Niger Coup: नाइजर के सैन्य शासक ने दी दूसरे देशों को चेतावनी, हमारे मामले में न दें दखल, जनता से की ये अपील
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Niger Coup: नाइजर के सैन्य शासक ने दी दूसरे देशों को चेतावनी, हमारे मामले में न दें दखल, जनता से की ये अपील

Niger Coup News: पश्चिम अफ्रीकी देशों ने नाइजर में तख्तापलट करने वाले नेताओं को देश में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति को पद पर बहाल करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है और मांग पूरी नहीं होने पर बल प्रयोग की धमकी दी है. पश्चिमी देशों ने भी इस तख्तापलट की निंदा की है.

Niger Coup: नाइजर के सैन्य शासक ने दी दूसरे देशों को चेतावनी, हमारे मामले में न दें दखल, जनता से की ये अपील

Niger News:  नाइजर के नए सैन्य शासक जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी ने पड़ोसी देशों को उनके देश में हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी और देशवासियों से राष्ट्र की रक्षा के लिए तैयार रहने की अपील की.  नाइजर में लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति को करीब एक सप्ताह पहले अपदस्थ कर सत्ता संभालने वाले त्चियानी ने बुधवार रात को टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में अन्य देशों को हस्तक्षेप नहीं करने और तख्तापलट के खिलाफ सैन्य हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी.

त्चियानी ने कहा, ‘इसलिए हम आह्वान करते हैं कि नाइजर के लोग एकजुट होकर उन सभी को हराएं, जो कड़ी मेहनत करने वाले हमारे देश के लोगों को अकथनीय पीड़ा पहुंचाना चाहते हैं और हमारे देश को अस्थिर करना चाहते हैं.’

चुनाव कराने का किया वादा
सैन्य शासक ने नाइजर के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को अपदस्थ करने के बाद चुनाव कराकर सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की परिस्थतियां पैदा करने का वादा भी किया. त्चियानी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब नाइजर में तख्तापलट के बाद क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है.

नाइजर में तख्तापलट से भड़के पश्चिमी देश
पश्चिम अफ्रीकी देशों ने नाइजर में तख्तापलट करने वाले नेताओं को देश में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति को पद पर बहाल करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है और मांग पूरी नहीं होने पर बल प्रयोग की धमकी दी है. पश्चिमी देशों ने भी इस तख्तापलट की निंदा की है.

नाइजर में चार बार हो चुका है तख्तापलट
नाइजर में सबसे पहला तख्तापलट 1974 में साहेल क्षेत्र में सूखे और अकाल की पृष्ठभूमि में हुआ था. उस प्राकृतिक आपदा की वजह से आजादी के बाद बनी पहली निर्वाचित सरकार के प्रति हताशा और निराशा थी जिसने सेना को सरकार को उखाड़ फेंकने का आधार दिया और यह दावा करने का मौका दिया कि वह विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी.

इसके बाद नाइजर में 1996, 1999 और 2010 में भी राजनीतिक संकट की वजह से तख्तापलट हुआ. राष्ट्रपति बजौम केवल दो साल से सत्ता में बन थे और 2021 के उनके निर्वाचन को भले ही चुनौती दी गई हो लेकिन मोटे तौर पर उसे स्वीकार किया.

(इनपुट – न्यूज एजेंसी- भाषा)

 

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