को धार देते हुए सत्ता में आए थे. 


चीन समर्थक मोइज्जू पर बड़ी जिम्मेदारी


मोहम्मद मोइज्जू को चीन समर्थक और चीन से फंडेड कैंडिडेट माना जाता है. इस वजह से मोइज्जू भले ही उसके खिलाफ एक भी शब्द बोलने की हैसियत और हिम्मत न रखते हो लेकिन वह ये बात भलीभांति जानते होंगे कि चीन पर भरोसा करने का मतलब उसके कर्ज में जाल में फंस जाना भी होता है. शायद इसी वजह से मोइज्जू ने भारत से मदद का हाथ बढ़ाने की अपील करते हुए मोदी से मदद मांगी होगी. मोइज्जू अपने देशवासियों से भारी-भरकम वायदे करके सत्ता में आए हैं. मालदीव की अधिकांश जनता को भारतीय लोगों से दिक्कत नहीं है. ऐसे में चीन के उकसावे में आकर भारत विरोधी माहौल बनाकर वो चुनाव तो जीत गए, लेकिन अगर वो जनता की उम्मीदों पर खरे न उतरे तो अगला चुनाव जीतना उनके लिए नामुमिकन हो जाएगा.


दरअसल, मालदीव से विवाद बढ़ने के बाद जहां भारतीयों और सेलेब्स ने मालदीव का बॉयकॉट किया और बुकिंग कैंसिल कर दी. वहीं, भारत ने भी मालदीव को सहयोग देना बंद कर दिया था. इसके बाद जब मोइज्जू को आटे दाल का भाव पता चला तो उन्होंने भारत से मदद मांगी थी. मूसा के दौरे पर भारतीय विदेश मंत्री ने मालदीव के मंत्री को भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत कई आश्वासन देकर उन्हें निश्चिंत किया था. जयशंकर के उस बयान को भारत के रुख में आई नरमी से जोड़ के देखा गया था.


अपने ही घर में घिर रहे मोइज्जू


गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मोइज्जू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे. न्यूज पोर्टल मालदीव रिपब्लिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 की एक रिपोर्ट में राष्ट्रपति मुइज्जू के निजी बैंक खाते में धन अंतरण में अनियमितताओं का दावा किया गया है. हालांकि मोइज्जू ने उन आरोपों का खंडन किया था लेकिन इससे उनकी छवि पर बुरा असर पड़ा था. ऐसे में वो अब अपने देश की हालत खस्ता होने से बचाने के लिए नए-नए तरीके आजमा रहे हैं. 



भारत-मालदीव रिश्तों में टेंशन की कहानी


मालदीव से बिगड़ते रिश्तों के बीच ही भारतीय पीएम मोदी इसी साल 2 जनवरी को लक्षद्वीप दौरे पर गए थे. उन्होंने तब कहा कि मालदीव जाने के बजाय एक बार लक्षद्वीप जरूर जाएं और वहां की खूबसूरती देंखे. लक्षद्वीप की तुलना मालदीव से करने पर वहां के मंत्रियों ने मोदी का मजाक उड़ाया था. भारत के तमाम सेलिब्रेटीज और दिग्गज केंद्रीय मंत्रियों ने इसका विरोध किया तो मालदीव के मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था. मालदीव के विरोध के बाद अब भारतीयों ने मालदीव का बॉयकॉट कर दिया था. उसके बाद मालदीव को भयानक नुकसान पहुंचा था.



ऐसे में माना जा रहा है कि मोइज्जू पीएम मोदी की सरकार के तीसरे कार्यकाल में जब आएंगे तो भारत-मालदीव के रिश्तों में आई कड़वाहट को कम करने का काम करेंगे.


इन नेताओं को मिला है मोदी के शपथ ग्रहण में आने का न्योता


PM मोदी के शपथ ग्रहण के लिए विदेशी मेहमानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. शनिवार दोपहर बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भारत पहुंची हैं. वहीं इस आयोजन में शामिल होने के लिए मॉरीशस, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष भी आएंगे.