ज्यादातर लोग सोचते हैं कि कैसा भी मास्क पहनने से वो कोरोना (Coronavirus) से बच सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. एक रिसर्च में मास्क के उपयोग को लेकर बेहद काम की जानकारी सामने आई है.
रिसर्च में सामने आया कि मास्क (Mask) जब नया होता है तो लगभग तीन-चौथाई छोटे कणों को छान फिल्टर कर सकता है. ये कण हवा में होते हैं और इनके जरिए ही संक्रमण फैलने की सबसे अधिक संभावना होती है. कई लोग यूज किया हुआ मास्क ही पहनते रहते हैं जो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.
रिसर्च के मुताबिक मास्क जब एक से अधिक बार उपयोग किया जाता है तो वो केवल एक-चौथाई बूंदों को ही फिल्टर कर पाता है, क्योंकि जितनी बार मास्क पहना जाता है वह कमजोर होता जाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स लोवेल और कैलिफोर्निया बैपटिस्ट यूनिवर्सिटी (University of Massachusetts Lowell and California Baptist University) की टीम का कहना है कि परिणाम इस बात के सबूत देते हैं कि मास्क डिजाइन के दौरान उसके आकार पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है.
यूमास लोवेल में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जिंओक्सी शी ने कहा है, 'हमारी रिसर्च के परिणामों से पता चलता है कि मास्क केवल पांच माइक्रोमीटर से बड़े कणों के लिए ही सही है, लेकिन 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे कणों के लिए नहीं.' COVID-19 से खुद को और दूसरों को बचाने के लिए थ्री-लेयर मास्क सबसे अधिक कारगर है. इसकी अंदर की लेयर Absorbent Material से बनाई जाती है, बीच की लेयर एक फिल्टर के रूप में कार्य करती है और बाद में आउटलेट एक Non-Absorbent Material से बनाई जाती है.
रिसर्च के दौरान एक कंप्यूटर मॉडल बनाया गया. मॉडल ने ट्रैक किया कि aerosols मास्क या चेहरे पर पड़ते ही नाक या फेफड़ों के जरिए संक्रमित करने में सक्षम हैं. रिसर्च में यह भी सामने आया कि मास्क पहनने के कारण हवा के जरिए चारों तरफ संक्रमण फैल जाता है. यानी हवा सिर्फ नाक या मुंह के जरिए ही अंदर नहीं जा सकती बल्कि चेहरे के चारों तरफ और मास्क पर वायरस हो सकता है. इसलिए मास्क का आकार बेहद जरूरी है. यह भी पढ़ें: Facebook डेवलप कर रहा है दिमाग को पढ़ने वाला Tool, ऐसे करेगा काम
इसके बाद, उन्होंने थ्री लेयर मास्क की एफिशिएंसी देखी गई, जिसमें पता चला की मास्क जब नया होता है तो वे 65 प्रतिशत कणों को फ़िल्टर कर सकता है, लेकिन जब लगातार उपयोग किया जाता है तो केवल 25 प्रतिशत ही फिल्टर कर सकता है. इसका मतलब यह है कि मास्क जब नया होता है तो कारगर रहता है, लेकिन इसे कई बार पहनना मास्का न पहनने से भी बद्तर हो सकता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका कारण यह है कि सर्जिकल मास्क के प्लेट्स एयरफ्लो पैटर्न को प्रभावित करते हैं और जब बार-बार उपयोग किया जाता है तो वे आकार बदलते हैं और उसकी एफिशिएंसी कम हो जाती है.
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