Pakistan News: पाकिस्तान की किस्मत मानो रूठ गई है. हिंदुओं की हत्या और उत्पीड़न जैसे लड़कियों का धर्मांतरण कराकर पहचान बदलने से लेकर पाकिस्तानियों ने ऐसे-ऐसे घिनौने काम किए हैं कि उनके पाप का घड़ा भर गया है जो कभी भी फूट सकता है. दरअसल जब किसी देश पर संकट आता है तो उसके रहनुमा पहले नपते और निपटते हैं. पाकिस्तान का इतिहास और ट्रैक रिकॉर्ड तो वैसे ही इस मामले में बद से बदतर यानी खराब ही रहा है. कुछ ऐसे ही सिलसिले में अब पड़ोसी मुल्क में दावा किया जा रहा है शहबाज शरीफ सरकार के दिन पूरे हो गए हैं. यानी पीएमएल (एन) की अगुवाई वाली पाकिस्तान सरकार गिरने वाली है. 


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सहयोगी ने दिखाई आंख


पाकिस्तानी मीडिया 'डॉन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीपीपी प्रवक्ता शाजिया ने रविवार को पाकिस्तान समुद्री और बंदरगाह प्राधिकरण की स्थापना समेत कई अहम मसलों पर पीपीपी से सलाह करने में विफल रहने के लिए पीएमएल-एन की संघीय सरकार को उसकी औकात याद दिलाते हुए कहा कि पाकिस्तान की सरकार का अस्तित्व पीपीपी के समर्थन पर टिका है. ऐसे में उसे पीपीपी को इगनोर नहीं करना चाहिए.'


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इस बयान से साफ है कि पाकिस्तान सरकार और उसकी सहयोगी पीपीपी के बीच तनाव गहरा गया है. पांच दिन पहले दिसंबर में पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों दलों के बीच विश्वास की कमी को लेकर चिंता जताई थी. खासकर देश में इंटरनेट बैन जैसे मुद्दों की पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने खुलकर आलोचना की थी. बिलावल ने इंटरनेट बैन करने को पाकिस्तानी नागरिकों को सेंसर करने की कोशिश बताते हुए आलोचना की थी. उस बयान के बाद से दोनों दलों के बीच संबंधों को और खराब मोड़ पर ला दिया है.


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इसी तरह, संसद में पीपीपी सांसदों द्वारा अपनी ही सरकार के विरोध में प्रदर्शन में शामिल होना. संघीय मंत्रियों की अनुपस्थिति पर वाकआउट करना जैसे कदम दोनों दलों के बीच बढ़ती कलह को दिखा रहा है. एक ओर पीपीपी, पीएमएल (एन) को आंख दिखा रही है, दूसरी ओर पीपीपी के सुप्रीमो बिलावल भुट्टो बीच-बीच में पीएमएल-एन सरकार के साथ निरंतर जुड़ाव का शिगूफा छोड़ रहे हैं. इसे पाकिस्तान में कुछ लोग गाजर और छड़ी वाली मिसाल से जोड़ कर देख रहे हैं. 


क्या बोलीं मारी?


अपने बयान में, PPP की प्रवक्ता मारी मैडम ने संघीय सरकार को फटकार लगाते हुए ये तक कह दिया कि वो 'पीपीपी से सलाह किए बिना बार-बार फैसले ले रहे हैं, इसमें उनका ही घाटा है. पाकिस्तान के समुद्री और बंदरगाह प्राधिकरण की स्थापना को लेकर भी सलाह नहीं ली गई. हमने बार-बार कहा है कि संघीय सरकार को पीपीपी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन जिस दिन हम समर्थन वापस ले लिया, होश ठिकाने आ जाएंगे क्योंकि सरकार गिर जाएगी.'