Pakistan Sindh Assembly Bihar: पाकिस्‍तान की सिंध विधानसभा में जब पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की विधायक हीर सोहो ने अवैध प्रवासियों को बाहर करने के मुद्दे पर स्‍थगन प्रस्‍ताव लाने की बात कही तो मामला बिगड़ गया. सारे सांसद इस मामले पर एकमत हो गए कि अवैध प्रवासियों को बाहर करना चाहिए क्‍योंकि वह देश के  संसाधनों पर बोझ हैं. इतना ही उन्‍हें प्रांत में आतंकवाद और अपराधों के लिए जिम्‍मेदार भी ठहराया गया. विधानसभा ने एक "मौलिक प्रस्ताव" भी पारित कर दिया, जिसमें लिखा है: "इस विधानसभा की राय है कि सिंध प्रांत में अन्य देशों से रहने वाले अवैध अप्रवासियों को उनके मूल देशों में प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए."


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बिहारी शब्‍द पर हुआ बवाल


इसी दौरान जब पीपीपी एमपीए ने विभिन्न देशों के अवैध अप्रवासियों का जिक्र करते हुए बिहारी समुदाय के लोगों को भी इसमें शामिल करते हुए मजाक उड़ाया तो विधायक सैयद एजाज उल हक बिफर गए. उन्‍होंने पाकिस्‍तान की सिंध विधानसभा में बिहारियों के योगदान पर ना केवल लंबा-चौड़ा भाषण दिया, बल्कि यह तक कहा कि पाकिस्‍तान बनने में बिहारी मुसलमानों का ही सबसे बड़ा हाथ है. लिहाजा बिहारी' शब्द को नकारात्मक रूप से इस्तेमाल करने पर रोक लगाई जाए.


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बिहारी गाली नहीं गर्व का प्रतीक है


सिंध प्रांत के विधानसभा सदस्य सैयद एजाज उल हक का जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें वह कह रहे हैं, ''बिहारी गाली नहीं है, बल्कि बिहारी वो हैं जिन्‍होंने पाकिस्‍तान को बनाया है. नारा लगाया था कि बंट के रहेगा हिंदुस्तान, बनकर रहेगा पाकिस्तान. ये वो बिहारी हैं, पाकिस्तान उन बिहारियों की वजह से वजूद में आया है. आज 50 साल गुजारने के बावजूद बांग्लादेश में, जो पाकिस्तान का नारा लगा रहे हैं, पाकिस्तान जिंदाबाद का वो ये बिहारी हैं. आज आप गाली समझ रहे हैं बिहारी को? आज आप बिहारियों को गैरकानूनी तारिक-ए-वतन कह रहे हैं? आज आप बिहार को, बिहारी लब्ज को गाली बता रहे हैं. आप भूल गए कि ये बिहारी कौन हैं?''


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हम अपने हिस्‍से की जमीन साथ लेकर आए
 
दरअसल, जब भारत विभाजन का प्रस्ताव आया था तो उस प्रपोजल पर वोट करने वालों में यूपी और बिहार के पठान सबसे ज्‍यादा थे. बंटवारे के वक्त यह पठान पाकिस्तान गए. ये खासे संपन्‍न पठान थे लेकिन उन्‍हें सब कुछ छोड़कर नए पाकिस्‍तान में प्रवासी बनना पड़ा. वे आज भी अपनी पहचान के संकट से गुजर रहे हैं.


इसी वजह से एजाज उल हक ने यह भी कहा, ''जैसे कि मैं अपनी तकरीर के आगाज में कहा, यह मेराज दाद की कुर्बानियों का शाबर है पाकिस्तान, किसी ने जागीर नहीं दी. हम अपने हिस्से का पाकिस्तान अपने साथ लाए थे. लड़ कर लाए थे, मर कर लाए थे, मिट कर लाए थे. आज तुम्हारे पास जितना है, इतना हम छोड़ के आए थे.''



जो 2 बार पाकिस्‍तान आए, वो प्रवासी कैसे


बता दें कि बिहार के लोग 2 बार पाकिस्‍तान गए पहले 1947 में और फिर ढाका के पतन के बाद. उन्‍हें दोहरा दंश झेलना पड़ा. पाकिस्‍तान में आज भी ये लोग बिहारी मुसलमान के तौर पर पहचाने जाते हैं.


इसी के चलते जमात-ए-इस्लामी के अकेले सदस्य मुहम्मद फारूक ने विधानसभा में सवाल उठाया कि जो लोग 2 बार पाकिस्तान आए उन्हें अवैध अप्रवासी कैसे कहा जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि बांग्लादेश में फंसे बिहारियों को सम्मानजनक तरीके से वापस लाना चाहिए. उनका भी पाकिस्‍तान पर पूरा अधिकार है.