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Lockdown में बच्चों को खाना खिलाने के लिए 1200KM पैदल चला Teacher, अब करवानी पड़ेगी घुटने की सर्जरी

जेन पॉल्स पहले भी लगातार चैरिटी के कामों में लगे रहे हैं. वो 1500 मील यानि 2400 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक साइकिल चला चुके हैं. वो अगस्त एडिनबर्ग, डब्लिन, कार्डिफ, बेलफास्ट जैसे शहरों में साइकिल चलाकर पहुंचे और 5000 यूरो से ज्यादा की रकम इकट्ठा की.

10 हजार से ज्यादा लंच पैकेट बच्चों तक पहुंचाया

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10 हजार से ज्यादा लंच पैकेट बच्चों तक पहुंचाया

लंदन: बच्चों की जिंदगी में सबसे अहम जगह होती है उनके शिक्षक की. शिक्षक ही बच्चों को जीवन की दिशा देते हैं. लेकिन इस कोरोना महामारी के दौरान एक शिक्षक ने बच्चों के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. बच्चे भी उन्हें अपना हीरो मानते हैं. क्योंकि उन्होंने पूरे लॉकडाउन पैदल चलकर 10 हजार से ज्यादा लंच पैकेट बच्चों तक पहुंचाया. लेकिन अब क्षमता से ज्यादा शरीर पर बोझ देने की वजह से वो खुद मुसीबत में घिर गए हैं. 

खुद को पूरी तरह से झोंक दिया

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खुद को पूरी तरह से झोंक दिया

इंग्लैंड के ग्रेट गिम्स्बी काउटी में रहने वाले जेन पॉल्स (Zane Powles MBE) एक शिक्षक हैं. लॉकडाउन के दौरान हर रोज अपने बच्चों को पौष्टिक आहार पहुंचता रहे, इसके लिए उन्होंने खुद को पूरी तरह से झोंक दिया. पूरे लॉकडाउन उन्होंने पैदल चलकर और दौड़ते हुए करीब 750 मील का सफर तय किया. किलोमीटर में बात करें तो पूरे लॉकडाउन में उन्होंने 1200 किमी से ज्यादा दूरी पैदल चलकर पार कर लिया और बच्चों तक लंच पहुंचाते रहे. 

शुरु में खुद की समस्या को किया अनदेखा

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शुरु में खुद की समस्या को किया अनदेखा

लेकिन अब जेन के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. दरअसल, उनके घुटनों ने पूरी तरह से जवाब दे दिया है. जेन का कहना है कि उनके घुटनों में दर्द होने लगा, तो उन्होंने उसे थकान संबंधी छोटी-समस्या मानकर अनदेखा कर दिया. लेकिन अब डॉक्टरों ने कहा है कि उन्हें अपने घुटनों की सर्जरी करानी पड़ेगी, तभी जाकर उन्हें आराम मिल पाएगा.

खुद की कभी नहीं की परवाह

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खुद की कभी नहीं की परवाह

जेन पॉल्स (Zane Powles MBE) को ब्रिटेन में हीरो की तरह माना जाता है. उन्होंने उन बच्चों के लिए अपनी परवाह बिल्कुल नहीं की. जो बच्चे आइसोलेशन के दौरान लगभग 'कैद' थे. उन्होंने धूप, छांव, बारिश और यहां तक कि बर्फबारी के बीच भी अपने बच्चों के लिए काम करना नहीं छोड़ा. जबकि इसके लिए उन्हें किसी तरह का कोई भुगतान भी नहीं मिलता था. इसके बावजूद उन्होंने बच्चों का ख्याल रखा. 

अब कराएंगे घुटने की सर्जरी

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अब कराएंगे घुटने की सर्जरी

जेन पॉल्स कहते हैं कि उन्हें अपनी मेहनत पर कभी अफसोस नहीं हुआ. उन्हें तो इंतजार है कि कब हालात सामान्य हों और बच्चे स्कूल आना शुरू करें. पॉल्स कहते हैं कि ये उनकी आदत में शुमार हो गया था कि वो हर बच्चे को हर रोज देखें और उन्हें पौष्टिक आहार पहुंचाएं. हालांकि अब वो अगले कुछ समय सर्जरी की योजना बना रहे हैं. 

ब्रिटिश शाही सम्मान भी मिल चुका है

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ब्रिटिश शाही सम्मान भी मिल चुका है

जेन पॉल्स पहले भी लगातार चैरिटी के कामों में लगे रहे हैं. वो 1500 मील यानि 2400 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक साइकिल चला चुके हैं. वो अगस्त एडिनबर्ग, डब्लिन, कार्डिफ, बेलफास्ट जैसे शहरों में साइकिल चलाकर पहुंचे और 5000 यूरो से ज्यादा की रकम इकट्ठा की. डेलीमेल की खबर के मुताबिक जेन पॉल सेना में रह चुके हैं और उन्होंने एमबीई की उपाधि भी मिल चुकी है. एमबीई अवॉर्ड अगस्त महीने में उनके काम को देखते हुए दिया गया. तस्वीर: Twitter/Zane Powles MBE

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