तबाही से बचने के लिए पोलैंड (Poland) के गणितज्ञों ने हिटलर (Hitler) की सेना यानी नाजियों द्वारा बनाई गई एनिग्मा मशीन (Enigma Machine) का कोड समझने में दिन-रात एक कर दिया था.
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) की टीम ने बाल्टिक सागर से हिटलर सेना की कोडिंग मशीन एनिग्मा मशीन (Enigma Machine) को निकालने में सफलता पाई. मछुआरे जब मछली पकड़ने गए थे तब उन्हें एक अजीब चीज दिखी. जिसे बाद में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) की टीम ने मछुआरों से ले लिया. फिर पुरातत्व विभाग की मदद से पता चला कि ये एनिग्मा मशीन (Enigma Machine) है, जिससे हिटलर की सेना कोडिंग करती थी.
एनिग्मा मशीन (Enigma Machine) में एक कीबोर्ड है. इसके अलावा इसमें कई सारे रोटार हैं. रोटार का इस्तेमाल इनकोड करने के लिए होता है. ये घूमकर संदेश को समझते हैं. नाजी आर्मी के लोग इस मशीन की मदद से दुश्मन सेना के सीक्रेट्स और संदेशों को कोडिंग करके समझ लेते थे.
हिटलर की नाजी सेना द्वारा बनाई गई एनिग्मा मशीन (Enigma Machine) कि कोडिंग समझने के लिए पोलैंड के गणितज्ञ दिन-रात लगे रहे थे. जिससे हिटलर की तबाही से बचा जा सके.
पौलेंड के गणितज्ञों ने साल 1939 में एनिग्मा मशीन (Enigma Machine) को समझने की कोशिश शुरू की थी. लेकिन बाद में हिटलर की नाजी सेना को इसकी भनक लग गई तो उन्होंने अपना कोड बदल दिया था.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के गणितज्ञ एलन तूरिंग ने एनिग्मा मशीन (Enigma Machine) के कोड को तोड़ने में सफलता पा ली थी. इसके बाद ब्रिटेन को हिटलर की आर्मी के प्लान का पता चल गया था. युद्ध के दौरान जर्मन-यू-बोट्स ने मित्र राष्ट्र की सेना में तबाही मचा रखी थी. लेकिन कोड क्रैक होने के बाद नाजी सेना की लगभग 2700 जर्मन-यू-बोट्स को समुद्र में डुबो दिया गया था.
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