दुनिया के इकलौते अल्पाइन प्रजाति के तोतों ने इंसानों से बनाई दूरी, पहाड़ों में लौट गए!
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दुनिया के इकलौते अल्पाइन प्रजाति के तोतों ने इंसानों से बनाई दूरी, पहाड़ों में लौट गए!

कोरोना महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग एक नया टर्म जुड़ गया है. इंसान ही इंसान से दूर भाग रहा है. लेकिन क्लाइमेट चेंज के चलते अब दुनिया के इकलौते अल्पाइन तोते की प्रजाति ने ही इंसानों से दूरी बना ली है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

वेलिंगटन: कोरोना महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग एक नया टर्म जुड़ गया है. इंसान ही इंसान से दूर भाग रहा है. लेकिन क्लाइमेट चेंज के चलते अब दुनिया के इकलौते अल्पाइन तोते की प्रजाति ने ही इंसानों से दूरी बना ली है. जी हां, अल्पाइन तोते जो न्यूजीलैंड में पाए जाते हैं, उन्होंने पहाड़ों का रुख कर लिया है.

शोध में खुलासा

ये खुलासा एक शोध में हुआ है कि अल्पाइन तोतों की प्रजाति जो खुद को किसी भी परिस्थिति में डाल लेते हैं, उन्होंने अब बढ़ते तापमान की वजह से खुद को पहाड़ों तक ही सीमित कर लिया है. अल्पाइन तोतों की प्रजाति अब विलुप्त होने की कगार पर हैं, और न्यूजीलैंड में ही पाए जाते हैं. पहले वो देश के अन्य हिस्सों में भी रहते थे, लेकिन अब खुद को माउंट माउनगुई के खास इलाके तक सीमित कर लिया है.

इंसानी दखल से हुए दूर

अल्पाइन तोतों को धरती पर मौजूद सबसे बुद्धिमान पक्षियों में से एक मनाना जाता है. ये बेहद खूबसूरत होते हैं. लेकिन क्लाइमेट चेंज की वजह से इनका इंसानी इलाकों में सर्वाइव करना मुश्किल हो रहा था. इसीलिए इन्होंने अपने रहने का ठिकाना बदल लिया है.

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इंसानी दखल से कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर

क्लाइमेट चेंज की वजह से धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है. मॉलेक्यूलर इकोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इनकी रिहाइस की चलता काका नाम के तोते की प्रजाति से की. जो जंगलों में रहना पसंद करते हैं. अब जंगल भी लगातार कम होते जा रहे हैं. ऐसे में ये प्रजाति भी पूरी तरह से खतरे में पड़ चुकी है.

22 फीसदी प्रजातियां मुश्किल में

इटली में अल्पाइन पहाड़ों पर रहने वाली 22 फीसदी प्रजातियां मुश्किल में पड़ चुकी हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं और ये प्रजातियां खत्म हो रहा हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसी रफ्तार से अगर तापमान बढ़ता रहा, तो मैदानी इलाकों से भी पक्षी खत्म हो जाएंगे. क्योंकि इससे लगातार तालमेल बिठाना मुश्किल होता जा रहा है.

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