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काठमांडू (सलोनी मुरारका) : नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) भारत के साथ सीमा विवाद (Border Dispute) का शांतिपूर्ण निपटारा चाहते हैं. इसी के मद्देनजर रविवार शाम को जारी किए गए 14 पन्नों के ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ (CMP) में संतुलित विदेश नीति (Balanced Foreign Policy) की बात कही गई. जबकि केपी शर्मा ओली की पूर्व सरकार चीन (China) के इशारों पर चलते हुए बेवजह भारत से सीमा विवाद को हवा देने पर तुली थी.
नेपाल (Nepal) के पांच दलों की गठबंधन सरकार का मानना है कि भारत के साथ सीमा विवाद को राजनयिक रूप से हल किया जा सकता है. न्यूनतम साझा कार्यक्रम नेपाल की गठबंधन सरकारों द्वारा अपनाई जाने वाली एक प्रथा है. यह आमतौर पर गठबंधन सरकार के न्यूनतम उद्देश्यों को पूरा करने की रूपरेखा तैयार करता है. नेपाली कांग्रेस के नेता और CMP के समन्वयक पूर्णा खडका (Purna Khadka) ने एक कार्यक्रम में 14 पन्ने का दस्तावेज जारी किया. इस दौरान प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड’, जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव भी मौजूद रहे.
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नेपाली कांग्रेस नेता खड़का ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख सहित पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद के मुद्दों को राजनयिक तरीकों से हल करना है. दस्तावेज के मुताबिक, सरकार आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अन्य देशों, खासकर पड़ोसियों से मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी. अंतरराष्ट्रीय सीमा चौकियों के अलावा सीमा सुरक्षा को भी मजबूत किया जाएगा, ताकि तस्करी को रोका जा सके.
COVID-19 महामारी की रोकथाम और नियंत्रण को मौजूदा गठबंधन सरकार ने अपनी प्रमुखता बताया है. उसका कहना है कि अप्रैल, 2022 के अंत तक सभी पात्र नागरिकों का टीकाकरण किया जाएगा. सरकार का ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को लागू करने, राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और उन संधियों और समझौतों को संशोधित करने पर भी प्रकाश डालता है, जो राष्ट्रीय हित के खिलाफ हैं. इसके साथ ही यह लोक प्रशासन, राज्य की एजेंसियों सहित सभी सरकारी मशीनरी को निष्पक्ष और जवाबदेह बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की गारंटी भी देता है.
भारत और नेपाल के संबंधों में पिछले वर्ष तब तनाव पैदा हो गया था, जब नेपाल ने नया मानचित्र जारी कर तीन भारतीय क्षेत्रों लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया था. नेपाल के मानचित्र जारी करने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी. उस वक्त यह बात भी सामने आई थी कि केपी शर्मा ओली ने चीन के इशारों पर भारत के खिलाफ सीमा विवाद को हवा दी है. अब नेपाल में नई सरकार है और वो नए तरीके से मुद्दों को हल करना चाहती है. बता दें कि उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद 12 जुलाई को रिकॉर्ड पांचवीं बार शेर बहादुर देउबा (75) को प्रधानमंत्री बनाया गया था.